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मॉरीशस में जल संकट

(प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: विश्व भर के मुख्य प्राकृतिक संसाधनों का वितरण, स्थान- अति महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताएँ (जल-स्रोत व हिमावरण सहित) और वनस्पति एवं प्राणिजगत में परिवर्तन तथा इसके प्रभाव, )

संदर्भ 

द्वीपीय राष्ट्र मॉरीशस गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। जलवायु परिवर्तन, बढ़ती जनसंख्या एवं अपर्याप्त जल प्रबंधन ने इस संकट को अधिक गंभीर कर दिया है। हाल के वर्षों में मॉरीशस के जलाशयों का स्तर तेजी से गिरकर वर्ष 2024 में 92.6% से घटकर मात्र 38.2% रह गया है। 

मॉरीशस के जल संकट के कारण

  • जलवायु परिवर्तन एवं घटती वर्षा : मॉरीशस में विगत 89 वर्षों (1931-2020) के वर्षा प्रतिरूप के विश्लेषण से पता चलता है कि वर्षा में कमी आई है। उष्णकटिबंधीय चक्रवात एवं गर्म होते समुद्र से जलवायु प्रतिरूप और अधिक अनिश्चित बनता जा रहा है जिससे सूखा अधिक गंभीर एवं बारंबार हो रहा है।
  • बढ़ती जनसंख्या व जल की मांग : वर्ष 1950 में मॉरीशस की जनसंख्या 4,79,000 थी, जो 2022 में बढ़कर 12.6 लाख हो गई। जनसंख्या वृद्धि से जल संसाधनों पर दबाव बढ़ा है, विशेष रूप से केंद्रीय पठार एवं तटीय क्षेत्रों में, जहाँ उद्योग, कृषि व व्यवसाय में जल का बड़े स्तर पर उपभोग होता है।
  • पुरानी जल संरचना : मॉरीशस की जलापूर्ति नदियों, झरनों व भूजल पर निर्भर है। हालाँकि, भूजल के अत्यधिक दोहन एवं पुरानी पाइपलाइनों से वर्ष 2020 में 60% जल रिसाव के कारण संसाधनों का भारी नुकसान हुआ है।
  • अप्रभावी जल प्रबंधन : वर्षा के दौरान नदियों का अतिरिक्त पानी समुद्र में प्रवाहित हो जाता है, जिसे संग्रहित करने की कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा, जल ट्रकों द्वारा आपूर्ति महँगी व अपर्याप्त है।

जल संकट के प्रभाव

  • कृषि एवं आजीविका पर प्रभाव : मॉरीशस की अर्थव्यवस्था में गन्ना उत्पादन महत्वपूर्ण है किंतु जल संकट के कारण गन्ने की सिंचाई पर रोक लगाने से किसानों की आजीविका प्रभावित हो रही है।
  • उद्योग एवं व्यवसाय : केंद्रीय पठार व तटीय क्षेत्रों में जल की कमी ने अधिक जल उपभोग वाले उद्योगों को प्रभावित किया है।
  • सामाजिक प्रभाव : जल संकट ने स्थानीय समुदायों के कल्याण को प्रभावित किया है। जल उपयोग पर कड़े प्रतिबंध (जैसे- कार धोने, बगीचों की सिंचाई और स्विमिंग पूल भरने पर रोक) लागू किए गए हैं। उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाया जा रहा है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव : भूजल का अत्यधिक दोहन एवं जलवायु परिवर्तन ने पारिस्थितिकी तंत्र को असंतुलित किया है जिससे दीर्घकालिक जल सुरक्षा खतरे में है।

अनुकूलन रणनीतियाँ

मॉरीशस, फ्रांस, अमेरिका एवं केन्या के शोधकर्ताओं की एक टीम ने जल संकट से निपटने के लिए निम्नलिखित रणनीतियाँ सुझाई हैं-

  • मिनी जलाशयों का निर्माण : मॉरीशस में 10 मिनी जलाशय बनाए जाएँ, जो प्राकृतिक जल प्रवाह को संग्रहित कर सकें। ये जलाशय 5,00,000 घन मीटर पानी संग्रहित कर सकते हैं जो सूखे के दौरान स्थिर आपूर्ति में मदद करेगा।
    • हालाँकि, इन जलाशयों के निर्माण में लगभग 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत आएगी, जो एक छोटे द्वीपीय राष्ट्र के लिए अत्यधिक राशि है।
  • मिश्रित वित्तपोषण (Blended Finance) : मॉरीशस सरकार को ग्रीन क्लाइमेट फंड जैसे संस्थानों से रियायती सार्वजनिक वित्तपोषण प्राप्त करना चाहिए, जिसमें आंशिक ऋण एवं आंशिक अनुदान शामिल हो।
    • इसके आलावा क्षेत्रीय विकास बैंकों से तकनीकी सहायता एवं सह-वित्तपोषण की व्यवस्था की जा सकती है।
  • प्रकृति-आधारित समाधान
    • वेटलैंड्स की बहाली : समुदायों को शामिल करके वेटलैंड्स को स्वच्छ एवं पुनर्बहाल किया जा सकता है जो भूमि की जल धारण क्षमता को बढ़ाएगा।
    • शहरी वन : शहरी क्षेत्रों में वृक्षारोपण जल संरक्षण में मदद करेगा।
    • जल-संवेदनशील शहरी डिज़ाइन : हरे छत, पारगम्य फुटपाथ एवं वर्षा उद्यान जैसे उपाय भूजल पुनर्भरण में सहायक होंगे।
  • स्मार्ट जल प्रबंधन प्रौद्योगिकियाँ
    • स्मार्ट वाटर मीटर : ये मीटर जल स्तर एवं रिसाव की जानकारी से बर्बादी को कम कर सकते हैं।
    • रिमोट सेंसिंग एवं जी.आई.एस. : ये तकनीकें जल उपयोग एवं बर्बादी की निगरानी में मदद करेंगी।
  • पुरानी पाइपलाइनों का उन्नयन : रिसाव को कम करने के लिए पुरानी पाइपलाइनों को बदलना आवश्यक है।
  • समुदाय-आधारित जल संरक्षण : घरेलू स्तर पर जल संरक्षण को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है क्योंकि मॉरीशस में सर्वाधिक जल का उपयोग घरों में होता है। रिसाव को ठीक करना और समुदाय-आधारित जल संरक्षण पहल बड़े पैमाने पर जल की बचत कर सकती हैं।
    • समुदायों को वर्षा जल संचयन प्रणालियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • नीतिगत सुधार एवं निजी क्षेत्र की भागीदारी : सरकार को निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी को सक्षम करने वाली नीतियाँ बनानी चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय जलवायु पहलों से अनुदान एवं निजी निवेश को मिलाकर जल प्रणालियों का अनुकूलन किया जा सकता है।
    • बाँधों की ऊँचाई बढ़ाने जैसे बुनियादी ढांचे के उन्नयन पर भी विचार करना चाहिए।

मॉरिशस के बारे में

  • परिचय : अफ़्रीकी महाद्वीप के तट के दक्षिण-पूर्व में लगभग 900 किमी. की दूरी पर हिंद महासागर में और मेडागास्कर के पूर्व में स्थित एक द्वीपीय देश है।
  • संरचना : यह अंत: समुद्री ज्वालामुखीय उद्गार से निर्मित है। 
  • शामिल द्वीप : इसमें मुख्य द्वीप मॉरीशस के साथ ही रॉड्रिक्स, अगलेगा व सेंट ब्रैंडन (कारगाडोस काराजोस शोल्स) भी शामिल हैं।
  • क्षेत्रफल : 2,040 वर्ग किमी.
  • राजधानी : पोर्ट लुईस
  • राजनीतिक व्यवस्था : संसदीय लोकतंत्र  
  • मुद्रा : मॉरिशियाई रुपया
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