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चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया में परिवर्तन

प्रारंभिक परीक्षा - चुनाव आयोग
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व

सन्दर्भ 
  • हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय दिया गया, कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों के चयन की प्रक्रिया में परिवर्तन होना चाहिए। 

महत्वपूर्ण तथ्य 

  • SC ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों का चयन एक समिति के द्वारा किया जायेगा।
  • इस समिति में प्रधान मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे।  

चुनाव आयोग

  • इसकी स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई थी।
  • यह एक संवैधानिक संस्था है, जो देश में चुनावों को संपन्न कराती है। 
  • संविधान के अनुच्छेद 324 से लेकर 329 तक चुनाव आयोग के बारे में प्रावधान किया गया है।
    • अनुच्छेद 324- चुनावों को कराने, नियंत्रित करने, दिशानिर्देश देने, देखरेख की चुनाव आयोग की जिम्मेदारी।
    • अनुच्छेद 325- धर्म, जाति या लिंग के आधार पर किसी भी व्यक्ति विशेष को वोटर लिस्ट में शामिल न करने और इनके आधार पर वोटिंग के लिए अयोग्य नहीं ठहराने का प्रावधान।
    • अनुच्छेद 326- लोकसभा और राज्यों की विधानसभा के लिए चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर होगा।
    • अनुच्छेद 327- चुनाव से जुड़े प्रावधानों को लेकर संसद को कानून बनाने की शक्ति।
    • अनुच्छेद 328- किसी राज्य के विधानमंडल को चुनाव से जुड़े कानून बनाने की शक्ति।
    • अनुच्छेद 329- चुनाव से जुड़े मामलों में अदालतों के हस्तक्षेप पर अंकुश।

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति

  • संविधान के अनुच्छेद-324 में चुनाव आयोग की स्थापना का प्रावधान है। इसके अनुसार चुनाव आयुक्तों की संख्या तथा उनका कार्यकाल संसद द्वारा इस संबंध में निर्मित विधि के अधीन होता है।
  • वर्ष 1989 में चुनाव आयुक्तों की संख्या को 1 से बढ़ाकर 3 कर दिया गया । 
  • 1990 में पुनः इसे एक सदस्यीय बना दिया गया किंतु वर्ष 1993 में इसे फिर से 3 सदस्यीय कर दिया गया, तब से संसद ने नियुक्ति प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया है।
  • वर्तमान में मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री की अध्यक्षता वाली केंद्रीय मंत्रिपरिषद की सलाह पर इनकी नियुक्ति करता है।
  • इनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 साल की आयु (दोनों में से जो भी पहले हो) तक होता है। 
  • मुख्य चुनाव आयुक्त चुनाव आयोग का प्रमुख होता है लेकिन उसके अधिकार भी बाकी चुनाव आयुक्तों के बराबर ही होते हैं। 
  • चुनाव आयोग के फैसले सदस्यों के बहुमत या सर्वसम्मति के आधार पर होते हैं।
  • मुख्य चुनाव आयुक्त को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उनके पद से हटाने की प्रक्रिया की समान प्रक्रिया द्वारा ही पद से हटाया जा सकता है। 
    • अन्य चुनाव आयुक्तों को मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश पर राष्ट्रपति जब चाहे तब हटा सकता है।

चुनाव आयोग की शक्तियां एवं कार्य

  • संसद के परिसीमन आयोग अधिनियम के आधार पर समस्त भारत के निर्वाचन क्षेत्रों के भू-भाग का निर्धारण करना
  • समय-समय पर निर्वाचक नामावली तैयार करना और सभी योग्य मतदाताओं को पंजीकृत करना।
  • निर्वाचन की तिथि और समय-सारणी निर्धारित करना एवं नामांकन पत्रों का परीक्षण करना।
  • राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना एवं उन्हें निर्वाचन चिन्ह आवंटित करना।
  • राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करने और चुनाव चिन्ह देने के मामले में हुए विवाद के समाधान के लिए न्यायालय की तरह काम करना।
  • निर्वाचन व्यवस्था से संबंधित विवाद की जांच के लिए अधिकारी नियुक्त करना।
  • निर्वाचन के समय दलों व उम्मीदवारों के लिए आचार संहिता निर्मित करना।

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के सम्बन्ध में विभिन्न समितियों की सिफारिशें

  • वर्ष 1975 में गठित ‘तारकुंडे समिति’ ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिये चयन समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता तथा भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल करने की सिफ़ारिश की थी।
  • दिनेश गोस्वामी समिति ने भी तारकुंडे समिति की सिफारिशों को दोहराया।
  • दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट (2007) में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिये गठित समिति में कानून मंत्री तथा राज्यसभा के उपसभापति को भी शामिल करने की सिफ़ारिश की गयी थी।
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