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तिब्बत में पहली बुलेट ट्रेन 

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव)

संदर्भ 

हाल ही में, चीन ने तिब्बत के सुदूर हिमालयी क्षेत्र में पहली पूर्ण विद्युतीकृत बुलेट ट्रेन लाइन का संचालन प्रारंभ किया है। 

प्रमुख बिंदु

  • 1 जुलाई को सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के शताब्दी समारोह से कुछ समय पहले 
  • सिचुआन-तिब्बत रेलवे के 435.5 किमी. लंबे ल्हासा-न्यिंगची खंड का उद्घाटन किया गया है। ल्हासा-न्यिंगची रेल दो प्रांतीय राजधानियों को जोड़ने वाली सिचुआन-तिब्बत रेलवे लाइन का एक खंड है।
  • तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में प्रारंभ पहली विद्युतीकृत ट्रेन ने ल्हासा से न्यिंगची का सफ़र तय किया। यहाँ "फूक्सिंग" बुलेट ट्रेनों का पठारी क्षेत्र में आधिकारिक परिचालन प्रारंभ हुआ उल्लेखनीय है कि चीन के पास दुनिया का सबसे लंबा हाई स्पीड रेल नेटवर्क है।
  • यह किंगहाई-तिब्बत पठार के दक्षिण-पूर्व से होकर गुजरेगा, जो दुनिया के सबसे भूगर्भीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक है। किंगहाई-तिब्बत रेलवे के बाद सिचुआन-तिब्बत रेलवे तिब्बत में दूसरा रेलवे होगा।  
  • नई लाइन का पहला खंड, सिचुआन की प्रांतीय राजधानी चेंगदू से यान तक, दिसंबर 2018 में पूरा हो गया था, जबकि 1,011 किमी. यान-न्यिंगची लाइन का काम वर्ष 2030 तक पूरा होगा।
  • ल्हासा-न्यिंगची रेल हाल के समय में अरुणाचल प्रदेश सीमा के पास तिब्बत के दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी प्रांतों में पूरी हुई कई प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में से एक है।
  • चीन ने यारलुंग जांगबो या सांग्पो नदी (तिब्बत में ब्रह्मपुत्र का नाम) के ग्रांड कैन्यन के माध्यम से रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण राजमार्ग का निर्माण पूरा किया। यह अरुणाचल प्रदेश से सटे मेदोंग प्रांत के लिये दूसरा महत्त्वपूर्ण मार्ग है।

रणनीतिक महत्त्व

  • यह ट्रेन प्रांतीय राजधानी ल्हासा को न्यिंगची से जोड़ती है, जो रणनीतिक रूप से अरुणाचल प्रदेश के करीब तिब्बत का सीमावर्ती शहर है। न्यिंगची मेदोग का प्रांतीय स्तर का शहर है। विदित हो कि चीन दक्षिण तिब्बत के हिस्से के रूप में अरुणाचल प्रदेश का दावा करता है
  • पिछले वर्ष चीनी राष्ट्रपति ने तिब्बत में सिचुआन प्रांत और न्यिंगची को जोड़ने वाली नई रेलवे परियोजना के निर्माण में तेज़ी लाने का निर्देश दिया था, क्योंकि नई रेल लाइन सीमा-स्थिरता की सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
  • सिचुआन-तिब्बत रेलवे की शुरुआत सिचुआन प्रांत की राजधानी चेंगदू से होगी। यह यान (Yaan) से गुजरते हुए कामदो के माध्यम से तिब्बत में प्रवेश करेगी। इससे चेंगदू से ल्हासा तक की यात्रा में लगने वाला समय एक-तिहाई से भी कम हो जाएगा।
  • भारत-चीन सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर है। यदि चीन-भारत सीमा पर कोई संकट उत्पन्न होता है, तो रेलवे चीन की रणनीतिक सामग्री की डिलीवरी के लिये बड़ी सुविधा प्रदान करेगा। 
  • रेलवे चीन के शेष हिस्से से तिब्बत तक उन्नत उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के परिवहन तथा स्थानीय उत्पादों को यहाँ लाने में मदद करेगा। साथ ही, यह चीन की राष्ट्रीय एकता के लिये बड़ा कदम है और पश्चिमी क्षेत्र के आर्थिक सामाजिक विकास को बढ़ावा देने में एक महत्त्वपूर्ण कदम भी है।
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