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लायन-टेल्ड मकाक : एक दुर्लभ प्रजाति

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ’ के डाटाबेस में ‘लायन-टेल्ड मकाक’ प्राइमेट की नवीनतम संरक्षण स्थिति को अपडेट किया गया।

लायन-टेल्ड मकाक (Lion-tailed Macaque)

  • लायन-टेल्ड मकाक के मुँह की बनावट शेर की तरह होती है। इसका वैज्ञानिक नाम मकाका साइलीनस (Macaca Silenus) है।
  • ये एक प्राचीन स्थानिक प्रजाति हैं, जो कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में पश्चिमी घाट के छोटे और अत्यधिक खंडित वर्षा वनों में पाए जाते हैं।
  • ये (प्राइमेट्स) ज़्यादातर शर्मीले स्वभाव वाले और फल-भक्षी होते हैं, जो सदाबहार वर्षा वनों में अपेक्षाकृत ऊपरी कैनोपियों में रहना पसंद करते हैं।

वर्तमान स्थिति

  • इस प्रजाति को छठी बार अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की ‘रेड डाटा लिस्ट’ के अंतर्गत 'संकटग्रस्त' (Endangered) श्रेणी में रखा गया है।
  • तकनीकी रिपोर्ट के अनुसार, लायन-टेल्ड मकाक (एल.टी.एम.) की कुल वन्य आबादी लगभग 4,000 हो सकती है, जो तीन राज्यों के सात अलग-अलग स्थानों में 47 पृथक उप-आबादी के रूप में फैली हुई है।
  • रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शिकार, सड़क दुर्घटना में मृत्यु और निवास स्थान के नुकसान सहित विभिन्न कारणों से अगले 25 वर्षों में इनकी जनसंख्या में 20% से अधिक की गिरावट का अनुमान है।
  • उल्लेखनीय है कि लायन-टेल्ड मकाक के संरक्षण की स्थिति का पहला आकलन वर्ष 1990 में किया गया था, जिसमें इसको 'संकटग्रस्त' श्रेणी में रखा गया था। वर्ष 1994 में इसकी संरक्षण स्थिति में कुछ सुधार देखा गया और इसको 'सुभेद्य' (Vulnerable) श्रेणी में रखा गया। हालाँकि, वर्ष 1996 से यह लगातार 'संकटग्रस्त' स्थिति में बना हुआ है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN)

  • वर्ष 1963 से ‘International Union for Conservation of Nature-IUCN’ द्वारा ‘वैश्विक प्रजाति कार्यक्रम’ और ‘प्रजाति उत्तरजीविता आयोग’ की मदद से रेड लिस्ट जारी की जाती है।
  • इसके तहत वैश्विक स्तर पर पशु व पादप प्रजातियों की संकटग्रस्त स्थिति का आकलन प्रस्तुत किया जाता है और अब तक एक लाख से ज़्यादा प्रजातियों का आकलन किया जा चुका है।
  • रेड डाटा बुक की सूची में प्रजातियों को उनकी संख्या में गिरावट तथा भौगोलिक क्षेत्र में उनकी स्थिति के अनुसार कुल नौ वर्गों में विभाजित किया जाता है।

संख्या में गिरावट : कारण

  • शोधकर्ताओं के अनुसार, एल.टी.एम. के निवास स्थानों में कमी की प्रवृत्ति देखी जा रही है, जो मुख्यतः पश्चिमी घाट रेंज में दक्षिण में स्थित कलक्कड़ पहाड़ियों (Kalakkad Hills) से लेकर उत्तर में सिरसी-होन्नावर (Sirsi-Honnavara) पहाड़ियों तक है।
  • निवास स्थानों का विखंडन इस प्रजाति के लिये प्रमुख खतरों में से एक है। कई निवास स्थान, जो अन्य स्थानों से कटे या अलग-थलग हैं, उनको लिंक किया जा सकता है।
    § मानव आवासों से मकाक को पकड़ना और एल.टी.एम. के निवास स्थान पर छोड़ना भी उनके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि ये नए परजीवियों के प्रसार का कारण बनते हैं।

उपाय

  • अन्नामलाई टाइगर रिज़र्व (तमिलनाडु ) के वालपराई पठार की आबादी को अन्य आबादी से भी जोड़ा जा सकता है। प्रबंधन, संरक्षण और जनसंख्या की प्रवृत्ति को समझने के लिये निरंतर निगरानी महत्त्वपूर्ण है।
  • पिछले कई वर्षों में प्राइमेट्स के संरक्षण के विभिन्न पहलुओं पर पर्याप्त शोध किया जा चुका है और अब उन्हें वास्तविकता में लागू करना अधिक आवश्यक है।
  • मानवीय हस्तक्षेप वाले क्षेत्रों में इनके द्वारा भोजन प्राप्त करने और आपसी सामाजिक क्रियाओं में भारी बदलाव देखा गया है, अत: मानव और इन प्राइमेट्स के मध्य सामंजस्य पर ध्यान दिया जाना चाहिये।

प्री फैक्ट :

  • शेर की तरह मुँह की बनावट वाले लायन-टेल्ड मकाक का वैज्ञानिक नाम मकाका साइलीनस (Macaca Silenus) है।
  • लायन-टेल्ड मकाक कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में पश्चिमी घाट के वर्षा वनों में पाई जाने वाली एक प्राचीन स्थानिक प्रजाति हैं , जो ज़्यादातर शर्मीले स्वभाव वाले और फल-भक्षी होते हैं।
  • इस प्रजाति को छठी बार अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की ‘रेड डाटा लिस्ट’ के अंतर्गत 'संकटग्रस्त' (Endangered) श्रेणी में रखा गया है।
  • वर्ष 1963 से ‘International Union for Conservation of Nature-IUCN’ द्वारा ‘वैश्विक प्रजाति कार्यक्रम’ और ‘प्रजाति उत्तरजीविता आयोग’ की मदद से कुल नौ वर्गों में विभाजित रेड लिस्ट जारी की जाती है, जिसके तहत वैश्विक स्तर पर पशु व पादप प्रजातियों की संकटग्रस्त स्थिति का आकलन प्रस्तुत किया जाता है।
  • पश्चिमी घाट रेंज में दक्षिण हिस्से में कलक्कड़ पहाड़ियाँ (Kalakkad Hills) और उत्तरी हिस्से में सिरसी-होन्नावर (Sirsi-Honnavara) पहाड़ियाँ स्थित हैं।
  • तमिलनाडु राज्य में स्थित अन्नामलाई टाइगर रिज़र्व (पूर्व नाम इंदिरा गांधी वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान) के वालपराई पठार पर भी ये (प्राइमेट्स) पाए जाते हैं।
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