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गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व

प्रारंभिक परीक्षा 

(राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ 

  • केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अनुसार, उत्तरी छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व को देश के 56वें टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किया गया है। 
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने अक्तूबर 2021 में गुरु घासीदास-तमोर पिंगला बाघ अभयारण्य को अधिसूचित करने के लिए अंतिम मंजूरी दी थी। इसकी सलाह पर छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे टाइगर रिज़र्व अधिसूचित किया। 
  • प्रोजेक्ट टाइगर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक केंद्र प्रायोजित योजना है। यह नामित बाघ अभयारण्यों में बाघ संरक्षण के लिए बाघ राज्यों को केंद्रीय सहायता प्रदान करती है।

गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व के बारे में 

  • घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, कोरिया, सूरजपुर एवं बलरामपुर जिलों में फैला हुआ है। 
  • यह आंध्र प्रदेश के नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और असम के मानस टाइगर रिजर्व के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बन गया है। 
  • अधिसूचित बाघ अभयारण्य मध्य प्रदेश में संजय दुबरी बाघ अभयारण्य से सटा हुआ है। साथ ही, यह अभयारण्य पश्चिम में मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य और पूर्व में झारखंड के पलामू बाघ अभयारण्य से जुड़ा हुआ है।
  • यह हसदेव व गोपद नदियों का का उद्गम क्षेत्र और बनास व रिहंद जैसी नदियों का जलग्रहण क्षेत्र है। यह बाघ अभयारण्य छोटा नागपुर पठार एवं आंशिक रूप से बघेलखंड पठार में स्थित है। 
  • इस अधिसूचना के साथ छत्तीसगढ़ में अब 4 टाइगर रिजर्व हो गए हैं जिससे प्रोजेक्ट टाइगर के तहत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से मिल रही तकनीकी व वित्तीय सहायता से इस प्रजाति के संरक्षण को मजबूती मिलेगी।
  • वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ में तीन टाइगर रिजर्व उदंती-सीतानदी, अचानकमार एवं इंद्रावती हैं। 

बाघ अभयारण्य को अधिसूचित या गैर-अधिसूचित करना 

  • अधिसूचना : वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38V के प्रावधानों के अनुसार, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की सलाह पर राज्य सरकार किसी क्षेत्र को बाघ अभयारण्य अधिसूचित कर सकती है।
  • परिवर्तन एवं अधिसूचना रद्द करना : वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38W के अनुसार, 
  • एन.टी.सी.ए. की अनुशंसा एवं राष्ट्रीय वन्य जीवन बोर्ड (NBWL) की मंजूरी से ही बाघ अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव किया जा सकता है।
  • राज्य सरकार एन.टी.सी.ए. एवं एन.बी.डब्ल्यू.एल. की मंजूरी के बाद ही केवल सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए बाघ अभयारण्य को गैर-अधिसूचित कर सकती है।
  • एन.बी.डब्ल्यू.एल. वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत गठित एक वैधानिक बोर्ड है जो वन्य जीव एवं वनों के विकास व संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण

पृष्ठभूमि 

  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है। इसका गठन वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत किया गया है।
  • इसका अध्यक्ष पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के प्रभारी मंत्री होते हैं जबकि उपाध्यक्ष पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में राज्य मंत्री होते हैं।

उद्देश्य

  • निर्देशों का कानूनी रूप से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर को वैधानिक प्राधिकार प्रदान करना
  • संघीय ढांचे के भीतर राज्यों के साथ समझौता ज्ञापन के लिए आधार प्रदान करके बाघ अभयारण्यों के प्रबंधन में केंद्र-राज्य की जवाबदेही को बढ़ाना
  • संसद द्वारा निगरानी की व्यवस्था करना और बाघ अभयारण्यों के आसपास के क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के आजीविका हितों को संबोधित करना
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