(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, समान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन) |
संदर्भ
11 जुलाई, 2025 को असम के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री चंद्र मोहन पटोवारी ने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की ‘प्रथम तृणभूमि पक्षी सर्वेक्षण रिपोर्ट’ (First Grassland Bird Survey Report) जारी की।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के बारे में

- भौगोलिक स्थिति : असम के गोलाघाट एवं नोगांव जिलों में स्थित
- क्षेत्रफल : 42,996 हेक्टेयर
- राष्ट्रीय उद्यान घोषित : वर्ष 1974 में
- टाइगर रिजर्व का दर्जा : वर्ष 2006 में
- विश्व धरोहर स्थल घोषित : वर्ष 1985 में
- प्रमुख जीव : यह विश्व में एक सींग वाले गैंडों की सर्वाधिक आबादी (2,613) और बाघों, हाथियों, जंगली भैंसों एवं दलदली हिरणों की बड़ी आबादी का घर है।
- महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र : यह बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (IBA) के रूप में मान्यता प्राप्त है जिसमें 479 पक्षी प्रजातियाँ (प्रवासी एवं स्थानीय) दर्ज की गई हैं। इनमें 25 वैश्विक रूप से संकटग्रस्त और 21 निकट-संकटग्रस्त प्रजातियाँ शामिल हैं।
- पारिस्थितिकी तंत्र : ब्रह्मपुत्र घाटी के अर्द्ध-सदाबहार वनों और सवाना एवं तृणभूमियों से मिलकर बना है जो इसे इंडो-बर्मा जैव-विविधता हॉटस्पॉट का हिस्सा बनाता है।
प्रथम तृणभूमि पक्षी सर्वेक्षण के बारे में
- आयोजन : काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान ने 18 मार्च से 25 मई, 2025 तक अपना पहला तृणभूमि पक्षी सर्वेक्षण आयोजित किया, जो पूर्वी असम, बिस्वनाथ एवं नोगांव वन्यजीव प्रभागों में फैला था।
- उद्देश्य : यह सर्वेक्षण तृणभूमि पर निर्भर पक्षी प्रजातियों का पहला समर्पित मूल्यांकन था, जिसका उद्देश्य इन प्रजातियों और उनके आवासों का दस्तावेजीकरण एवं संरक्षण करना था।
- उन्नत तकनीक : सर्वेक्षण में पॉइंट काउंट सर्वे और पैसिव एकॉस्टिक मॉनिटरिंग जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग किया गया, जिसने दूरस्थ एवं जोखिम भरे क्षेत्रों में भी गैर-हस्तक्षेपकारी निगरानी को संभव बनाया।
महत्वपूर्ण निष्कर्ष
- सर्वेक्षण में 43 तृणभूमि पक्षी प्रजातियों की पहचान की गई, जिनमें शामिल हैं:
- अति संकटग्रस्त (1) : बंगाल फ्लोरिकन
- संकटग्रस्त (2) : फिन्स वीवर (Finn's Weaver) और स्वैम्प ग्रास बबलर
- संवेदनशील (6) : ब्लैक-ब्रेस्टेड पैरटबिल, मार्श बबलर, स्वैम्प फ्रैंकोलिन, जेर्डन्स बबलर, स्लेंडर-बिल्ड बबलर एवं ब्रिस्टल्ड ग्रासबर्ड
- क्षेत्रीय स्थानिक प्रजातियाँ : विशेष रूप से ब्रह्मपुत्र बाढ़ क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
- प्रमुख खोज : कोहोरा रेंज में संकटग्रस्त फिन्स वीवर की प्रजनन कॉलोनी की खोज एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। शानदार घोंसले के लिए प्रसिद्ध यह पक्षी तृणभूमि के स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
महत्व
- पारिस्थितिकीय संकेतक : सर्वेक्षण में दर्ज प्रजातियाँ, विशेष रूप से फिन्स वीवर, तृणभूमि पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य एवं समग्रता को दर्शाती हैं।
- जैव-विविधता संरक्षण : काजीरंगा को इंडो-बर्मा जैव-विविधता हॉटस्पॉट के रूप में स्थापित करने में यह सर्वेक्षण एक महत्वपूर्ण कदम है।
- वैज्ञानिक प्रबंधन : यह सर्वेक्षण संरक्षित क्षेत्रों के प्रबंधन में वैज्ञानिक विधियों को एकीकृत करने का अन्य संरक्षित क्षेत्रों के लिए एक मॉडल प्रस्तुत करता है।
- दीर्घकालिक संरक्षण : यह रिपोर्ट तृणभूमि पक्षियों के दीर्घकालिक संरक्षण के लिए आधार एवं निरंतर पारिस्थितिक निगरानी की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
- क्षेत्रीय तुलना : काजीरंगा की तृणभूमि पक्षी विविधता को गुजरात एवं राजस्थान की शुष्क तृणभूमियों के साथ तुलना करने योग्य पाया गया, जो भारत में आर्द्र तृणभूमियों के कम अध्ययन किए गए पहलू को उजागर करता है।
- पर्यटक आकर्षण : फिन्स वीवर एवं अन्य दुर्लभ प्रजातियों की उपस्थिति काजीरंगा को आकर्षक गंतव्य बनाती है।