New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Gandhi Jayanti Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Oct. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM Gandhi Jayanti Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Oct. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

रूपकुंड झील

जलवायु परिवर्तन के कारण उत्तराखंड की रूपकुंड झील प्रतिवर्ष सिकुड़ रही है। इसको संरक्षित करने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है। 

रूपकुंड झील के बारे में 

  • यह उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक हिम झील है जो अपने किनारे पर पाए गए पांच सौ से अधिक मानव कंकालों के कारण प्रसिद्ध है। 
  • यह स्थान निर्जन है तथा गढ़वाल हिमालय में त्रिशूल पर्वत के आधार पर समुद्र तल से 16,500 फीट ऊपर स्थित है। इसे ‘कंकालों की झील’ के नाम से जाना जाता है। इसके नीचे सैकड़ों मानव कंकाल है। 
  • वर्ष 1942 में एक वन अधिकारी एच.के. मधवाल द्वारा इसके जमे हुए पानी में मानव अस्थियों की मौजूदगी पर ध्यान दिए जाने के बाद इस झील ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
    • तब से इन कंकालों को लेकर कई सिद्धांत प्रतिपादित किए गए हैं। भारत, अमेरिका एवं जर्मनी के वैज्ञानिकों द्वारा वर्ष 2019 में किए गए एक अध्ययन ने इस सिद्धांत को खारिज कर दिया कि ये कंकाल एक ही समूह के थे, जिनकी मौत एक ही घटना में हुई थी।
    • इसके बजाए शोध में दावा किया गया है कि ये व्यक्ति आनुवंशिक रूप से विविध थे तथा उनकी मृत्यु के बीच लगभग 1,000 वर्षों का अंतर था।
    • इनमें से कुछ कंकालों से मिले प्राचीन डी.एन.ए. से भारत में भूमध्यसागरीय प्रवासियों का पता चलता है।
  • रूपकुंड झील इस क्षेत्र में हुई पिछली चरम जलवायु घटनाओं को उजागर करने में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उस झील में मौजूद पत्थरों का भू-रासायनिक विश्लेषण हजारों वर्ष पहले के मौसम की चरम सीमाओं के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान कर सकता है। 

रूपकुंड झील से संबंधित प्रमुख चिंताएं 

  • परंपरागत रूप से रूपकुंड झील के आसपास के क्षेत्र में केवल बारिश के दौरान बर्फबारी होती थी, किंतु अब बारिश आम होती जा रही है, जिससे ‘मोरैन’ (Moraine) झील की ओर खिसक रही हैं।  
    • ग्लेशिअर द्वारा बहा कर लाए हुए मलबे को ‘मोरैन’ कहते हैं।
  • ऐसे में वर्षा के पैटर्न में यह बदलाव सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापन से संबंधित है जो इस क्षेत्र के प्राकृतिक संतुलन को बदल रहा है। इससे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हरियाली में वृद्धि होने के साथ-साथ इस क्षेत्र में गर्मी में बढ़ोतरी हो सकती है। 
  • इस क्षेत्र में लगभग 1,200 झीलें हैं। इन्हें प्रो-ग्लेशियल झीलों (Pro-Glacial Lakes) या या पेरी-ग्लेशियल झीलों (Peri-Glacial Lakes) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। प्रो-ग्लेशियल झीलें ग्लेशियर के अग्र किनारे (Snout/Front Edge) पर स्थित होती हैं, जबकि पेरी-ग्लेशियल झीलें ग्लेशियर की परिधि (किनारों) पर स्थित होती हैं। 
    • रूपकुंड एक पेरी-ग्लेशियल झील है
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X