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पर्यावरणीय सामाजिक प्रशासन मानदंडों पर पुनर्विचार की आवश्यकता

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : भारतीय अर्थव्यवस्था एवं योजना, संसाधनों का जुटाव, संरक्षण)

संदर्भ

दुनिया भर के नियामकों एवं निगमों का विचार है कि व्यवसायों को न केवल उनके शेयरधारक रिटर्न जैसे पारंपरिक आर्थिक आधार पर मापा जाना चाहिए, बल्कि उनके पर्यावरणीय प्रभाव, सामाजिक मुद्दों के प्रति प्रतिबद्धता और कॉर्पोरेट प्रशासन की सुदृढ़ता के आधार पर भी मापा जाना चाहिए। 

पर्यावरणीय सामाजिक प्रशासन मानदंडों के बारे में 

  • पर्यावरणीय सामाजिक प्रशासन (Environmental Social Governance : ESG) मानदंड ढांचा हितधारकों को यह समझने में मदद करता है कि कोई संगठन संधारणीयता के मुद्दों से संबंधित जोखिम एवं अवसरों का प्रबंधन किस प्रकार कर सकता है।
  • इस अवधारणा को वर्ष 2005 में संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व वाली रिपोर्ट में लॉन्च किया गया था, जिसका शीर्षक 'हू केयर्स विन्स: कनेक्टिंग फाइनेंशियल मार्केट्स टू ए चेंजिंग वर्ल्ड' था।  
    • इसमें वित्तीय संस्थानों, निवेशकों एवं नियामकों को कंपनियों में सतत पर्यावरणीय सामाजिक सुशासन प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने के उद्देश्य से सुझाव दिए गए थे।
  • पर्यावरणीय कारक : यह कारक किसी संगठन के पर्यावरणीय प्रभाव एवं जोखिम प्रबंधन प्रथाओं को संदर्भित करता है। इनमें प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन व भौतिक जलवायु जोखिमों (जैसे- जलवायु परिवर्तन, बाढ़ एवं आग) के खिलाफ फर्म की समग्र कार्यवाही शामिल होती है।
  • सामाजिक कारक : यह स्तंभ हितधारकों के साथ किसी संगठन के संबंधों को संदर्भित करता है। किसी फर्म के सामाजिक कारकों को मापने में मानव पूंजी प्रबंधन (HCM) मैट्रिक्स (जैसे- उचित वेतन एवं कर्मचारी जुड़ाव) और साथ काम करने वाले समुदायों पर संगठन का प्रभाव शामिल होता है।
  • प्रशासन : कॉर्पोरेट प्रशासन से तात्पर्य किसी संगठन का नेतृत्व एवं प्रबंधन करने के तरीके से है। इसमें नेतृत्व के प्रोत्साहन को हितधारक की अपेक्षाओं के साथ जोड़ने, शेयरधारक अधिकारों को सम्मानित करने और नेतृत्व की ओर से पारदर्शिता एवं जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए आंतरिक नियंत्रण की स्थिति को शामिल किया जाता है।

ESG मानदंडों पर पुनर्विचार की आवश्यकता के कारण  

  • ESG क्रेडेंशियल्स का मापन अब वैश्विक उद्योग बन गया है, जिसमें कई रिपोर्टिंग ढांचे कंपनियों को मापने और रैंक करने के लिए कई तरह के मैट्रिक्स का प्रयोग करते हैं। ESG मूल्यांकन मानदंडों में एकरूपता की कमी एवं व्यक्तिपरकता इसकी विश्वसनीयता को कम करते हैं।
  • इसमें शामिल कारकों की विविधता के कारण सुपरिभाषित एवं मानकीकृत मूल्यांकन मैट्रिक्स की संभावना नगण्य सी है।
  • ESG दृष्टिकोण की मूलभूत समस्या यह है कि अधिकांश ESG रेटिंग केवल उन जोखिमों को मापती हैं जो जलवायु परिवर्तन एवं सामाजिक उथल-पुथल से संबंधित है, जबकि प्रशासनिक बिंदुओं को दरकिनार कर दिया जाता है।     
  • ESG को लेकर सर्वाधिक चिंता यह है कि इसे बढ़ावा देकर कंपनियां, निवेशक, नागरिक समाज एवं सरकारें उन कठोर निर्णयों से बच सकती हैं जो जलवायु परिवर्तन व बढ़ती असमानता जैसी समस्याओं का सामना करने और उन्हें दूर करने के लिए आवश्यक हैं। 

क्या किया जाना चाहिए 

  • विश्व आर्थिक मंच एवं बिग फोर अकाउंटिंग फर्मों ने कंपनियों द्वारा जारी ESG रिपोर्टिंग को अधिक सुसंगत एवं तुलना करने में आसान बनाने के लिए सभी मानकीकृत सेट को लागू करने पर जोर दिया है।
  • संगठनों को अपने प्रमुख हितधारकों को प्रेरित करने और उनसे जुड़ने के लिए शुद्ध लाभ के साथ-साथ उच्च उद्देश्य भी रखना चाहिए।
  • सभी हितधारकों के लिए मूल्य सृजन और अनुकूलन के लिए संपूर्ण व्यवसायिक  पारितंत्र पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • ESG प्रथाओं को किसी संगठन के ढांचे में शामिल करने से समय के साथ परिचालन व्यय, ऊर्जा बिल एवं अन्य लागतों को कम किया जा सकता है।

कोर्पोरेट सामाजिक उतरदायित्व

  • कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) एक प्रबंधन अवधारणा है, जिसके अंतर्गत कंपनियां अपने व्यापार संचालन और अपने हितधारकों के साथ संवाद में सामाजिक एवं पर्यावरणीय चिंताओं को भी सम्मिलित करती हैं।
  • कंपनी अधिनियम, 2013 के माध्यम से निगमों के लिए कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) का वैधानिक दायित्व लागू करने वाला दुनिया का पहला देश भारत है। 
  • CSR में मुख्यतः चार श्रेणियां शामिल हैं : पर्यावरणीय प्रभाव, नैतिक उत्तरदायित्व, परोपकारी प्रयास एवं वित्तीय जिम्मेदारियां।
  • CSR के प्रावधान ऐसी प्रत्येक कंपनी पर लागू होते हैं, जो पिछले वित्तीय वर्ष में निम्नलिखित में से किसी भी एक दायरे में आती हो :
    • 500 करोड़ रुपए से अधिक की कुल संपत्ति
    • 1000 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार
    • 5 करोड़ रुपए से अधिक का शुद्ध लाभ
  • CSR नीति के अंतर्गत कंपनी के प्रत्येक वित्तीय वर्ष में अपने पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान अर्जित औसत शुद्ध लाभ का कम-से-कम 2% CSR श्रेणियों में खर्च करने का प्रावधान है।

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