New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM Independence Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 15th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM Independence Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 15th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM

वन डे वन जीनोम

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं नवाचार परिषद (BRIC) ने भारत की विशाल सूक्ष्मजीवीय क्षमता को दर्शाने के लिए ‘वन डे वन जीनोम’ पहल की शुरुआत की है। 

वन डे वन जीनोम पहल के बारे में

  • दिल्ली स्थित राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (NII) में आयोजित ब्रिक (BRIC) के पहले स्थापना दिवस पर ‘वन डे वन जीनोम पहल’ की शुरुआत की घोषणा की गई थी।
  • यह पहल भारत में पाए जाने वाले जीवाणुओं की अलग-अलग प्रजातियों को उजागर करेगी और पर्यावरण, कृषि एवं मानव स्वास्थ्य में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाएगी।
  • जीनोम अनुक्रमण से सूक्ष्मजीवों की छिपी हुई क्षमता को बड़े पैमाने पर सामने लाया जा सकेगा। अनुक्रमण आंकड़ों (Sequencing Data) का विश्लेषण करके विभिन्न महत्वपूर्ण एंजाइमों, रोगाणुरोधी प्रतिरोध, जैव सक्रिय यौगिकों आदि के लिए जीनोम एन्कोडेड क्षमताओं की पहचान की जा सकती है।
  • इस पहल का समन्वय जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं नवाचार परिषद और राष्ट्रीय जैव चिकित्सा जीनोमिक्स संस्थान (BRIC-NIBMG) द्वारा किया गया है। इस पहल का उद्देश्य देश में पृथक किए गए पूर्ण रूप से एनोटेट जीवाणु जीनोम (Annotated Bacteriological Genome) को जन सामान्य के लिए स्वतंत्र रूप से उपलब्ध कराना है। 

सूक्ष्मजीवों का महत्त्व 

  • सूक्ष्मजीव पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं। वे सभी प्रकार के जैव-रासायनिक चक्रों, मृदा निर्माण, खनिज शोधन, जैविक कचरे के अपघटन और मीथेन उत्पादन के साथ-साथ विषाक्त प्रदूषकों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
  • संचयी रूप से ये पृथ्वी पर समान स्थिति को बनाए रखने में मदद करते हैं। कृषि में ये पोषक चक्रण, नाइट्रोजन के निर्धारण, मृदा की उर्वरता बनाए रखने, कीट एवं खरपतवारों तथा अवांछनीय प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। 

इन्हें भी जानिए!

जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं नवाचार परिषद (BRIC)

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने अपने 13 स्वायत्त संस्थानों को सम्मिलित करके एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में एक स्वायत्त निकाय ‘जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं नवाचार परिषद’ का सृजन किया है। 

राष्ट्रीय प्रतिरक्षाविज्ञान संस्थान (NII)

इसे सोसायटी पंजीकरण अधिनियम (1860 के XXI) के तहत 24 जून, 1981 को स्वायत्त सोसायटी के रूप में पंजीकृत किया गया था31 मार्च 1982 को ‘आईसीएमआर-डव्ल्यूएचओ अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र’ का विलय औपचारिक रूप से ‘राष्ट्रीय प्रतिरक्षाविज्ञान संस्थान’ के साथ कर दिया गयाराष्ट्रीय प्रतिरक्षाविज्ञान संस्थान के भवन को औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 6 अक्तूबर, 1986 को राष्ट्र को समर्पित किया। 

राष्ट्रीय जैव चिकित्सा जीनोमिक्स संस्थान (NIBMG)

राष्ट्रीय जैव चिकित्सा जीनोमिक्स संस्थान (NIBMG) को भारत सरकार द्वारा जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तत्वावधान में एक स्वायत्त संस्थान के रूप में स्थापित किया गया है। यह भारत का पहला संस्थान है जो बायोमेडिकल जीनोमिक्स में अनुसंधान, प्रशिक्षण, अनुवाद एवं सेवा तथा क्षमता निर्माण के लिए समर्पित है। यह कोलकाता के पास कल्याणी में स्थित है।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X