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भूजल निष्कर्षण ने किया पृथ्वी के घूर्णन को प्रभावित

प्रारंभिक परीक्षा – जल निष्कर्षण
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 1संसाधनों का दोहन और प्रभाव

चर्चा में क्यों? 

  • Geophysical Research Letters” में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार मनुष्यों द्वारा किये जा रहे भूजल निष्कर्षण ने पृथ्वी की घूर्णन गति को प्रभावित किया है।

अध्ययन के निष्कर्ष

  • केवल भूजल निष्कर्षण ने 1993 और 2010 के बीच इस ग्रह को लगभग 80 सेंटीमीटर पूर्व की ओर झुका दिया है।
  • पृथ्वी में परिचालित जल द्रव्यमान के वितरण का निर्धारण करता है।
  • पृथ्वी के द्रव्यमान वितरण में भिन्नता के कारण धुरी और इसलिए ध्रुवों में बदलाव होता है। 
  • वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार 1993 और 2010 के बीच, लोगों ने 2,150 गीगाटन भूजल निष्कर्षण किया जिसके कारण समुद्र के जल स्तर में 6 मिलीमीटर (0.24 इंच) से अधिक की वृद्धि हुई।
  • नए अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पहले सिर्फ बर्फ की चादरों और ग्लेशियरों के हिसाब से और फिर विभिन्न भूजल पुनर्वितरण परिदृश्यों को जोड़कर परिवर्तनों का विश्लेषण किया।
  • जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में प्रकाशित 2021 के एक अध्ययन में पाया गया कि 1995 में ध्रुवीय बहाव की दिशा दक्षिण से पूर्व की ओर चली गई और 1995-2020 तक औसत बहाव गति 1981-1995 की तुलना में 17 गुना तेज थी।
  • इसमें कहा गया है कि पिछले 50 वर्षों में मानव ने एक्वीफर से 18 ट्रिलियन टन पानी बिना पुनर्भरण के निकाला है।

पृथ्वी की धुरी कैसे बदलती है?

  • पृथ्वी के घूमने की धुरी वह रेखा है जिसके साथ यह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हुए अपने चारों ओर घूमती है।
  • जिन बिंदुओं पर धुरी ग्रह की सतह को काटती है, वे भौगोलिक उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव कहलाती हैं।
  • ध्रुवों का स्थान निश्चित नहीं है, हालांकि, पृथ्वी के द्रव्यमान के वितरित में होने वाले परिवर्तन के कारण धुरी बदलती है।
  • नासा के अनुसार, 20वीं सदी के आंकड़ों से पता चलता है कि घूर्णन अक्ष प्रति वर्ष लगभग 10 सेंटीमीटर बदलती है। इसका अर्थ है कि एक सदी में, ध्रुवीय अक्ष 10 मीटर से अधिक बदल जाती है।
  • सामान्यतः ध्रुवीय गति जलमंडल, वायुमंडल, महासागरों या पृथ्वी के ठोस भाग में परिवर्तन के कारण होती है।
  • अब जलवायु परिवर्तन भी ध्रुवों के परिवर्तन में बढ़ोत्तरी कर रहा है।

groundwater-extraction

क्या असर होगा?

  • इस अध्ययन के अनुसार पृथ्वी के घूमने की धुरी में स्पष्ट बदलाव हमारे ग्रह की जलवायु को प्रभावित कर सकता है।
  • पृथ्वी का घूर्णन ध्रुव सामान्य रूप से लगभग एक वर्ष के भीतर कई मीटर बदल जाता है, इसलिए भूजल निष्कर्षण के कारण होने वाले परिवर्तनों से मौसम बदलने का जोखिम नहीं होता है। लेकिन भूगर्भीय समय के पैमाने पर, ध्रुवीय बहाव का जलवायु पर प्रभाव पड़ सकता है।
  • मध्य-अक्षांश से पानी का पुनर्वितरण ध्रुवीय बहाव को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है; इसलिए, पुनर्वितरण का स्थान ध्रुवीय बहाव को निर्धारित करता है। 
  • अध्ययन अवधि के दौरान, अधिकांश पुनर्वितरण पश्चिमी उत्तरी अमेरिका और उत्तर-पश्चिमी भारत में हुआ - दोनों मध्य अक्षांश पर स्थित हैं।
  • पृथ्वी की धुरी में परिवर्तन इतना बड़ा नहीं है कि यह दैनिक जीवन को प्रभावित करे।

आगे का रास्ता:

  • संवेदनशील क्षेत्रों में भूजल निष्कर्षण की दर को धीमा करने का प्रयास धुरी में परिवर्तन को कम कर सकता है, लेकिन यह तभी संभव है जब इस तरह का प्रयास दशकों तक बना रहे।

स्रोत: IE और THE HINDU

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