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राभा जनजाति

  • कौन हैं : असम एवं पूर्वोत्तर भारत में निवास करने वाला एक तिब्बती-बर्मी समुदाय  
  • प्रसार :  मुख्यत: ग्वालपाड़ा, कामरूप एवं दरंग जिलों में के साथ-साथ मेघालय, पश्चिम बंगाल व बांग्लादेश से सटे इलाकों में 
  • प्रमुख निवास : मुख्यत: निचले असम व दोआर के मैदानों में और कुछ गारो पहाड़ियों में  
    • दोआर के ज़्यादातर राभा स्वयं को ‘राभा’ कहते हैं लेकिन उनमें से कुछ प्राय: खुद को ‘कोचा (Kocha)’ कहते हैं।
    • राभा किसी भी अन्य बोरो (Boro) समूह की तुलना में गारो के साथ अधिक संबद्ध हो गए हैं।
  • मिश्रित संस्कृति : अपनी एक समृद्ध, बहुआयामी एवं विशिष्ट संस्कृति 
    • राभा की कृषि पद्धतियाँ, खान-पान की आदतें और विश्वास प्रणालियाँ आर्य एवं मंगोल दोनों संस्कृतियों की विशेषताओं का मिश्रण दर्शाती हैं। 
  • सामाजिक विशेषता : मातृसत्तात्मक समाज 
    • पुरुष व महिलाएँ दोनों खेतों में काम करते हैं। महिलाएँ रंगीन कपड़े पहनना पसंद करती हैं जिन्हें वे खुद बुनती हैं और वे बहुत सारे मोतियों व चाँदी के गहने पहनती हैं। 
  • अर्थव्यवस्था : कृषि पर आधारित 
  • आहार : मांसाहारी और मुख्य भोजन चावल
  • राभा की उप-जनजातियां : रंगदानी (Rangdani), पाटी (Pati), मैतोरी (Maitori), तोतला (Totla), बितालिया (Bitalia) एवं संघा (Sangha)
  • आस्था प्रणाली : मुख्य रूप से सर्वात्मवादी (Animistic) प्रकृति की
    • वे दुष्ट एवं दयालु (परोपकारी) दोनों तरह की आत्माओं में विश्वास करते हैं।
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