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गिलगित पांडुलिपि

प्रारंभिक परीक्षा - गिलगित पांडुलिपि
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1 - भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू

सन्दर्भ 

  • हाल ही में, नई दिल्ली में आजादी का अमृत महोत्सव के तहत "हमारी भाषा, हमारी विरासत" नामक एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। 
  • इस अवसर पर, राष्ट्रीय अभिलेखागार ने गिलगित पांडुलिपि को प्रदर्शित किया।

गिलगित पांडुलिपि

Gilgit-Manuscript

  • गिलगित पांडुलिपि 5-6 वीं सदी के बीच लिखी गई हैं, यह  भारत का सबसे पुराना पांडुलिपि संग्रह है।
  • यह उस समय की गुप्त ब्रह्मी लिपि की बौद्ध संकर संस्कृत भाषा में लिखी गई हैं। 
  • इन पांडुलिपियों को नौपुर गांव (गिलगित, पाकिस्तान) में तीन चरणों में खोजा गया था और इसकी घोषणा पहली बार वर्ष 1931 में पुरातत्वविद् सर ऑरेल स्टीन द्वारा की गई थी।
  • बर्च के पेड़ों की छाल पर लिखे गये इन दस्तावेजों में विहित एवं गैर-विहित जैन तथा बौद्ध रचनाएं शामिल हैं, जो विभिन्न धार्मिक-दार्शनिक साहित्य के विकास पर प्रकाश डालते हैं।
  • गिलगित पांडुलिपि में बौद्ध कैनन, समाधिराजसुत्र और सद्धर्मपुंडरीकसूत्र (कमाल सूत्र) सहित अन्य सूत्र शामिल हैं, जो धर्म, अनुष्ठान, दर्शन, प्रतीक, लोक कथाओं, चिकित्सा सहित अन्य विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल करते हैं। 
  • पांडुलिपियों का मुख्य भाग भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार, नई दिल्ली में स्थित है, शेष संग्रह श्री प्रताप सिंह संग्रहालय, जम्मू और काश्मीर में है।

राष्ट्रीय अभिलेखागार

  • राष्ट्रीय अभिलेखागार की स्थापना 11 मार्च 1891 को कोलकाता (कलकत्ता) में इंपीरियल रिकॉर्ड विभाग के रूप में की गई थी। 
  • वर्ष 1911 में राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित किए जाने के बाद, राष्ट्रीय अभिलेखागार की वर्तमान इमारत का निर्माण 1926 में किया गया था। 
  • राष्ट्रीय अभिलेखागार, सार्वजनिक अभिलेख अधिनियम, 1993 और सार्वजनिक अभिलेख नियम, 1997 के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी भी है।
  • वर्तमान में राष्ट्रीय अभिलेखागार के संग्रह में फाइलें, वॉल्यूम, मानचित्र, भारत के राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत विधेयक, संधियां, दुर्लभ पांडुलिपियां, प्राच्य अभिलेख, निजी कागजात, कार्टोग्राफिक अभिलेख, राजपत्र और राजपत्रों का महत्वपूर्ण संग्रह, जनगणना के अभिलेख, विधानसभा और संसद की बहसें, प्रतिबंधित साहित्य, यात्रा वृत्तांत आदि शामिल हैं। 
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