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अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक-2023

प्रारंभिक परीक्षा - समसामयिकी
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3

 संदर्भ- 

  • अंतर-सेवा संगठनों के कमांडर-इन-चीफ और ऑफिसर-इन-कमांड को अन्य सेवाओं के कर्मियों पर अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियों के साथ सशक्त बनाने वाला यह विधेयक 8 अगस्त 2023 को राज्यसभा द्वारा पारित कर दिया गया।

मुख्य बिंदु- 

  • इस विधेयक को 4 अगस्त 2023 को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था। 
  • वर्तमान में सशस्त्र बल कर्मियों को उनके विशिष्ट सेवा अधिनियमों, जैसे-  सेना अधिनियम 1950, नौसेना अधिनियम 1957 और वायु सेना अधिनियम 1950 में निहित प्रावधानों के अनुसार नियंत्रित किया जाता है।
  • विधेयक पेश करते हुए रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने इसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा राष्ट्र को सशक्त बनाने के उद्देश्य से किए जा रहे सैन्य सुधारों की शृंखला का हिस्सा बताया। 
  • इस विधेयक में मौजूदा सेवा अधिनियमों/नियमों/विनियमों में किसी भी प्रकार के ऐसे बदलाव का प्रस्ताव नहीं हैजो समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं और पिछले छह दशकों या उससे अधिक समय से न्यायिक जांच का सामना कर रहे हैं।
  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अनुसार, वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य के मद्देनजर सशस्त्र बलों को मजबूत करने के लिए यह विधेयक आवश्यक है । बेहतर संयुक्तता तथा एकीकरण के माध्यम से ही सेना राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने की दिशा में आगे बढ़ सकती है।

विधेयक के प्रावधान-

  • 'आईएसओ विधेयक -2023' नियमित सेनानौसेना और वायु सेना के सभी कर्मियों और केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित अन्य बलों के व्यक्तियों पर लागू होगाजो अंतर-सेवा संगठन में सेवारत हैं या उससे जुड़े हैं।
  • यह विधेयक कमांडर-इन-चीफऑफिसर-इन-कमांड या केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में विशेष रूप से नियुक्त किसी अन्य अधिकारी को अपने अंतर-सेवा संगठनों में सेवारत या उससे संबद्ध कार्मिकों के संबंध में अनुशासन बनाए रखने और अपने कर्तव्यों के उचित निर्वहन के लिए सभी अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियां प्रदान करता हैचाहे वे किसी भी सैन्य सेवा के हों।
  • कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड का अर्थ जनरल ऑफिसर/फ्लैग ऑफिसर/एयर ऑफिसर होता हैजिसे किसी अंतर-सेवा संगठन के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड के रूप में नियुक्त किया गया है।
  • कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड की अनुपस्थिति में कमांड और नियंत्रण बनाए रखने के लिए कार्यवाहक पदाधिकारी को किसी अंतर-सेवा संगठन में नियुक्तप्रतिनियुक्ततैनात या संबद्ध सेवा कर्मियों पर सभी अनुशासनात्मक या प्रशासनिक कार्रवाई शुरू करने का अधिकार भी दिया जाएगा।
  • विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, केंद्र सरकार एक अंतर-सेवा संगठन का गठन कर सकती है जिसमें तीनों सेवाओं में से कम से कम दो से संबंधित कर्मी हों।

महत्त्व-

  • विधेयक के अधिनियमन से विभिन्न लाभ होंगे, जैसे- आईएसओ के प्रमुखों द्वारा अंतर-सेवा प्रतिष्ठानों में प्रभावी अनुशासन बनाए रखनाअनुशासनात्मक कार्यवाही के तहत कर्मियों को उनकी मूल सेवा इकाईयों में वापस लाने की आवश्यकता नहीं हैकदाचार या अनुशासनहीनता के मामलों का शीघ्र निपटान और कई कार्यवाहियों से बचकर सार्वजनिक धन और समय की बचत होगी।
  • इस विधेयक से तीनों सेवाओं के बीच अधिक एकीकरण और एकजुटता का मार्ग भी प्रशस्त होने के साथ-साथ आने वाले समय में संयुक्त संरचनाओं के निर्माण के लिए एक मजबूत नींव रखी जाएगी तथा सशस्त्र बलों के कामकाज में और भी सुधार होगा।
  • श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि विधेयक तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करेगा और एकीकृत ढांचे को मजबूत करेगा और सदन को आश्वासन दिया कि यह भारत के सैन्य सुधारों की राह में एक मील का पत्थर साबित होगा। 
  • श्री सिंह के अनुसार,अब युद्ध परंपरागत नहीं रह गया है, बल्कि यह प्रौद्योगिकी और नेटवर्क-केंद्रित हो गया है। हम और हमारी सेनाएं जिन नई चुनौतियों का सामना कर रही हैं, उन्हें देखते हुए बेहतर समन्वय की जरूरत है। 
  • इस विधेयक का उद्देश्य सशस्त्र बलों में अनुशासन की परंपरा को और मजबूत करना है। अनुशासन का सीधा संबंध हमारी सेना के मनोबल से है। 
  • अंतर-सेवा संगठनों में हमारा प्रयास होना चाहिए कि जब भी अनुशासनहीनता से संबंधित कोई मामला सामने आए तो सेवा में बिना किसी भेदभाव के संबंधित कर्मियों के खिलाफ जल्द से जल्द अनुशासनात्मक या प्रशासनिक कार्रवाई की जाए। 
  • श्री सिंह ने कहा, विधेयक अंतर-सेवा संगठनों के प्रमुखों को बेहतर अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियां प्रदान करता है, जिससे वे अपने संगठनों में प्रभावी कमान, नियंत्रण और अनुशासन लाने में सक्षम होते हैं।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न - वर्तमान में सशस्त्र बल कर्मियों को उनके किस विशिष्ट सेवा अधिनियमों के तहत नियंत्रित किया जाता है?

  1. सेना अधिनियम 1950
  2. नौसेना अधिनियम 1957
  3. वायु सेना अधिनियम 1950

उपर्युक्त में से कितना/कितनें कथन सही है/हैं?

  1. केवल एक
  2. केवल दो
  3. सभी तीनों 
  4. कोई नहीं

उत्तर- (c)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न - अब युद्ध परंपरागत नहीं रह गया है, बल्कि यह प्रौद्योगिकी और नेटवर्क-केंद्रित हो गया है। ऐसी स्थिति में अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक-2023 किस प्रकार सेना को नई चुनौतियों से लड़ने में सक्षम बनाता है? विवेचना करें।

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