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प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए - प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना
मुख्य परीक्षा के लिए,सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:2 - सरकारी योजनाएं 

योजना का नाम 

प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना

आरंभ 

सितंबर 2020

अवधि 

वित्त वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक

नोडल मंत्रालय 

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय

प्रमुख लक्ष्य 

मत्स्य क्षेत्र का विकास तथा आधुनिकीकरण करना 

क्रियान्वयन क्षेत्र 

सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में

आधिकारिक बेवसाइट 

pmmsy.dof.gov.in

उद्देश्य 

  • मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता,  गुणवत्ता, प्रौद्योगिकी, अवसंरचना और प्रबंधन आदि में विद्यमान महत्वपूर्ण अंतरालों को दूर करना।
  • मछुआरों और मत्स्य पालक किसानों की आय दोगुनी करना। 
  • खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • मछुआरों और मत्स्य पालन में संलग्न किसानों और अन्य हितधारकों की आर्थिक समृद्धि एवं कल्याण सुनिश्चित करना
  • मत्स्य क्षेत्र में रोजगार के अवसरों का सृजन करना।
  • मत्स्यपालन क्षेत्र में निजी निवेश को आकर्षित करके जरूरी मत्स्यपालन बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के अतिरिक्त, इस योजना का लक्ष्य हार्वेस्ट के बाद के नुकसान को 25 फीसदी के उच्च स्तर से घटाकर लगभग 10 फीसदी तक करना है।
  • पीएमएमएसवाई एक मछुआरा केंद्रित अंब्रैला योजना है, इसमें मछुआरे, मछली किसान, मछली श्रमिक और मछली विक्रेता प्रमुख हितधारक हैं और उनके सामाजिक आर्थिक दर्जे में वृद्धि करना इस योजना के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है। 
  • प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) का लक्ष्य 2018-19 के 137.58 लाख मीट्रिक टन से लगभग 9 फीसदी की औसत वार्षिक वृद्धि दर पर मछली उत्पादन को 2024-25 तक 220 लाख मीट्रिक तक बढ़ाने का है।

pmmsy

मुख्य विशेषताएं

  • पीएमएमएसवाई देश के ग्रामीण क्षेत्र की आजीविका बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक सिद्ध हो सकता है, इस योजना का मुख्य आदर्श वाक्य मत्स्य पालन क्षेत्र में 'सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन' है।
  • पीएमएमएसवाई के अंतर्गत 2024-25 के अंत तक लगभग 68 लाख रोजगार सृजन की परिकल्पना की गयी है
  • पीएमएमएसवाई निजी क्षेत्र की भागीदारी, उद्यमशीलता के विकास, ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस को बढ़ावा देने, मत्स्यपालन क्षेत्र में स्टार्ट-अप, इनक्यूबेटर आदि समेत नवीन परियोजना गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण करेगी 
  • इस योजना में कई नई गतिविधियों और क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जैसे – 
    • ट्रेसेबिलिटी
    • प्रमाणन और प्रत्यायन
    • खारे / क्षारीय क्षेत्रों में एक्वाकल्चर
    • जेनेटिक सुधार कार्यक्रम और न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर 
    • फिशरीज और एक्वाकल्चर स्टार्ट-अप
    • एकीकृत तटीय मछली पालन ग्रामों का विकास
    • जलीय रेफरल प्रयोगशालाएं
    • एक्वाकल्चर एक्सटेंशन सर्विसेज
    • मछली पकड़ने की नई नावों या उन्नयन के लिए सहयोग
    • रोग निदान और गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं
    • ऑर्गेनिक एक्वाकल्चर का संवर्धन व प्रमाणन 
  • पीएमएमएसवाई योजना में बुनियादी ढांचा विकास, विशेष रूप से मछली पकड़ने के बंदरगाहों और लैंडिंग केंद्रों को बढ़ावा देने, पारंपरिक मछुआरों के समुद्र में जाने वाले जहाजों के आधुनिकीकरण और यांत्रिकीकरण को शामिल किया गया है। 
  • इसके अतिरिक्त पोस्‍ट हारवेस्‍ट हानि को कम करने के लिए पोस्‍ट हारवेस्‍ट सुविधाओं का प्रावधान, कोल्ड चेन की सुविधा, स्वच्छ मछली बाजार, बर्फ के बक्से वाले दोपहिया वाहन जैसी सुविधाएं भी इसमें शामिल हैं। 
  • इस योजना के अंतर्गत मछुआरों को बीमा कवर, वित्तीय सहायता और किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा भी प्रदान की जायेगी। 
  • इस योजना के तहत उत्तरी भारत के लवणीय एवं क्षारीय क्षेत्रों में विशेष रूप से जलकृषि को बढ़ावा दिया जायेगा। 
  • यह योजना दो घटकों केंद्रीय क्षेत्र योजना और केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में संचालित है।
    • केंद्र प्रायोजित घटक के तहत मध्य और पूर्वोत्तर एवं हिमालयी राज्यों के लिए वित्तपोषण अनुपात केंद्र और राज्यों के लिए क्रमशः 90:10 और अन्य राज्यों के लिए 60:40 है।

महत्व 

  • योजना के अंतर्गत, मत्स्य पालन क्षेत्र में 2019-20 से 2021-22 के बीच 14.3 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि हुई है।
  • 2021-22 के दौरान मछली उत्पादन 161.87 लाख टन के सर्वकालीन उच्च स्तर पर पहुंचा जो 2019-20 के दौरान 141.64 लाख टन तक था।
  • मत्स्य पालन क्षेत्र में अब तक का सबसे अधिक निर्यात 13.64 लाख टन रहा, जिसका मूल्य 57,587 करोड़ रुपये है, जिसमें झींगा मछली के निर्यात का सबसे अधिक योगदान है।
  • योजना के तहत, अंतर्देशीय मत्स्य पालन के विकास के लिए 20,622 पिंजरों को स्थापित करके 20 एकीकृत जलाशय विकास परियोजनाएं शुरू की गई हैं। 
  • उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी में गति लाने के लिए 3,117 आरएएस इकाइयों और 2693 बायो-फ्लोक इकाइयों को कार्यात्मक रूप में स्थानांतरित किया गया है। 
  • लगभग 1600 हेक्टेयर क्षेत्र को खारा और क्षारीय क्षेत्र विकास पहल में शामिल किया गया है।
  • समुद्री मात्स्यिकी के विकास के लिए गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले 276 जहाजों को खरीदने की मंजूरी दी गई है। 
  • किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने के लिए 10 समुद्री हैचरी  की स्थापना को मंजूरी दी गई है। 
  • अब तक पीएमएमएसवाई ने 22 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में बीमा कवरेज के तहत 31.47 लाख किसानों को सहायता प्रदान की है और अतिरिक्त 6.77 लाख किसानों को लीन/बैन अवधि के दौरान आजीविका और पोषण संबंधी सहायता के लिए शामिल किया गया है।
  • इसके अलावा इस क्षेत्र की कार्यशील पूंजी और अल्पकालिक ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता प्रदान करने के लिए सरकार ने मछुआरों, मछली किसानों, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), संयुक्त देयता समूहों, महिला समूहों आदि को किसान क्रेडिट कार्ड प्रदान किए हैं।
  • मत्स्य पालन के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए अब तक कुल 19 मछली पकड़ने के बंदरगाहों और मछली लैंडिंग केंद्रों के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है जिनकी लागत 912.03 करोड़ रुपये है। 
  • पहले समुद्री मछली उत्पादन का भारत के कुल मछली उत्पादन में वर्चस्‍व था, हालांकि, वर्ष 2019 में विज्ञान-आधारित प्रथाओं और प्रौद्योगिकी को अपनाने के साथ, मछली उत्पादन में 74 प्रतिशत अंतर्देशीय मत्स्य पालन और शेष 26 प्रतिशत समुद्री मत्स्य पालन का योगदान रहा।

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