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यूनेस्को के विश्व धरोहर सूची में शामिल मराठा सैन्य परिदृश्य

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: भारतीय संस्कृति के प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू; 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय)

संदर्भ 

पेरिस में आयोजित विश्व धरोहर समिति (World Heritage Committee: WHC) के 47वें सत्र के दौरान मराठा शासकों द्वारा परिकल्पित असाधारण किलेबंदी एवं सैन्य व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने वाले 12 ‘मराठा सैन्य परिदृश्य’ को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। इसके साथ ही भारत के यूनेस्को विश्व विरासत स्थलों की संख्या बढ़कर 44 हो गई है

सूची में शामिल मराठा सैन्य परिदृश्य

  • सलहेर किला : 1672 ई. में मराठा साम्राज्य और मुग़लों के बीच हुए सलहेर युद्ध के लिए प्रसिद्ध है। 
    • यह पहला युद्ध था जिसमें मराठा सेना ने मुग़ल सेना को पराजित किया था।
  • शिवनेरी किला : शिवनेरी किले में ही 1630 ई. में छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म हुआ था।
  • लोहगढ़ : सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में स्थित यह किला शिवाजी महाराज के सेनापति जिजाऊरकर किले के रूप में प्रसिद्ध है। 
  • खंडेरी किला : 1679 ई. में शिवाजी महाराज के आदेश पर मायनाक भंडारी के नेतृत्व में मराठा सेना द्वारा निर्मित यह किला एक छोटे समुद्री द्वीप पर स्थित है
  • रायगढ़ : 1674 ई. में रायगढ़ किला को छत्रपति शिवाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की राजधानी बनाया था। इसी किले में छत्रपति शिवाजी महाराज का समाधि स्थल भी है।
  • राजगढ़ : यह किला सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में रायगढ़ किले के नजदीक स्थित है।
  • प्रतापगढ़ : यह किला शिवाजी द्वारा 1656 ई. में बनवाया गया था। किले का सबसे प्रसिद्ध इतिहास 1659 ई. की प्रतापगढ़ के युद्ध से जुड़ा है, जिसमें शिवाजी ने आदिलशाही के सेनापति अफजल खान को हराया था। किले के अंदर शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित प्रसिद्ध ‘माताजी मंदिर’ है।
  • सुवर्णदुर्ग : अरब सागर में स्थित इस समुद्री किले (Sea Fort) का निर्माण मूलतः अदिलशाही राजवंश के शासनकाल में किया गया था। 1660 के दशक में शिवाजी महाराज ने इस पर अधिकार कर लिया। 
  • पन्हाला किला : पन्हाला किले का निर्माण 12वीं सदी में शिलाहार राजा भोज द्वितीय (Raja Bhoja II) ने करवाया था। बीजापुर सल्तनत (आदिलशाही) के शक्तिशाली सेनापति सिद्धी जौहर ने इसी किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की घेराबंदी की थी।  
  • विजय दुर्ग : मूल रूप से 13वीं सदी में शिलाहार वंश के राजा भोज द्वारा निर्मित। 1653 ई. में छत्रपति शिवाजी ने इस किले को बीजापुर के सुल्तानों से जीतकर मराठा साम्राज्य में शामिल किया।
  • सिंधुदुर्ग : 1664 ई. में शिवाजी ने इस किले का निर्माण करवाया था। किले के भीतर छत्रपति शिवाजी महाराज को समर्पित शिवराजेश्वर मंदिर है जिसमें शिवाजी महाराज के हथेली और पाँव के छाप पत्थर पर सुरक्षित रखे हैं। किले के अंदर मीठे पानी के कुएं हैं जो समुद्र के बीच होते हुए भी खारे नहीं हैं।
  • जिंजी किला (तमिलनाडु) : छत्रपति राजाराम महाराज (शिवाजी के पुत्र) ने 1690 ई. में मुगलों से बचने के लिए जिंजी किले को मराठा राजधानी बनाया। यह तीन पर्वत चोटियों– राजगिरी, कृष्णगिरी एवं चंद्रायणदुर्ग पर फैला है। इसे ‘दक्षिण का जिब्राल्टर (Gibraltar of the East)’ कहा जाता है। 

विशेषताएँ 

  • इनमें से ग्यारह किले महाराष्ट्र में और एक तमिलनाडु में स्थित है। मराठा सैन्य परिदृश्य का विकास 17वीं से 19वीं सदी के मध्य किया गया था।
  • ये किले सैन्य अभियांत्रिकी, सामरिक भौगोलिक अनुकूलन और स्वदेशी निर्माण तकनीकों के असाधारण उदाहरण हैं।

विश्व धरोहर समिति के बारे में 

  • विश्व धरोहर समिति, विश्व सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण के लिए अभिसमय को संचालित करने वाली संस्था है। 
  • अभिसमय के 195 सदस्य देशों द्वारा निर्वाचित यह समिति 21 देशों के प्रतिनिधियों से निर्मित है।
  • यह समिति अभिसमय के कार्यान्वयन और विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए नए प्रस्तावों की जाँच के लिए उत्तरदायी है।
  • यूनेस्को के सलाहकार निकायों एवं सचिवालय द्वारा किए गए विश्लेषणों के आधार पर यह समिति पहले से सूचीबद्ध स्थलों के संरक्षण की स्थिति का भी आकलन करती है।
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