New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

दसवीं अनुसूची

प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, 52वां संविधान संशोधन अधिनियम, 91वां संविधान संशोधन अधिनियम, दसवीं अनुसूची
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर- 2, संसद और राज्य विधायिका

चर्चा में क्यों-

  • हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने एकनाथ शिंदे गुट वाली शिवसेना को असली शिवसेना मानकर विधायकों को अयोग्य ठहराने से इनकार कर दिया है।
  • साथ ही उन्होंने दसवीं अनुसूची के तकनीकी कारणों की वजह से उद्धव ठाकरे गुट के 14 विधायकों को भी अयोग्य नहीं ठहराया।

tenth-schedule

मुख्य बिंदु-

  • एकनाथ शिंदे गुट द्वारा सचेतक(whip) की नियुक्ति को वैध ठहराया।
  • 'व्हिप' सदन में 'विधायिका दल' का सदस्य होता है। 
  • इसे संबंधित 'राजनीतिक दल' द्वारा इस रूप में नियुक्त किया जाता है।

महाराष्ट्र का मामला –

  • जून, 2022 में एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में शिवसेना का एक गुट 55 में से 37 विधायकों के साथ अलग हो गया और उसने असली शिवसेना होने का दावा किया।
  • इसने भरत गोगावले को अपना सचेतक नियुक्त किया। 
  • उद्धव ठाकरे गुट के अनुसार, वे मूल राजनीतिक दल हैं और उनके गुट के सुनील प्रभु सचेतक बने रहेंगे। 
  • स्पीकर ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी है। 
  • स्पीकर का यह निर्णय शिवसेना के 1999 के संविधान पर आधारित है।
  • पार्टी का वर्ष 1999 के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य शिवसेना का नेतृत्व करेंगे।

 हाल की अन्य घटनाएं-

  • 91वें संविधान संशोधन अधिनियम के बाद विधायक दल के दो-तिहाई सदस्यों द्वारा 'व्यावहारिक रूप से' दलबदल करने लेकिन और अयोग्यता से बचने के लिए मूल राजनीतिक दल होने का दावा करने के उदाहरण सामने आए हैं। 
  • एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के राज्य 'विधायक दल' के दो-तिहाई से अधिक सदस्यों ने अयोग्यता से बचने के लिए खुद को दूसरे राजनीतिक दल में विलय कर लिया। उदाहरण- 
    • सितंबर, 2019 में राजस्थान में बहुजन समाजवादी पार्टी के 6 विधायकों का कांग्रेस पार्टी में विलय। 
    • सितंबर, 2022 में गोवा में कांग्रेस के 8 विधायकों का भाजपा में विलय।

दसवीं अनुसूची -

  • 1960 और 70 के दशक के दौरान विधायकों के अपनी मूल पार्टियों से दलबदल के कारण कई राज्यों में राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न हो गई। 
  • इस कारण निर्वाचित सरकारें गिर जाती थीं। 
  • निर्वाचित सरकारों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए 52वें संविधानक संशोधन अधिनियम,1985 के द्वारा संविधान में दसवीं अनुसूची जोड़ी गई। 
  • इस अनुसूची के माध्यम से 'दल-बदल विरोधी' कानून पेश किया। 
  • इस अनुसूची के अनुसार, किसी भी सदन का कोई सदस्य निम्नलिखित आधारों पर सदस्यता से वंचित हो सकता है-
    1. किसी सदन का सदस्य किसी राजनीतिक दल का सदस्य है और वह स्वेच्छा से अपने वह स्वेच्छा से अपने राजनीतिक दल की सदस्यता छोड़ देता है।
    2. वह उस सदन में अपने राजनीतिक दल के निर्देशों के विपरीत मत देता है या मतदान में अनुपस्थित रहता है तथा राजनीतिक दल से उसने 15 दिनों के भीतर क्षमादान न पाया हो।
    3. कोई निर्दलीय सदस्य किसी सदन की सदस्यता से वंचित हो जाएगा, यदि वह उस चुनाव के बाद किसी राजनीतिक दल की सदस्यता धारण कर लेता है।
    4. किसी सदन का नाम- निर्देशित सदस्य उस सदन की सदस्यता के योग्य हो जाएगा, यदि वह उस सदन में अपना स्थान ग्रहण करने के 6 माह बाद किसी राजनीतिक दल की सदस्यता ग्रहण कर लेता है। 

निर्योग्यता से संबंधित छूट-

  • किसी ‘राजनीतिक दल' के 'विधायक दल' के दो-तिहाई सदस्यों ने किसी अन्य दल के साथ विलय कर लिया हो।

'राजनीतिक दल' विधायकों सहित एक पार्टी का संपूर्ण संगठन है, जबकि 'विधायक दल' केवल संसद या राज्य विधानमंडल के किसी राजनीतिक दल के सदस्य हैं।

  • यदि कोई पीठासीन अधिकारी चुने जाने पर अपने दल की सदस्यता स्वैच्छिक रूप रूप से त्याग देता है अथवा अपने कार्यकाल के बाद अपने दल की सदस्यता फिर से ग्रहण कर लेता है. यह छूट पद की मर्यादा और निष्पक्षता के लिए दी गई है। 

निर्योग्यता को निर्धारित करने वाला अधिकारी-

  • दल- परिवर्तन से उत्पन्न निर्योग्यता संबंधी प्रश्नों का निर्णय सदन का अध्यक्ष करता है।
  • 52वें संशोधन अधिनियम में अध्यक्ष के निर्णय को अंतिम माना गया था।
  • ‘किहोतो-होलोहन मामले’ (1993) में सुप्रीम कोर्ट ने यह उपबंध इस आधार पर असंवैधानिक घोषित कर दिया कि यह सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने का प्रयत्न है।

राजनीतिक दल को मान्यता देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का निर्देश-

  • सादिक अली बनाम भारतीय चुनाव आयोग  (1971) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीन-सूत्री फॉर्मूला दिया था। 
  • इसी फार्मूले के आधार पर आयोग द्वारा किस गुट को मूल राजनीतिक दल के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए। 
  • ये फार्मूले हैं-
    1. पार्टी के प्रयोजन और उद्देश्य 
    2. पार्टी का आंतरिक लोकतंत्र 
    3. विधायी और संगठनात्मक विंग में बहुमत

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- दल- परिवर्तन से उत्पन्न सदस्य के निर्योग्यता संबंधी प्रश्नों के निर्णय के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. ऐसे निर्णय का अधिकार सदन के अध्यक्ष को है।
  2. अध्यक्ष के निर्णय को अंतिम माना जाता है।
  3. अध्यक्ष के निर्णय के विरुद्ध किसी न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती है।

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए

(a) केवल 1

(b) केवल 1 और 2

(c) केवल 2 और 3

(d) केवल 3

उत्तर- (a)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न-  हाल ही में विधायक दल के दो-तिहाई सदस्यों द्वारा 'व्यावहारिक रूप से' दलबदल करने लेकिन और अयोग्यता से बचने के लिए मूल राजनीतिक दल होने का दावा करने के उदाहरण सामने आए हैं। इस बारे में 10वीं अनुसूची में क्या प्रावधान है और उसमें किस प्रकार के बदलाव की आवश्यकता है।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR