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ग्लास सीलिंग : एक अदृश्य सामाजिक बाधा 

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन-1 : संवेदनशील वर्गों जैसे महिलाओं से संबंधित मुद्दे)

संदर्भ  

हिलेरी क्लिंटन ने कमला हैरिस के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में नामांकन के संदर्भ में ‘ग्लास सीलिंग’ अवधारणा की चर्चा की।

क्या है ग्लास सीलिंग (Glass Ceiling)

  • यह एक ऐसा सामाजिक रूपक है जिसका उपयोग आमतौर पर उन अदृश्य बाधाओं को दर्शाने के लिए किया जाता है जो महिलाओं एवं अल्पसंख्यकों के लिए करियर के शीर्ष तक पहुँचने में बाधा उत्पन्न करती हैं। 
  • यह एक अदृश्य किंतु बेहद प्रभावशाली सामाजिक ढांचा है जो महिलाओं व अन्य अल्पसंख्यकों को शीर्ष प्रबंधन एवं नेतृत्व की भूमिकाओं में आने से रोकता है।

ग्लास सीलिंग अवधारणा का उद्भव 

  • ग्लास सीलिंग की अवधारणा 1970 से 1980 के दशक में उभरी, जब यह देखा गया कि कार्यस्थल पर महिलाओं की संख्या बढ़ रही थी किंतु वे उच्च पदों पर बहुत कम संख्या में पहुँच रही थीं। 
  • यह समस्या न केवल उनके पेशेवर विकास को प्रभावित करती है बल्कि समाज में समग्र लैंगिक समानता को भी बाधित करती है।

ग्लास सीलिंग की अवधारणा के विकास के कारण

  • लिंग आधारित पूर्वाग्रह : महिलाओं को प्राय: कम निर्णायक या कम सक्षम माना जाता है, जिससे उच्च पदों के लिए उन पर उचित रूप से विचार नहीं किया जाता है।
  • वर्क-लाइफ बैलेंस : महिलाओं से अपने करियर एवं परिवार के बीच संतुलन बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है। इससे वे उच्च पदों के लिए आवश्यक अतिरिक्त समय एवं ऊर्जा नहीं दे पाती हैं।
  • प्रतिनिधित्व का अभाव : एक अन्य महत्वपूर्ण चुनौती वरिष्ठ पदों पर प्रतिनिधित्व एवं रोल मॉडल की कमी है। शीर्ष पदों पर महिलाओं की कमी एक ऐसे चक्र को जन्म देती है, जिसमें महत्वाकांक्षी महिला नेतृत्वकर्ताओं को मार्गदर्शन व रोल मॉडल की कमी होती है। इससे उनके लिए नेतृत्व पथ की कल्पना करना और उसका अनुसरण करना कठिन हो जाता है।
  • सीमित नेटवर्किंग अवसर : नेतृत्व के संदर्भ में महिलाओं के पास प्राय: सीमित नेटवर्किंग अवसर होते हैं। पेशेवर नेटवर्क कैरियर की उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पुरुष प्रधान नेटवर्किंग, महिलाओं के लिए पेशेवर संबंधों का लाभ उठाने की क्षमता में बाधक है।

ग्लास सीलिंग को तोड़ने के प्रयास

  • आरक्षण एवं कोटा : कई देशों में महिलाओं के लिए सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों में आरक्षण का प्रावधान किया गया है जिससे उन्हें ऊँचे पदों पर पहुँचने में मदद मिल सके।
    • उदाहरण, भारत में राजनीतिक क्षेत्र में महिला प्रतिनिधित्व में वृद्धि के लिए 33% आरक्षण की व्यवस्था।  
  • सशक्तिकरण एवं जागरूकता : महिलाओं के सशक्तिकरण और उनकी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए लक्षित शिक्षा एवं प्रशिक्षण पर जोर दिया जा रहा है। 
    • उदाहरण के लिए, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसी योजनाओं द्वारा जागरूकता का प्रसार। 
  • संस्थागत सुधार : कार्यस्थलों में लैंगिक समानता और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए नीतियों एवं प्रक्रियाओं में सुधार किए जा रहे हैं।
    • उदाहरणस्वरुप, कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम, 2013

निष्कर्ष

ग्लास सीलिंग जैसी गंभीर समस्या के समाधान के लिए सामाजिक व संस्थागत स्तर पर बदलाव लाने, महिलाओं व अल्पसंख्यकों को समान अवसर प्रदान करने तथा उनके प्रति पूर्वाग्रहों को समाप्त करने की आवश्यकता है। महिलाओं एवं अल्पसंख्यकों द्वारा ग्लास सीलिंग को तोड़ने से न केवल वे स्वयं सशक्त होते हैं, बल्कि पूरे समाज को बेहतरीकरण एवं समानता की ओर अग्रसर करते हैं।

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