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बिम्सटेक में सुदृढ़ीकरण की आवश्यकता

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह तथा भारत को प्रभावित करने वाले करार; महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, उनकी संरचना व अधिदेश)

संदर्भ

  • कोविड-19 महामारी के चलते हाल ही में, बिम्सटेक की 17वीं मंत्रिमंडलीय आभासी बैठक का आयोजन हुआ, जिसकी अध्यक्षता श्रीलंका द्वारा की गई। इस बैठक के प्रमुख बिंदुओं में बिम्सटेक में कुछ सुधार के साथ इसे अधिक मजबूत करने पर भी ज़ोर दिया गया।
  • महामारी के चलते जहाँ बिम्सटेक अपने राजनयिकों के साथ विचार विमर्श करने में विफल रहा, वहीं G-20 से लेकर आसियान और एस.सी.ओ. (शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन) ने अपने राजनीतिक विचार विमर्श को जारी रखा। लेकिन यह विस्मयकारी रहा कि अस्तित्व के संकट से जूझ रहे ‘सार्क’ ने ऐसी परिस्थिति में भी पिछले वर्ष बैठक का आयोजन किया था।

बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल – बिम्सटेक

the Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic CooperationBIMSTEC

  • स्थापना- 6 जून 1997 (बैंकाक घोषणा के माध्यम से)
  • मुख्यालय- ढाका, बांग्लादेश
  • संस्थापक सदस्य- भारत, थाईलैंड, बांग्लादेश, श्रीलंका
    • BIST-EC (Bangladesh, India, Sri Lanka and Thailand Economic Cooperation)    
  • अन्य शामिल देश-
    • म्याँमार  (22 दिसम्बर 1997, बैंकाक) 
  • BIMST-EC (Bangladesh, India, Myanmar, Sri Lanka and Thailand Economic Cooperation)    
    • नेपाल तथा भूटान (फरवरी 2004 6वीं मंत्रिमंडलीय बैठक, थाईलैंड)
  • BIMSTEC (the Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation)  

बिम्सटेक से सम्बंधित अन्य तथ्य

  • अपने शुरुआती 20 वर्षों तक यह संगठन अत्यंत मंद गति से कार्य करता रहा, परंतु वर्ष 2016 में गोवा में आयोजित हुई बैठक के बाद से इसने प्रभावी रूप से कार्य करना शुरू किया।
  • अगस्त 2018 में नेपाल के काठमांडू में आयोजित हुए चौथे शिखर सम्मेलन के दौरान इस संगठन में संस्थागत सुधार तथा नवीनीकरण करने के विषय पर चर्चा हुई तथा आर्थिक व सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिये एक महत्त्वाकांक्षी योजना तैयार करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया।
  • इस बैठक के दौरान संगठन को और अधिक औपचारिक तथा मजबूत बनाने के लिये एक चार्टर तैयार करने का भी निर्णय लिया गया। इसके अलावा, संगठन का लक्ष्य संशोधित करते हुए पूरे बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में शांतिपूर्ण, समृद्ध तथा सतत् विकास का वातावरण बनाना शामिल किया गया।
  • बिम्सटेक की वर्तमान समय की प्रासंगिकता को वर्ष 2019 में आयोजित भारतीय प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में इस संगठन के नेताओं की उपस्थिति के रूप में देखा जा सकता है।

हाल में लिये गए निर्णय

  • इस बैठक में सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य था कि काठमांडू शिखर सम्मेलन में सामने आए ‘बिम्सटेक चार्टर’ के मसौदे को मंजूरी दी गई तथा इसे जल्द अपनाने की सिफारिश भी की गई। साथ ही, मंत्रियों के द्वारा ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी के मास्टर प्लान को भी सहमती दी गई, जिसे वर्ष 2022 में श्रीलंका में आयोजित होने वाले अगले शिखर सम्मेलन में अपनाया जाएगा।
  • इसके अलावा, इसमें आपराधिक मामले में पारस्परिक कानूनी सहायता, राजनयिक अकादमियों के मध्य सहयोग तथा कोलंबो में एक ‘प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुविधा’ (टी.टी.एफ.) की स्थापना से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर की तैयारी की गई।
  • भारत ने इस बैठक में बिम्सटेक ढाँचे के तहत क्षेत्रीय सहयोग की गति को आगे बढ़ाने तथा संगठन को मज़बूत, जीवंत, अधिक प्रभावी और परिणामोन्मुख बनाने के लिये भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। साथ ही, भारत द्वारा काउंटर टेरेरिज्म एंड ट्रांस नेशनल क्राइम, ट्रांसपोर्ट एंड कम्युनिकेशन, टूरिज्म और पर्यावरण और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्र में बिम्सटेक संगठन के सहयोग की बात की है।

बिम्सटेक के सुदृढ़ीकरण में भारत की भूमिका

  • इस सम्मेलन के दौरान अन्य देशों के विदेश मंत्रियों ने भारत द्वारा क्रियान्वित की जा रही विभिन्न पहलों की सराहना की, जो वर्ष 2018 में आयोजित हुए बिम्सटेक के शिखर सम्मेलन के दौरान घोषित की गई थी। इन पहलों में जनवरी 2021 में आभासी (Virtual) मोड में आयोजित की गई ‘बिम्सटेक स्टार्टअप कॉन्क्लेव’ भी शामिल है।
  • इन पहलों के अंतर्गत फरवरी 2020 में पुरी में दूसरा बिम्सटेक आपदा प्रबंधन अभ्यास, बिम्सटेक देशों के लिए ड्रग तस्करी के संयोजन पर सम्मेलन, नई दिल्ली स्थित ‘सुषमा स्वराज इंस्टीट्यूट फॉर फॉरेन सर्विस’ में बिम्सटेक देशों के राजनयिकों को प्रशिक्षण दिया गया।
  • इसके अलावा, जनवरी 2020 में ‘नॉर्थ ईस्ट स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, शिलॉन्ग’ में अंतरिक्ष और रिमोट सेंसिंग के क्षेत्र में बिम्सटेक देशों के 24 शोधकर्ताओं/पेशेवरों को प्रशिक्षण दिया गया और नालंदा विश्वविद्यालय में बिम्सटेक देशों के 30 छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई।
  • इससे पूर्व, दिसंबर 2019 में नई दिल्ली में ‘क्लाइमेट स्मार्ट फार्मिंग सिस्टम’ पर बिम्सटेक सेमिनार का आयोजन हुआ एवं ‘गुजरात इंस्टीट्यूट फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट, गांधीनगर’ में शहरीकरण की योजना पर क्षमता निर्माण कार्यशाला आयोजित की गई।
  • वर्ष 2018 में पुणे में ‘बिम्सटेक मिलिट्री एक्सरसाइज़ और आर्मी चीफ कॉन्क्लेव’ तथा नई दिल्ली में इंडिया मोबाइल कांग्रेस के दौरान बिम्सटेक मिनिस्टीरियल कॉन्क्लेव का आयोजन हुआ था।

चिंताएँ

  • बिम्सटेक को मज़बूती प्रदान करने में सबसे बड़ी चुनौती उसके सदस्य देशों के मध्य सौहार्दपूर्ण तथा तनावमुक्त द्विपक्षीय संबंधो को बनाए रखना है। हाल ही में भारत-नेपाल, भारत-श्रीलंका तथा बांग्लादेश-म्याँमार के मध्य तनावपूर्ण संबंध इसके लिये चुनौतीपूर्ण प्रतीत होते हैं।
  • दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में चीन का बढ़ता प्रभाव भी इसके लिये एक चुनौती बना हुआ है एवं हालिया सम्मेलन में एक प्रसिद्ध बांग्लादेशी विद्वान ने बिम्सटेक की प्रगति के लिये चीन को संगठन का प्रमुख वार्ताकार तथा साझेदार बनाने तक की बात कही थी।
  • म्याँमार में हाल ही में सेना द्वारा किया गया तख्तापलट, प्रदर्शनकारियों की क्रूर कार्यवाही तथा लोकप्रिय प्रतिरोध को जारी रखने के परिणामस्वरूप एक विकृत गतिरोध ने एक नई प्रकार की चुनौती को जन्म दिया है।

निष्कर्ष

बिम्सटेक अगला वर्ष अपनी रजत जयंती के रूप में मनाने के लिये तैयार है लेकिन यह अभी भी अनेक गंभीर चुनौतियों का भी सामना कर रहा है। संगठन को स्वयं के सुदृढ़ीकरण भी पर ध्यान देना चाहिये तथा अपने शिखर सम्मेलनों को प्रतिवर्ष आयोजित करके, इसके समक्ष उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटने का भी प्रयास करना चाहिये। तभी यह संगठन दक्षिण-एशिया तथा दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ने वाले मंच के रूप में अपनी मज़बूत प्रतिबद्धता को आश्वस्त कर सकेगा।

अन्य स्मरणीय तथ्य

  • इस संगठन के प्रमुख उद्देश्यों में, तेज़ी से आर्थिक विकास को बढ़ावा देना तथा संगठन के देशों के मध्य आंतरिक, सामरिक तथा बहुपक्षीय संबंधों को मज़बूत करना शामिल है।
  • प्रथम सम्मेलन- बैंकाक, थाईलैंड (31 जुलाई 2004)
  • द्वितीय सम्मलेन- नई दिल्ली, भारत (13 नवंबर 2008)
  • तृतीय सम्मेलन- नेपितो, म्याँमार  (4 मार्च 2014)
  • चतुर्थ सम्मेलन- काठमांडू, नेपाल (30-31 अगस्त 2018) 
  • पंचम सम्मेलन-  कोलंबो, श्रीलंका (2022, प्रस्तावित)
  • म्याँमार  को 22 दिसम्बर, 1997 में बैंकाक में आयोजित किये गए एक विशेष मंत्रिमंडलीय बैठक के अंतर्गत इस संगठन का सदस्य बनाया गया था।
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