New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 30 July, 11:30 AM July End Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 28th July 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 30th July, 8:00 AM July End Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 28th July 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 30 July, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 30th July, 8:00 AM

राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज संस्थान

संदर्भ 

संसदीय स्थायी समिति ने राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (National Institute of Rural Development and Panchayati Raj: NIRDPR) के बजट आवंटन में कमी तथा उसे ग्रामीण विकास मंत्रालय से अलग करने के केंद्र सरकार के निर्णय की आलोचना की है।

राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान के बारे में 

पृष्ठभूमि 

  • वर्ष 1958 में मसूरी में राष्ट्रीय सामुदायिक विकास संस्थान के रूप में स्थापित
  • वर्ष 1965 में हैदराबाद परिसर में स्थानांतरित
  • वर्ष 1977 में इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान
  • 4 दिसंबर, 2013 से इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान 
  • संस्थान के दिल्ली, गुवाहाटी एवं वैशाली में भी केंद्र 

कार्य 

  • एन.आई.आर.डी.पी.आर. ग्रामीण विकास मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय के लिए एक थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है।
  • यह ग्रामीण विकास, पंचायती राज और संबद्ध क्षेत्र पर ज्ञान का भंडार है।
  • यह अपनी विभिन्न प्रशिक्षण और अनुसंधान गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों/योजनाओं के नीति निर्माण, विकास एवं कार्यान्वयन में सरकार की सहायता करता है।

संसदीय समिति का तर्क 

राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को कमज़ोर करना

  • समिति का तर्क है कि एन.आई.आर.डी.पी.आर. को ग्रामीण विकास मंत्रालय से अलग करना केवल प्रशासनिक ही नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास प्राथमिकताओं से भी विचलन है। 
  • एन.आई.आर.डी.पी.आर. की वैश्विक मान्यता, योग्य संकाय एवं बुनियादी ढाँचा इसे ग्रामीण पदाधिकारियों तथा निर्वाचित प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण के लिए आधारशिला बनाते हैं।

वित्तीय एवं परिचालन जोखिम

  • न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन सिद्धांत से प्रेरित यह कदम लागत को कम नहीं करेगा, बल्कि उन्हें असंबंधित अधिदेश वाली एजेंसियों को स्थानांतरित कर देगा, जिससे ग्रामीण विकास मंत्रालय का निगरानी भार बढ़ जाएगा। 
  • वित्तीय अस्थिरता एन.आई.आर.डी.पी.आर. को प्रमुख ग्रामीण योजनाओं के समर्थन से विचलित कर सकती है।

प्रशासनिक विफलताएँ

  • विघटन (Disengagement) योजना में आंतरिक समीक्षा या बाह्य सत्यापन का अभाव है, जो खराब नियोजन को दर्शाता है। 
  • बुनियादी ढाँचे की उपेक्षा, तदर्थ स्थानांतरणों के कारण संकाय के मनोबल में कमी, अनसुलझे सतर्कता मामले और विलंबित पदोन्नति ने विगत चार वर्षों में एन.आई.आर.डी.पी.आर. को पंगु बना दिया है।

सुझाव

  • रणनीतिक सहयोग : समिति संरचनात्मक सुधारों, विकेंद्रीकृत निर्णय लेने और स्वायत्तता एवं विकास सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त बजटीय अनुदानों के माध्यम से ग्रामीण विकास मंत्रालय तथा एन.आई.आर.डी.पी.आर. के बीच गहरे संबंधों की वकालत करती है।
  • प्रशासनिक सुधार : यह संकाय विश्वास एवं संगठनात्मक सामंजस्य बहाल करने के लिए वर्तमान प्रशासन को बदलने का आह्वान करती है।

निष्कर्ष

संसदीय समिति की रिपोर्ट एन.आई.आर.डी.पी.आर. को अलग करने के केंद्र के कदम की आलोचना करती है और इसे अदूरदर्शितापूर्ण बताती है जिससे ग्रामीण विकास में इसकी भूमिका खतरे में पड़ रही है।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR