New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

केरल के प्रसिद्ध बेपोर उरु(जहाज) के लिए भौगोलिक संकेतक 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए - बेपोर उरु (नाव), जीआई टैग
मुख्य परीक्षा के लिए : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 3 - बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषय

संदर्भ 

  • हाल ही में जिला पर्यटन संवर्धन परिषद, कोझिकोड(केरल) के द्वारा प्रसिद्ध बेपोर उरु (जहाज) के लिए भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्राप्त करने के लिए आवेदन किया गया है।

बेपोर उरु

  • बेपोर उरु, बेपोर (केरल) में कुशल कारीगरों द्वारा दस्तकारी की गई एक लकड़ी की ढो (जहाज / नौकायन नाव / नौकायन पोत) है। 
  • बेपोर उरु, शुद्ध रूप से प्रीमियम लकड़ी से, बिना किसी आधुनिक तकनीक का उपयोग करके बनाई जाती है। 
  • बेपोर उरु को बनाने में 1-4 वर्ष का समय लगता है और पूरी प्रक्रिया मैन्युअल रूप से की जाती है। 
  • जिला पर्यटन संवर्धन परिषद द्वारा चेन्नई में भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री के साथ फाइलिंग में प्रदान किए गए विवरण के अनुसार, बेपोर उरु केरल के व्यापारिक संबंधों और खाड़ी देशों के साथ दोस्ती का प्रतीक है।
  • यह पारंपरिक हस्तकला लगभग 2000 वर्षों से अस्तित्व में है।
  • कई समुदाय पारंपरिक रूप से उरु-निर्माण से जुड़े हैं, इनमें से एक ओडायिस समुदाय है। 
    • ये जहाज निर्माण के तकनीकी मामलों का प्रबंधन करते हैं।
    • ओडायिस नाम ओडम से आता है (एक प्रकार का छोटा जहाज जो पहले मालाबार तट और लक्षद्वीप के बीच बातचीत/व्यापार में उपयोग किया जाता था)।
  • ओडायिस के बाद खलासी, उरु-निर्माण से जुड़ा एक अन्य प्रमुख वर्ग है, इन्हें मप्पिला खलासी भी कहा जाता है क्योंकि इनमें से अधिकांश मप्पिला मुसलमान हैं।
    • खलासी उरु के निर्माण के लिए जिम्मेदार पारंपरिक कारीगर हैं, ये ही इन उरु को पानी में छोड़ते हैं तथा इन्हें यात्रा के लिए तैयार करते हैं।
  • बेपोर चलियार नदी के तट पर स्थित एक शहर है यह पहली शताब्दी के बाद से दुनिया भर के व्यापारियों के लिए एक प्रसिद्ध समुद्री केंद्र रहा है और लगभग 2000 वर्षों से यहाँ के प्रतिष्ठित उरु जहाजों की व्यापारियों में उच्च मांग रही है। 

Beypore-Uru-of-Kerala

जीआई टैग 

  • जीआई टैग मुख्य रूप से कृषि संबंधी, प्राकृतिक या विनिर्मित्त वस्तुओं के लिए जारी किया जाता है, जिनमें अनूठे गुण, ख्याति या इसके भौगोलिक उद्भव के कारण जुड़ी अन्य लक्षणगत विशेषताएं होती है।
  • जीआई टैग एक प्रकार का बौद्धिक संपदा अधिकार(आईपीआर) होता है, जो आईपीआर के अन्य रूपों से भिन्न होता है, क्योंकि यह एक विशेष रूप से निर्धारित स्थान में समुदाय की विशिष्टता को दर्शाता है।
  • वर्ल्‍ड इंटलैक्‍चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन (WIPO) के अनुसार जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी उत्पाद को विशेष भौगोलि‍क पहचान दी जाती है। 
  • जीआई टैग वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड की तरफ से दिया जाता है। 
  • भारत में, जीआई टैग के पंजीकरण को ‘वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 द्वारा विनियमित किया जाता है।
  • इसका पंजीकरण 10 वर्ष  के लिए मान्य होता है, तथा 10 वर्ष बाद पंजीकरण का फिर से नवीनीकरण कराया जा सकता है।

जीआई टैग के लाभ 

  • यह भारत में भौगोलिक संकेतों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है, दूसरों द्वारा पंजीकृत भौगोलिक संकेतों के अनधिकृत उपयोग को रोकता है। 
  • यह भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित/निर्मित वस्तुओं के उत्पादकों की आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देता है।

यह ट्रेड मार्क से कैसे अलग है 

  • ट्रेड मार्क एक संकेत है, जिसका उपयोग व्यापार के दौरान किया जाता है और यह एक उद्यम के उत्पादों या सेवाओं को अन्य उद्यमों से अलग करता है।
  • जबकि भौगोलिक संकेत, एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न विशेष विशेषताओं वाले उत्पादों की पहचान करने के लिए उपयोग किया जाता है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR