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गिग वर्कर्स और भारत की श्रम डाटा प्रणाली

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।)

संदर्भ

भारत में गिग एवं प्लेटफॉर्म वर्कर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है और वर्ष 2025 के बजट में इस कार्यबल को औपचारिक रूप से मान्यता देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। हालाँकि, भारत की श्रम सांख्यिकी प्रणाली, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) में गिग एवं प्लेटफॉर्म कार्य को अलग से वर्गीकृत करने का अभाव है।

गिग एवं प्लेटफॉर्म वर्कर्स : परिभाषा और महत्व

  • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 (Code on Social Security, 2020) में पहली बार गिग वर्कर्स को कानूनी ढांचे में शामिल किया गया। 
  • इस संहिता के तहत गिग वर्कर को पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध के बाहर कार्य व्यवस्था में भाग लेने वाले और ऐसी गतिविधियों से आय अर्जित करने वाले व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है। 
  • प्लेटफॉर्म कार्य को ‘ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से विशिष्ट समस्याओं को हल करने या सेवाएँ प्रदान करने के लिए संगठनों या व्यक्तियों द्वारा उपयोग की जाने वाली कार्य व्यवस्था’ के रूप में परिभाषित किया गया है। 
  • नीति आयोग की वर्ष 2022 की रिपोर्ट ‘भारत की उभरती गिग एवं प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था’ के अनुसार, गिग कार्यबल वर्ष 2029-30 तक 2.35 करोड़ तक पहुँचने की संभावना है। 
  • यह बढ़ता कार्यबल भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है किंतु PLFS में इसके अस्पष्ट वर्गीकरण के कारण इसकी वास्तविक स्थिति एवं जरूरतें अदृश्य रहती हैं।

PLFS में गिग वर्कर्स की सांख्यिकीय अदृश्यता

  • भारत की श्रम सांख्यिकी के प्राथमिक स्रोत PLFS में गिग एवं प्लेटफॉर्म कार्य को ‘स्व-नियोजित’, ‘स्वयं-खाता कार्यकर्ता’ या ‘आकस्मिक श्रम’ जैसे अस्पष्ट श्रेणियों में शामिल किया गया है। 
  • यह वर्गीकरण गिग कार्य की अनूठी विशेषताओं, जैसे- एल्गोरिदम पर निर्भरता, एकाधिक प्लेटफॉर्म्स पर कार्य और अस्थिर आय को प्रतिबिंबित करने में विफल रहता है। 
  • उदाहरण के लिए, स्विगी एवं जोमैटो जैसे प्लेटफॉर्म्स पर काम करने वाले खाद्य वितरण कार्यकर्ता (Food Delivery Agent) को ऐसी श्रेणी में रखा जाता है जो उसकी रोजगार शर्तों या सामाजिक सुरक्षा जरूरतों को पूरी तरह से दर्शाने में असमर्थ है।

सामाजिक सुरक्षा संहिता और नीतिगत प्रयास

  • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 की धारा 141 में असंगठित, गिग, और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा निधि की स्थापना का प्रावधान है। 
  • राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड (National Social Security Board) को गिग एवं प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए कल्याण योजनाएँ तैयार करने और लागू करने का दायित्व सौंपा गया है। 
  • वर्ष 2025 के केंद्रीय बजट ने गिग वर्कर्स के लिए ई-श्रम पंजीकरण, डिजिटल पहचान पत्र और आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य कवरेज जैसे कदम उठाए हैं। 
  • हालाँकि, PLFS में गिग वर्कर्स के लिए विशिष्ट श्रेणी की अनुपस्थिति के कारण इन योजनाओं का लाभ असमान होने के साथ-साथ योजना से बाहर करने वाला रहा है। 
  • बिना सटीक डाटा के नीति निर्माता ‘साक्ष्य-आधारित नीति’ (Evidence-based Policy) निर्माण में असमर्थ हैं, जिससे गिग वर्कर्स की जरूरतें अनदेखी रहती हैं।

PLFS की सीमाएँ

PLFS में गिग कार्य की विशिष्टताओं को पकड़ने के लिए कोई अलग मॉड्यूल या वर्गीकरण कोड नहीं है। सर्वेक्षण में ‘कोई लिखित नौकरी अनुबंध नहीं’ का विकल्प शामिल है किंतु यह गिग कार्य की संकर प्रकृति (Hybrid Nature) को नहीं दर्शाता है। पारंपरिक स्व-नियोजन के विपरीत गिग कार्य के समक्ष चुनौतियां इस प्रकार हैं:

  • एल्गोरिदम पर निर्भर : कार्य प्रक्रियाएँ एवं आय प्लेटफॉर्म एल्गोरिदम द्वारा नियंत्रित
  • एकाधिक भूमिकाएँ : कार्यकर्ता एक साथ कई प्लेटफॉर्म्स पर काम करते हैं।
  • अनुबंध की अनुपस्थिति : स्थिर अनुबंधों की कमी
  • सुरक्षा मेट्रिक्स की कमी : औपचारिक कर्मचारियों को उपलब्ध लाभ, जैसे- पेंशन या अवकाश का अनुपलब्ध होना
  • आय अस्थिरता : टास्क-आधारित कार्य, न कि समय-आधारित

इन विशेषताओं के कारण ‘स्व-नियोजित’ या ‘आकस्मिक श्रम’ जैसे लेबल गिग वर्कर्स के लिए भ्रामक हैं। PLFS 2025 के संशोधित संस्करण में बड़े नमूने, मासिक अनुमान एवं ग्रामीण प्रतिनिधित्व में सुधार जैसे अपडेट शामिल हैं किंतु गिग कार्य की परिभाषा एवं समझ को संबोधित करने में यह अभी भी पीछे है।

चुनौतियाँ

  • PLFS में गिग वर्कर्स की सांख्यिकीय अदृश्यता का नीतिगत प्रभाव गहरा है। बिना विशिष्ट डाटा के गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ प्रभावी ढंग से लागू नहीं हो पा रही हैं। 
  • यह असमानता विशेष रूप से ग्रामीण एवं आर्थिक रूप से कमजोर क्षेत्रों में स्पष्ट है। 
  • गिग वर्कर्स की अनूठी चुनौतियाँ, जैसे- आय की अनिश्चितता एवं एल्गोरिदम शासन को नीति निर्माण में अनदेखा कर दिया जाता है। 
  • उदाहरण के लिए, एक खाद्य वितरण कार्यकर्ता की कार्य परिस्थितियाँ एवं सामाजिक सुरक्षा जरूरतें पारंपरिक श्रमिकों से भिन्न हैं किंतु PLFS इन अंतरों को पकड़ने में असमर्थ है।

आगे की राह

  • विशिष्ट वर्गीकरण कोड : PLFS में गिग एवं प्लेटफॉर्म कार्य के लिए अलग श्रेणी या कोड शामिल करना
  • नया सर्वेक्षण मॉड्यूल : गिग कार्य की विशेषताओं, जैसे- एल्गोरिदम निर्भरता एवं एकाधिक भूमिकाओं, को पकड़ने के लिए विशेष मॉड्यूल
  • डाटा संग्रह में सुधार : गिग वर्कर्स की आय, कार्य परिस्थितियों एवं सामाजिक सुरक्षा जरूरतों पर केंद्रित डाटा संग्रह
  • जागरूकता एवं प्रशिक्षण : नीति-निर्माताओं एवं सांख्यिकीविदों को गिग अर्थव्यवस्था की जटिलताओं के बारे में प्रशिक्षित करना
  • सहयोग : नीति आयोग, श्रम मंत्रालय एवं निजी क्षेत्र के साथ सहयोग कर गिग कार्यबल की बेहतर समझ विकसित करना

निष्कर्ष

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 और वर्ष 2025 के केंद्रीय बजट ने गिग वर्कर्स को मान्यता दी है किंतु PLFS में उनकी सांख्यिकीय अदृश्यता समावेशी नीति निर्माण में बाधा डाल रही है। गिग कार्य की अनूठी प्रकृति को समझने के लिए PLFS में विशिष्ट वर्गीकरण एवं मॉड्यूल की आवश्यकता है। यह सुधार न केवल गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को प्रभावी बनाएगा, बल्कि भारत की श्रम सांख्यिकी प्रणाली को अधिक समावेशी व प्रासंगिक भी बनाएगा।

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