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भारतीय अंटार्कटिक विधेयक, 2022

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

संदर्भ
हाल ही में, संसद ने भारतीय अंटार्कटिक विधेयक, 2022 पारित किया है। अंटार्कटिक (Antarctica) क्षेत्र के प्रति वैश्विक आकर्षण का मुख्य कारण इसकी परमाणु ऊर्जा खनिजों से संपन्न होना है। अत: भारत के लिये अंटार्कटिक क्षेत्र के प्रति रुझान, अनुसंधान एवं संबंधित मुद्दों पर चर्चा करना आवश्यक है। अंटार्कटिक दक्षिण अक्षांश के 60 डिग्री दक्षिण में स्थित एक प्राकृतिक रिजर्व है।

पृष्ठभूमि  

  • भारत की अंटार्कटिक क्षेत्र के प्रति रूचि फरवरी 1956 में तब प्रारंभ हुई, जब भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के ग्यारहवे एजेंडे में ‘अंटार्कटिका पर प्रश्न’ नामक शीर्षक से एक अनुरोध प्रस्तुत किया। भारत ऐसा करने वाला प्रथम देश था।
  • इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि इस विशाल क्षेत्र और इसके संसाधनों का उपयोग पूरी तरह से शांतिपूर्ण उद्देश्यों तथा सामान्य कल्याण के लिये किया जा सके।
  • आर्कटिक क्षेत्र में साझा हित रखने वाले 12 देशों ने 1 दिसम्बर, 1959 को वाशिंगटन डी.सी. में अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर किये। हालाँकि, भारत उस समय इस संधि में शामिल नहीं हुआ।
  • वर्तमान में इसके सदस्यों की संख्या 54 है। इनमें से केवल 28 देशों को ही अंटार्कटिक सहालकार बैठकों में मतदान का अधिकार है जिनमें भारत भी शामिल है। भारत ने अगस्त 1983 में अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर किये थे।
  • मई 1980 में ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में अंटार्कटिक समुद्री जीवन संसाधन संरक्षण अभिसमय पर हस्ताक्षर किये गए। भारत ने जून 1985 में इस पर हस्ताक्षर किये और वह इस संधि के तहत अंटार्कटिक समुद्री जीवन संसाधन संरक्षण आयोग का सदस्य है
  • अक्टूबर 1991 में पर्यावरण संरक्षण पर मैड्रिड में अंटार्कटिक संधि के लिये प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये गए थे। भारत ने जनवरी 1998 में इस प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये।

भारतीय अंटार्कटिक विधेयक, 2022

  • इस विधेयक में अंटार्कटिक से संबंधित नीतियों के निर्धारण के लिये ‘भारतीय अंटार्कटिक प्राधिकरण’ (IAA) की स्थापना का प्रावधान है जिसका संचालन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा किया जाएगा तथा इसके सचिव को आई.ए.ए. का अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा।
  • यह विधेयक सुस्थापित कानूनी तंत्रों के माध्यम से भारत की अंटार्कटिक गतिविधियों के लिये एक सामंजस्यपूर्ण नीति और नियामक ढांचा प्रदान करता है तथा यह भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम के कुशल व वैकल्पिक संचालन में भी सहायता प्रदान करेगा।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय दृश्यता और ध्रुवीय क्षेत्र में भारत की विश्वसनीयता को बढ़ाने में भी सहायता करेगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग तथा वैज्ञानिक एवं रसद क्षेत्रों में सहयोग मिल सकेगा।
  • यह विधेयक अंटार्कटिक के कुछ क्षेत्रों में विवाद अथवा अपराध की स्थिति से निपटने के लिये भारतीय न्यायपालिका को सशक्त बनाता है।
  • साथ ही, यह विधेयक अंटार्कटिक संधि, पर्यावरण संरक्षण पर प्रोटोकॉल (मैड्रिड प्रोटोकॉल) और अंटार्कटिक समुद्री जीव संसाधन संरक्षण अभिसमय के प्रति भारत के दायित्व के अनुरूप है।

आर्कटिक (Arctic)

  • कुछ दिनों पूर्व केंद्र सरकार ने भारत की आर्कटिक नीति जारी की है, जिसमें 6 स्तंभ शामिल हैं।
  • भारत का आर्कटिक क्षेत्र के साथ जुड़ाव वर्ष 1920 में स्वालबार्ड संधि पर हस्ताक्षर के साथ शुरू हुआ। वर्ष 2007 में भारत ने जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपना आर्कटिक अनुसंधान कार्यक्रम शुरू किया।
  • पहला राष्ट्रीय आर्कटिक अनुसंधान स्टेशन ‘हिमाद्री’ वर्ष 2008 में खोला गया था।

विधेयक के उद्देश्य

  • भारत द्वारा अंटार्कटिक पर्यावरण और इस पर आश्रित व संबद्ध पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिये राष्ट्रीय उपाय करना।
  • अंटार्कटिक क्षेत्र में खनन या अवैध गतिविधियों से छुटकारा पाने के साथ-साथ क्षेत्र का विसैन्यीकरण सुनिश्चित करना।
  • अंटार्कटिक अभियान और अनुसंधान के प्रयोजन एवं पर्यवेक्षण के लिये एक स्थिर, पारदर्शी व जवाबदेही व्यवस्था को सुनिश्चित करना।
  • इस क्षेत्र में कोई परमाणु परीक्षण/विस्फोट गतिविधि को रोकना।

भारत के अंटार्कटिक अभियान 

  • भारत का ध्रुवीय अन्वेषण वर्ष 1981 में प्रथम भारतीय अंटार्कटिक अभियान के साथ प्रारंभ हुआ। ‘दक्षिण गंगोत्री’ नाम का पहला मानवरहित अंटार्कटिक अनुसंधान केंद्र वर्ष 1983 में खोला गया था।
  • वर्तमान में अंटार्कटिक में भारत के ‘मैत्री’ (वर्ष 1988) और ‘भारती’ (वर्ष 2012) नामक दो मानवयुक्त अनुसंधान केंद्र संचालन अवस्था में हैं। भारत ने अप्रैल 2021 में अपना 40वाँ वैज्ञानिक अभियान पूरा किया और नवंबर 2021 में 41वें वैज्ञानिकअभियान की शुरुआत की।
  • गोवा स्थित नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च (NCPOR), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है जो पूरे भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम का प्रबंधन करता है।

निष्कर्ष 

इस विधेयक के माध्यम से बढ़ते अंटार्कटिक पर्यटन और मत्स्य संसाधनों के सतत विकास के प्रबंधन में भारत की बढती रूचि और सक्रीय भागीदारी को अधिक सुविधाजनक बनाने की अपेक्षा की जा रही है। यह विधेयक भारत को अंटार्कटिक गतिविधियों के लिये अंतर्राष्ट्रीय संधियों के अनुरूप एक व्यापक कानूनी वैधता प्रदान करेगा। हालाँकि, भावी ध्रुवीय अनुसंधानों को पूर्णत: आत्मनिर्भर बनाने के लिये एक स्वदेशी ध्रुवीय अनुसंधान जहाज़ आवश्यक है।

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