चर्चा में क्यों?
सिक्किम में सीमावर्ती पर्यटन को नई दिशा देते हुए मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने आज सुबह ‘भारत रणभूमि दर्शन’ पहल के तहत चो ला और डोक ला जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सीमावर्ती स्थलों को आधिकारिक रूप से पर्यटकों के लिए खोल दिया।

चो ला और डोक ला: रणनीतिक एवं ऐतिहासिक महत्व:
- चो ला दर्रा और डोक ला क्षेत्र भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और सामरिक रणनीति के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
- ये दोनों स्थल हिमालयी सीमा क्षेत्र में स्थित हैं और भारत–चीन सीमा के समीप होने के कारण विशेष संवेदनशीलता रखते हैं।
- ऐतिहासिक रूप से यह क्षेत्र सैन्य गतिविधियों, सीमा प्रबंधन और रणनीतिक निगरानी के लिए जाना जाता रहा है।
- चो ला दर्रा प्राचीन काल से ही तिब्बत और भारतीय उपमहाद्वीप के बीच संपर्क का मार्ग रहा है।
- वहीं डोक ला क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत, भूटान और चीन के समीप स्थित त्रि-जंक्शन क्षेत्र के पास आता है।
- इस कारण यह क्षेत्र क्षेत्रीय संतुलन और सुरक्षा रणनीति में विशेष स्थान रखता है।
भारत रणभूमि दर्शन’ पहल क्या है?
- भारत रणभूमि दर्शन रक्षा मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय की एक संयुक्त पहल है,
- उद्देश्य:
- सीमावर्ती और रणनीतिक क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देना
- सैन्य इतिहास और रणभूमि स्थलों को राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक के रूप में विकसित करना
- सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करना
- दूरस्थ सीमावर्ती गांवों में रहने वाले नागरिकों की आजीविका और जीवन स्तर में सुधार करना
- यह पहल देश की सीमाओं को केवल सुरक्षा क्षेत्र ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय विरासत और पर्यटन संभावनाओं के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारतीय सेना और केंद्र सरकार की भूमिका:
- मुख्यमंत्री ने इस पहल के सफल क्रियान्वयन के लिए भारत सरकार,पर्यटन मंत्रालय और भारतीय सेना का आभार व्यक्त किया।
- उन्होंने आश्वासन दिया कि आने वाले समय में इन क्षेत्रों में सड़क, संचार, पर्यटक सुविधाओं और अन्य बुनियादी ढांचे का विकास निरंतर जारी रहेगा।
- इसके साथ ही, तामांग ने सुपरकार रैली के आयोजन के लिए भारतीय सेना को धन्यवाद दिया और जीओसी श्री राठौर एवं उनकी टीम के प्रयासों की सराहना की, जिनके सहयोग से इस आयोजन और क्षेत्रीय प्रचार को नई गति मिली।
सीमावर्ती पर्यटन और स्थानीय विकास को मिलेगा बढ़ावा:
- चो ला और डोक ला के पर्यटन के लिए खुलने से:
- सीमावर्ती पर्यटन को नया आयाम मिलेगा
- स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे
- सड़क, संचार और आतिथ्य सेवाओं का विस्तार होगा
- सीमावर्ती गांवों का सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण होगा
सिक्किम:

- भारत-सिक्किम सीमा रणनीतिक, भौगोलिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- सिक्किम भारत का एक सीमावर्ती हिमालयी राज्य है, जो तीन देशों-चीन (तिब्बत क्षेत्र), भूटान और नेपाल से जुड़ा हुआ है।
भौगोलिक स्थिति:
- सिक्किम की उत्तरी और पूर्वी सीमा चीन (तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र) से लगती है।
- पश्चिम में सिक्किम की सीमा नेपाल से और दक्षिण–पूर्व में भूटान से मिलती है।
- दक्षिण में सिक्किम की सीमा पश्चिम बंगाल से लगती है।
भारत-चीन (सिक्किम सेक्टर) सीमा:

- भारत-चीन सीमा का सिक्किम सेक्टर लगभग 220 किमी लंबा है।
- यह सीमा अत्यधिक ऊँचाई, बर्फीले दर्रों और दुर्गम भूभाग से युक्त है।
- प्रमुख दर्रे:
- नाथू ला दर्रा (भारत–चीन व्यापार मार्ग)
- चो ला दर्रा (रणनीतिक महत्व)
- यह क्षेत्र लिपुलेख या लद्दाख की तुलना में अपेक्षाकृत शांत माना जाता है, लेकिन सामरिक रूप से संवेदनशील है।
डोक ला क्षेत्र का महत्व:
- डोक ला पठार सिक्किम, भूटान और चीन के समीप स्थित क्षेत्र है।
- यह क्षेत्र भारत की सिलीगुड़ी कॉरिडोर (Chicken’s Neck) की सुरक्षा से जुड़ा है।
- 2017 में डोकलाम विवाद के बाद यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- सिक्किम 1975 में भारत का 22वां राज्य बना।
- इसके बाद से भारत–चीन सीमा पर सिक्किम सेक्टर को लेकर स्पष्ट सीमा समझ विकसित हुई।
- चीन ने 2003 में औपचारिक रूप से सिक्किम को भारत का हिस्सा स्वीकार किया।
सामरिक एवं सुरक्षा महत्व:
- यह क्षेत्र भारत की पूर्वोत्तर सीमा सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है।
- भारतीय सेना की मजबूत तैनाती और आधारभूत ढांचे का विकास किया गया है।
- सड़क, सुरंग और संचार परियोजनाओं से सीमावर्ती इलाकों की निगरानी आसान हुई है।
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प्रश्न.‘भारत रणभूमि दर्शन’ पहल किसके द्वारा शुरू की गई है?
(a) केवल रक्षा मंत्रालय
(b) केवल पर्यटन मंत्रालय
(c) रक्षा मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय की संयुक्त पहल
(d) गृह मंत्रालय
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