(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय) |
संदर्भ
वैश्विक क्षमता केंद्र (Global Capability Centers: GCC) वैश्विक कंपनियों के लिए भारत में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक केंद्र बन चुके हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में घोषणा की कि भारत में GCC सेक्टर में वर्तमान में 21.6 लाख पेशेवर कार्यरत हैं और यह संख्या वर्ष 2030 तक 28 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है।
क्या हैं वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC)
- यह वैश्विक कंपनियों द्वारा स्थापित केंद्र हैं जो उत्पाद विकास, अनुसंधान एवं विकास (R&D), डाटा विश्लेषण और अन्य उच्च-मूल्य वाले कार्यों के लिए रणनीतिक व तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं।
- ये केंद्र लागत प्रभावी एवं कुशल कार्यबल का लाभ उठाते हैं, जिससे कंपनियाँ वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनी रहती हैं।
- भारत में GCC मुख्यत: सूचना प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग एवं वित्तीय सेवाओं पर केंद्रित हैं।
प्रमुख विशेषताएँ
- उच्च-मूल्य कार्य : GCC केवल सेवा वितरण तक सीमित नहीं हैं और ये जटिल व्यावसायिक कार्यों, जैसे- अनुसंधान, नवाचार और रणनीतिक नेतृत्व को संभालते हैं।
- लागत प्रभावी : भारत में GCC में कार्यबल की लागत अमेरिका, ब्रिटेन एवं ऑस्ट्रेलिया की तुलना में 30-50% कम है।
- प्रतिभा पूल : भारत वैश्विक विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग एवं गणित (STEM) कार्यबल का 28% और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग प्रतिभा का 23% प्रदान करता है।
- महिला भागीदारी : GCC कार्यबल में 35% महिला भागीदारी है और भारत में STEM स्नातकों में 42.7% महिलाएँ हैं।
- तेजी से वृद्धि : विगत पाँच वर्षों में इंजीनियरिंग R&D GCC की स्थापना दर समग्र GCC की तुलना में 1.3 गुना तेज रही है।
भारत में GCC पारिस्थितिकी तंत्र
- रोजगार : वर्तमान में 21.6 लाख पेशेवर GCC में कार्यरत हैं, जो वर्ष 2030 तक 28 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। इसमें 11% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज की गई है।
- आर्थिक योगदान : GCC सेक्टर 68 बिलियन डॉलर (राष्ट्रीय GDP का 1.6%) का प्रत्यक्ष GVA योगदान देता है जो वर्ष 2030 तक 150-200 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
- स्थापना दर : वर्ष 2024 में औसतन प्रति सप्ताह एक नया GCC स्थापित हुआ और वर्ष 2025 में भी यही प्रवृत्ति अपेक्षित है।
- वैश्विक प्रतिभा : वैश्विक GCC प्रतिभा का 32% भारत में स्थित है जो इसे वैश्विक नवाचार का केंद्र बनाता है।
- प्रमुख क्षेत्र : बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और दिल्ली-एनसीआर भारत में GCC के प्रमुख केंद्र हैं।
- प्रतिस्पर्धी लाभ : लागत प्रभावी एवं कुशल कार्यबल भारत को वैश्विक कंपनियों के लिए आकर्षक बनाता है।
सरकारी प्रयास
- शैक्षिक बुनियादी ढांचा : पिछले दशक में 7 नए IIT और 16 नए IIIT स्थापित किए गए, जिससे STEM प्रतिभा पूल बढ़ा है।
- नीतिगत समर्थन : सरकार GCC स्थापना के लिए प्रोत्साहन एवं सुविधाएँ प्रदान कर रही है, जैसे- कर लाभ एवं बुनियादी ढांचा समर्थन।
- कौशल विकास : इन-हाउस प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रोत्साहन वैश्विक-तैयार नेतृत्व को बढ़ावा देते हैं।
- डिजिटल इंडिया : डिजिटल बुनियादी ढांचे एवं कनेक्टिविटी में सुधार ने GCC के लिए अनुकूल वातावरण बनाया है।
- आकर्षक नीतियाँ : सरकार ने GCC को भारत में आधार स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करने की प्रतिबद्धता जताई है।
चुनौतियाँ
- कौशल अंतर : जटिल एवं उभरते क्षेत्रों, जैसे- AI, मशीन लर्निंग व डाटा साइंस में उच्च-स्तरीय कौशल की कमी।
- बुनियादी ढांचा : शहरी केंद्रों में बुनियादी ढांचे पर दबाव, जैसे परिवहन और बिजली आपूर्ति, GCC विस्तार को प्रभावित कर सकता है।
- प्रतिस्पर्धा : सिंगापुर, फिलीपींस और अन्य देश भी GCC के लिए आकर्षक गंतव्य बन रहे हैं।
- नियामक जटिलताएँ : कराधान, डाटा गोपनीयता एवं बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित जटिल नियम।
- कर्मचारी प्रतिधारण : उच्च मांग के कारण प्रतिभा को बनाए रखना और आकर्षित करना एक चुनौती है।
आगे की राह
- कौशल विकास : उभरती प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना, विशेष रूप से AI, ब्लॉकचेन, और साइबरसुरक्षा में।
- बुनियादी ढांचा उन्नयन : GCC केंद्रों के लिए विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा, जैसे स्मार्ट सिटी और बेहतर कनेक्टिविटी, सुनिश्चित करना।
- नीतिगत सुधार : सरल कर नीतियाँ और डाटा गोपनीयता नियमों को लागू करना ताकि निवेश को आकर्षित किया जा सके।
- क्षेत्रीय विस्तार : बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे प्रमुख शहरों के अलावा टियर-2 शहरों जैसे जयपुर, कोयंबटूर, और चंडीगढ़ में GCC को प्रोत्साहित करना।
- महिला भागीदारी : STEM में महिलाओं के लिए और अधिक छात्रवृत्ति और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करना।
- वैश्विक साझेदारी : वैश्विक कंपनियों के साथ साझेदारी बढ़ाकर भारत को नवाचार और R&D का वैश्विक केंद्र बनाना।