New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Teachers Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM Teachers Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग 

प्रारंभिक परीक्षा – परिसीमन आयोग
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - संघीय ढाँचे से सम्बंधित विषय एवं चुनौतियाँ, विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ, सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय

सन्दर्भ 

  • हाल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जम्मू और कश्मीर परिसीमन आयोग के गठन को  चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया गया।

जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग 

  • भारत सरकार ने परिसीमन अधिनियम, 2002 के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में जम्मू और कश्मीर परिसीमन आयोग का गठन किया था। 
  • इसका उद्देश्य विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करना था। 
  • परिसीमन वर्ष 2011 की जनगणना पर आधारित है।
  • जम्मू और कश्मीर का अंतिम परिसीमन वर्ष 1995 में किया गया था जब यह राज्य राष्ट्रपति शासन के अधीन था। 
  • जम्मू और कश्मीर विधानसभा द्वारा वर्ष 2002 में जम्मू और कश्मीर जनप्रतिनिधित्त्व अधिनियम में संशोधन कर वर्ष 2026 तक परिसीमन पर रोक लगा दी गई थी।
  • जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की कुल संख्या 107 से बढ़ाकर 114 कर दी गयी है। 
    • इन 114 में से 24 सीटें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी PoK के लिए आरक्षित हैं, जो खाली रहेंगी।
  • परिसीमन आयोग ने विधानसभा के लिये सात अतिरिक्त निर्वाचन क्षेत्रों की सिफारिश की है, जिससे जम्मू संभाग में सीटों की संख्या 37 से 43 और कश्मीर घाटी में यह संख्या 46 से 47 हो गई है। 
  • संविधान के अनुच्छेद 330 व 332 तथा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के अनुसार परिसीमन आयोग ने अनुसूचित जनजाति (STs) के लिये 9 विधान सभा क्षेत्र आरक्षित किये हैं। 
  • अनुसूचित जनजाति (एस.टी.) के लिये पहली बार सीटें आरक्षित की गईं हैं, पहले जम्मू और कश्मीर राज्य के संविधान ने विधान सभा में एस.टी. के लिये सीटों के आरक्षण का प्रावधान नहीं किया था। 
  • जम्मू-कश्मीर में कुल पांच संसदीय क्षेत्र (बारामूला, श्रीनगर, अनंतनाग-राजौरी, उधमपुर और जम्मू) हैं, और पहली बार सभी में समान संख्या में विधान सभा क्षेत्र (18) होंगे। 
  • सभी विधानसभा क्षेत्र संबंधित जिले की सीमा के भीतर रहेंगे। 
  • परिसीमन आयोग ने सभी 20 जिलों को तीन व्यापक श्रेणियों में वर्गीकृत किया -  
    • ए- मुख्य रूप से पहाड़ी और कठिन क्षेत्रों वाले जिले
    • बी- पहाड़ी और समतल क्षेत्रों वाले जिले
    • सी- मुख्य रूप से समतल क्षेत्रों वाले जिले

परिसीमन आयोग की अन्य सिफारिशें

  • विधानसभा में कश्मीरी प्रवासियों के समुदाय से कम से कम दो सदस्यों (उनमें से एक महिला होनी चाहिये) का प्रावधान, जिनको पुडुचेरी की विधान सभा के मनोनीत सदस्यों के समान शक्ति दी जा सकती है।
  • केंद्र सरकार पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर से विस्थापित व्यक्तियों के प्रतिनिधियों के नामांकन के माध्यम से विधान सभा में कुछ प्रतिनिधित्व देने पर विचार कर सकती है।

परिसीमन

  • ‘परिसीमन’ का शाब्दिक अर्थ है किसी देश या प्रांत में विधायी निकाय वाले निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की प्रक्रिया।
  • जनसंख्या में हुए परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करने के लिये लोक सभा व विधान सभा सीटों की सीमाओं के पुनर्गठन और पुनर्वितरण का कार्य परिसीमन कहलाता है। 
  • इस प्रक्रिया में, किसी राज्य को आवंटित सीटों की संख्या में परिवर्तन किया भी जा सकता है और नहीं भी। हालाँकि, किसी राज्य में एस.सी. और एस.टी. सीटों की संख्या को जनगणना के अनुसार बदल दिया जाता है।
  • परिसीमन का उद्देश्य जनसंख्या के समान खण्डों के लिये विधायिका में समान प्रतिनिधित्त्व प्रदान करने के साथ-साथ भौगोलिक क्षेत्रों का इस प्रकार से उचित विभाजन करना है, जिससे किसी भी राजनीतिक दल को कोई अतिरिक्त लाभ न हो।
  • साथ ही, परिसीमन का उद्देश्य ‘एक मत एक मूल्य’ के सिद्धांतों का अनुपालन करना भी है।
  • उल्लेखनीय है कि परिसीमन आयोग के आदेशों को किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है। ये आदेश लोकसभा और सम्बंधित राज्य विधानसभाओं के समक्ष प्रस्तुत किये जाते हैं परंतु इसमें संशोधनों की अनुमति नहीं होती है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X