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जन्म एवं मृत्यु के राष्ट्रीय डाटाबेस की तैयारी

(प्रारंभिक परीक्षा- लोकनीति एवं अधिकारों संबंधी मुद्दे इत्यादि)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ

केंद्र सरकार ‘जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969’ (Registration of Birth and Death Act, 1969) में संशोधन पर विचार कर रही है। इसके लिये सुझाव आमंत्रित किये गए हैं।

जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के मुख्य प्रावधान

  • जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के तहत ‘जन्म’, ‘मृत जन्म’ तथा ‘मृत्यु’ का पंजीकरण अनिवार्य है। कानूनी मानकों और पंजीकरण प्रक्रियाओं में एकरूपता लाने के लिये यह अधिनियम 1 अप्रैल, 1970 को देश के अधिकांश राज्यों में लागू किया गया।
  • इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं :

    • जन्म (जीवित व मृत) एवं मृत्यु का अनिवार्य पंजीकरण
    • राष्ट्र, राज्य, जिला एवं स्थानीय स्तर पर पंजीकरण अधिकारी की नियुक्ति 
    • रजिस्ट्रार को जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण घटना घटित होने वाले स्थान तथा अपने अधिकार क्षेत्र में ही करना आवश्यक 
    • जन्म व मृत्यु के 21 दिनों के भीतर ही इसकी रिपोर्टिंग आवश्यक किंतु इसके बाद भी पंजीकरण संभव
    • नवजात के नाम के बिना ही पंजीकरण संभव तथा अधिकतम 15 वर्ष की समय-सीमा के भीतर नाम जुड़वाने की सुविधा उपलब्ध 
    • रजिस्टर में जन्म एवं मृत्यु की प्रविष्टि को सुधारने या निरस्त करने की अनुमति
    • रजिस्टर में दर्ज़ मृत्यु के कारणों का मृत्यु प्रमाण-पत्र में उल्लेख नहीं 
    • प्रवासी भारतीय नागरिकों के लिये पंजीकरण की विशेष सुविधा
    • इस अधिनियम में विवाह का पंजीकरण शामिल नहीं
  • इस अधिनियम के तहत जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण करने तथा उसका रिकॉर्ड रखने  की जिम्मेदारी राज्यों की है।

      प्रस्तावित संशोधन 

      • संशोधन विधेयक में जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण का राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार करने का प्रस्ताव है, जिसका उपयोग राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर, मतदाता सूची और आधार डाटाबेस को अद्यतन करने के लिये किया जा सकता है।
      • साथ ही, जन्म (माँ का आधार नंबर) तथा मृत्यु की रिपोर्टिंग के समय उपलब्धता के अनुसार आधार नंबर को शामिल करने का भी प्रस्ताव है।
      • संशोधन विधेयक में जन्म प्रमाण-पत्र को आधार कार्ड, पासपोर्ट, मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस तथा स्कूल में नामांकन के लिये जन्म तिथि तथा स्थान के प्रमाण के रूप में स्वीकार करने का प्रस्ताव है।

      चुनौतियाँ और समाधान 

      • जन्म एवं मृत्यु डाटाबेस में दर्ज़ पता माता या मृतक के स्थायी या वर्तमान पते से भिन्न हो सकता है, ऐसे में इसका उपयोग जन्म या मृत्यु के स्थान को प्रमाणित करने के लिये नहीं किया जा सकता है।
      • केंद्र सरकार मृत्यु पंजीकरण की रिपोर्टिंग के समय मृतक के आधार नंबर को शामिल करने का निर्देश राज्यों को पहले ही दे चुकी है, अत: इसके लिये अधिनियम में संशोधन अनावश्यक प्रतीत होता है।
      • वर्तमान में राज्य सरकारें जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण के डाटाबेस को तैयार कर उसका रिकॉर्ड रखती है जिसका उपयोग किसी अन्य डाटाबेस (आधार, मतदाता सूची, पासपोर्ट आदि) को अद्यतन करने के लिये किया जा सकता है। ऐसे में राष्ट्रीय डाटाबेस का निर्माण सामान कार्यों की पुनरावृति होगी।
      • राज्य सरकारें विभिन्न प्रकार के डाटा के लिये अलग-अलग प्रारूपों को अपनाती हैं, जैसे उत्तरी तथा दक्षिणी राज्यों में नाम के प्रारूप में भिन्नता होती है। ऐसे में राष्ट्रीय डाटाबेस के लिये देश की सांस्कृतिक विविधता को ध्यान में रखते हुए एक राष्ट्रीय मानक विकसित करने की आवश्यकता होगी।
      • इस अधिनियम में विवाह के पंजीकरण को भी शामिल करने के लिये वर्ष 2012 में संसद में एक असफल प्रयास किया जा चुका है। विधि आयोग ने भी अपनी 270वीं रिपोर्ट में विवाह पंजीकरण को इस अधिनियम में शामिल करने की सिफ़ारिश की है, अत: संशोधन विधेयक में इस प्रस्ताव को शामिल करने पर विचार किया जाना चाहिये।
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