New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM Mid Year Mega Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 17th June 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM Mid Year Mega Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 17th June 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM

राज्यों द्वारा विशेष श्रेणी की माँग  

(प्रारंभिक परीक्षा- भारतीय राज्यतंत्र और शासन)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ)

संदर्भ

हाल ही में, बिहार सरकार ने बिहार को ‘विशेष श्रेणी वाले राज्य का दर्जा’ प्रदान करने की माँग पुन: दोहराई है। 

क्या है राज्यों की विशेष श्रेणी?

  • विशेष श्रेणी वाले राज्यों में केंद्र-प्रायोजित योजनाओं में केंद्र और राज्यों के बीच वित्तपोषण 90:10 के अनुपात में होता है, जबकि गैर-विशेष श्रेणी वाले राज्यों के लिये यह अनुपात 60:40 या 80:20 होता है।
  • केंद्र सरकार इन राज्यों को अधिक सहायता अनुदान प्रदान करती है। सामान्य राज्यों  की तुलना में विशेष श्रेणी वाले राज्यों को दिया जाने वाला अनुदान यदि वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान पूर्ण रूप से प्रयोग नहीं हो पाता है, तो भी वह व्यपगत नहीं होता।

बिहार का तर्क

  • नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार विकास दर और मानव विकास सूचकांक के मामले में निचले स्तर पर है। साथ ही, राज्य की 51.91% जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करती है। बीच में स्कूल छोड़ने, बच्चों के कुपोषण, मातृ स्वास्थ्य और शिशु मृत्यु दर के मामले में भी बिहार का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है।
  • बिहार सरकार का तर्क है कि वह सीमित संसाधनों के माध्यम से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है तथापि आर्थिक संवृद्धि को और अधिक गति देने के लिये बिहार को ‘विशेष श्रेणी के राज्य’ का दर्ज़ा दिये जाने की आवश्यकता है।   

विशेष श्रेणी के लिये मानदंड

  • ऐतिहासिक (युद्ध आदि) कारणों से पिछड़े राज्य 
  • दुर्गम तथा पहाड़ी राज्य 
  • कम जनसंख्या घनत्व या अधिक जनजातीय जनसंख्या वाले राज्य 
  • अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे रणनीतिक क्षेत्र वाले राज्य 
  • आर्थिक एवं बुनियादी ढाँचे के विकास में पिछड़े राज्य 
  • राज्य की आय की प्रकृति का निर्धारित न होना

संबंधित प्रावधान

  • विशेष श्रेणी वाले राज्यों की अवधारणा का विकास वर्ष 1969 से प्रारंभ हुआ जब पाँचवें वित्त आयोग ने आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर कुछ राज्यों को विशेष आर्थिक सहायता, विशेष विकास बोर्ड की स्थापना तथा स्थानीय नौकरियों व शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की सिफारिश की।
  • योजना आयोग के तत्कालीन उपाध्यक्ष गाडगिल मुखर्जी के नाम पर इसे ‘गाडगिल फार्मूला’ भी कहते है। 
  • संविधान किसी राज्य को अन्य राज्यों की तुलना में विशेष उपचार प्रदान करने का प्रावधान नहीं करता है। हालाँकि, प्राकृतिक संसाधनों के असमान वितरण के कारण देश के कुछ राज्य अन्य की तुलना में पिछड़े हुए है। इसी आधार पर कुछ विशेष श्रेणी के राज्यों को केंद्र सरकार अतिरिक्त सहायता प्रदान करती है।

वर्तमान स्थिति

  • 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के बाद पूर्वोत्तर तथा तीन पहाड़ी राज्यों (हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड तथा जम्मू-कश्मीर का क्षेत्र) को छोड़कर विशेष श्रेणी की अवधारणा को समाप्त कर दिया गया है।
  • 14वें वित्त आयोग ने विभिन्न राज्यों के मध्य उपस्थित संसाधन अंतराल को भरने के लिये केंद्र से राज्यों को होने वाले कर हस्तांतरण को 32% से बढ़ाकर 42% करने की सिफारिश की थी जिसे वर्ष 2015 से लागू कर दिया गया है।

आगे की राह 

वर्तमान में कुछ राज्यों को छोड़कर ‘विशेष श्रेणी वाले राज्य’ की अवधारणा को समाप्त कर दिया गया है। यदि केंद्र सरकार बिहार को विशेष श्रेणी वाले राज्य में शामिल करती है तो अन्य राज्य भी इसकी माँग कर सकते हैं। राज्यों को विशेष श्रेणी में शामिल करने के बजाय उन्हें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित राशि विभिन्न संकेतकों पर उनके प्रदर्शन के आधार पर आवंटित की जानी चाहिये। साथ ही, राज्यों को राजस्व प्राप्ति के लिये अतिरिक्त स्रोतों का सृजन करना चाहिये।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR