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भारतीय जैविक डाटा केंद्र

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव)

चर्चा में क्यों

हाल ही में, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत हरियाणा के फरीदाबाद में जीवन विज्ञान डाटा-भारतीय जैविक डाटा केंद्र (IBDC) के लिये भारत का पहला राष्ट्रीय भंडार कोष (Repository) का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

  • इसे राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, भुवनेश्वर के सहयोग से क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (RCB) में स्थापित किया गया है।
  • यह डिजीटल डाटा को 'ब्रह्म' नामक 4 पेटाबाइट क्षमता वाले सुपरकंप्यूटर पर संग्रहीत करेगा। गौरतलब है कि 1 पेटाबाइट 10,00,000 गीगाबाइट (GB) के बराबर होता है।

विशेषताएँ

  • भारत सरकार के बायोटेक-प्राइड (BIOTECH-PRIDE) दिशानिर्देशों के अनुसार, भारत में सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित अनुसंधान से उत्पन्न सभी जीवन विज्ञान डाटा को इस केंद्रीय भंडार में संग्रहीत करना अनिवार्य है। 
  • यह न केवल शोधकर्ताओं को अपने डाटा को देश के भीतर सुरक्षित रूप से संग्रहीत करने के लिये एक मंच प्रदान करेगा, बल्कि यह विश्लेषण के लिये स्वदेशी अनुक्रमों के एक बड़े डाटाबेस तक पहुँच भी प्रदान करेगा।
  • यह डाटाबेस पारंपरिक रूप से विभिन्न बीमारियों के आनुवंशिक आधार को निर्धारित करने और टीकों एवं उपचारों के लिये लक्ष्य खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

महत्त्व 

  • यह पहला राष्ट्रीय डाटा रिपॉजिटरी होगा, जहाँ डाटा न केवल पूरे भारत से जमा किया जाएगा, बल्कि पूरे भारत के शोधकर्ताओं द्वारा प्राप्त किया जा सकेगा।
  • यह केंद्र फेयर सिद्धांत अर्थात् खोज योग्य, सुलभ, इंटरऑपरेबल और पुन: प्रयोज्य (Findable, Accessible, Interoperable, and Reusable : FAIR ) के अनुसार डेटा साझा करने के लिये प्रतिबद्ध है। 
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