New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM Mid Year Mega Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 17th June 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM Mid Year Mega Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 17th June 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM

ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था और संभावित दिशा

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 : कूटनीति)

संदर्भ

  • हाल ही में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा ब्राज़ील के अमेज़ोनिया -1 (Amazonia-1) उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया गयाहै। कुछ दिनों पूर्व, भारत ने ब्राज़ील को कोविड-19 की वैक्सीन निर्यात किये जाने की अनुमति दी थी।
  • यदि एक-साथ देखा जाए तोतकनीकी और वैज्ञानिक सहयोग के ये दो उदाहरण न सिर्फ भारत की सशक्त कूटनीतिक क्षमता को प्रदर्शित करते हैं, बल्कि कूटनीतिक सहयोगों के माध्यम से ये भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाओं को विस्तार भी देते हैं। 

प्रमुख बिंदु

  • उपग्रह प्रक्षेपणव फार्मास्यूटिकल्स निर्यात के लिये प्रतिस्पर्धी मूल्य-निर्धारण का श्रेय पूरी तरह से भारतीय इंजीनियरिंग, वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञों को जाता है।सस्ती सेवा लागत कीवजह से भारत विश्व में ज्ञान और तकनीक, दोनों क्षेत्रों में अग्रणी सेवाएँ प्रदान कर रहा है।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत, विकासशील देशों को,जैसी सेवाएँ प्रदान कर रहा है, उन्हें विकसित देश या तो उपलब्ध कराने को तैयार नहीं हैं या वे इन सेवाओं के लियेअधिकमूल्य की माँग करते हैं।
  • भारतीय शैक्षिक संस्थानों ने विदेशी छात्रों को बड़ी संख्या में आकर्षित किया था क्योंकि विदेशी संस्थानों की तुलना में ये संस्थान कम लागत पर अच्छी व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे थे।
  • खाद्य और कृषि संगठन (FAO) , संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO) और अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) जैसे वैश्विक संगठनों द्वारा समय-समय पर भारत की सलाह व सहायता ली जाती रही है।
  • रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विसेज़ (RITES) ने अफ्रीका और एशियाई देशों में अपना कारोबार स्थापित करने के साथ ही वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
  • भारत के डेयरी और पशुधन क्षेत्रों ने भी विगतकुछ वर्षों में अपनी वैश्विक उपस्थिति दर्ज कराई है। 

क्या हैं रुकावटें?

  • ऐसा देखा जा रहा है कि अब भारतीय संस्थानों में शिक्षा प्राप्त करने वाले विदेशी छात्रों की संख्यानिरंतर कम हो रही है। विशेषज्ञों के अनुसार संस्थागत शिथिलता, गिरता शैक्षिक स्तर और एक सर्वसुलभ सर्वांगीण शिक्षा व्यवस्था का अभाव इसके प्रमुख कारण हैं।
  • इनके अलावा, वर्तमान में अंतरिक्ष, फार्मा और सूचना-प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में भारत की वैश्विक स्थिति कमज़ोर हुई है और अन्य क्षेत्रोंमें इसकी पकड़ घटी है।
  • इन सभी क्षेत्रों में चीन का बढ़ता प्रभुत्वव नीतिगत अक्षमता भी भारत की गिरती साख के प्रमुख कारण हैं।

निष्कर्ष

ज्ञान आधारित उद्योगोंसे जुड़ी भारतीय कूटनीतिक क्षमता और भारत के ‘सॉफ्ट पावर’स्टेटस की वजह सेअंतरिक्ष और फार्मा क्षेत्र में भारत की वैश्विक स्वीकार्यता बढ़ी है। हालाँकि, यदि तथ्यात्मक रूप से देखा जाए तो ये क्षेत्र महज़ अपवाद ही हैं क्योंकि भारत अभी भी अन्य क्षेत्रों में नीतिगत उत्कृष्टता के लिये पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR