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भुगतान नेटवर्क प्रणाली पर प्रतिबंध : कारण और प्रभाव 

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, भारतीय अर्थव्यस्था)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना)

संदर्भ 

हाल ही में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वैश्विक कार्ड नेटवर्क मास्टरकार्ड (मास्टरकार्ड एशिया/पैसिफिक पी.टी.ई. लिमिटेड) को अपने कार्ड नेटवर्क पर नए कार्ड जारी करने से रोक दिया है। 

कारण 

  • यह कार्रवाई भुगतान प्रणाली डाटा के भण्डारण पर आर.बी.आई. के मानदंडों का उल्लंघन करने के कारण की गई है। ध्यातव्य है कि आर.बी.आई. ने वर्ष 2018 में भण्डारण संबंधी दिशा-निर्देश जारी किये थे। इन दिशा-निर्देशों में ‘डाटा स्थानीयकरण’ जैसे मुद्दे भी शामिल हैं।
  • काफी समय व्यतीत होने और पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद इसने भुगतान प्रणाली डाटा संग्रहण के निर्देशों का अनुपालन नहीं किया है। हालाँकि, इस आदेश का मास्टरकार्ड के साथ-साथ अन्य कार्ड नेटवर्कों के मौजूदा ग्राहकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
  • विदित हो कि इसी तरह के उल्लंघन के कारण आर.बी.आई. ने तीन माह पूर्व अमेरिकन एक्सप्रेस और डाइनर्स क्लब इंटरनेशनल को भी कार्ड जारी करने से रोक दिया था।
  • भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (Payment and Settlement Systems Act: PSS Act) की धारा 17 के तहत आर.बी.आई. में निहित शक्तियों के प्रयोग द्वारा यह पर्यवेक्षी कार्रवाई की गई है। इस अधिनियम के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक भारत में भुगतान प्रणालियों के विनियमन और पर्यवेक्षण के लिये प्राधिकृत है।

आर.बी.आई. का भण्डारण संबंधी दिशा-निर्देश

  • इसके तहत वैश्विक कार्ड कंपनियों को भारत में लेन-देन (Transactions) से संबंधित संपूर्ण डाटा (संदेश या भुगतान निर्देश के हिस्से के रूप में पूर्ण एंड-टू-एंड लेन-देन विवरण, एकत्रित या संसाधित की गई जानकारी) भारत में स्थापित प्रणाली में रखना आवश्यक है और अप्रैल 2018 में नियम जारी होने के छह महीने के भीतर इस मानदंड का पालन करना था।
  • इन कार्ड नेटवर्कों को आर.बी.आई. को अनुपालन की रिपोर्ट करने और निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर सी.ई.आर.टी.-इन (CERT-In) पैनलबद्ध लेखा परीक्षक द्वारा आयोजित एक बोर्ड-अनुमोदित सिस्टम ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करने की भी आवश्यकता थी।
  • आर.बी.आई. ने यह भी कहा था कि संबंधित डाटा को केवल भारत में ही संग्रहीत किया जाना चाहिये और अन्य देशों में इसकी कोई प्रतिलिपि या मिररिंग संग्रहीत नहीं की जानी चाहिये।

भुगतान नेटवर्कों का तर्क 

  • मास्टरकार्ड के अनुसार, इन नियमों से उनके बुनियादी ढाँचे की लागत में वृद्धि होगी और धोखाधड़ी का पता लगाने वाले इसके वैश्विक प्लेटफार्मों की क्रियाविधि पर असर पड़ेगा। साथ ही, इससे अन्य देश भी डाटा स्थानीयकरण की मांग कर सकते हैं।
  • भिन्न-भिन्न देशों में डाटा प्रबंधन को लेकर अलग-अलग नियमों और अस्पष्टता के कारण भी इनको समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • मास्टरकार्ड एक भुगतान प्रणाली ऑपरेटर है जो पी.एस.एस. अधिनियम के तहत देश में कार्ड नेटवर्क संचालित करने के लिये अधिकृत है।

प्रभाव 

  • आर.बी.आई. के निर्णय से मुख्यतः एक्सिस बैंक, यस बैंक और इंडसइंड बैंक सहित पाँच बैंक प्रभावित होंगे। इससे मध्यम अवधि में बैंकों के कार्ड जारी करने की वृद्धि भी प्रभावित होगी, क्योंकि अन्य कार्ड नेटवर्क पर बदलने में समय लगेगा।
  • वर्तमान में मास्टरकार्ड और वीज़ा जैसी फर्मों को घरेलू भुगतान नेटवर्क ‘रुपे’ से बढ़ती प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। कार्ड जारी करने के मामले में वीज़ा (Visa) और मास्टरकार्ड की हिस्सेदारी क्रमशः लगभग आधी और एक-तिहाई है।

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  • क्रेडिट कार्ड बैंकों के लिये एक उच्च-लाभ वाला आकर्षक व्यवसाय है, जो महामारी के कारण पहले से ही प्रभावित है। मास्टरकार्ड पर रोक से रुपे की अपेक्षा वीज़ा को अधिक लाभ होने की उम्मीद है।
  • यस बैंक, आर.बी.एल. बैंक और बजाज फिनसर्व के सबसे अधिक प्रभावित होने की संभावना है, क्योंकि इनकी पूरी कार्ड योजनाएँ मास्टरकार्ड से संबद्ध हैं। इससे भारत की उभरती भुगतान प्रणाली में महत्त्वपूर्ण व्यवधान भी उत्पन्न हो सकता है।
  • डेबिट या क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके ट्रांसफर किये गए फंड मास्टरकार्ड, वीज़ा और एन.पी.सी.आई. जैसे प्लेटफॉर्म के जरिये भेजे जाते हैं। आर.बी.आई. के आँकड़ों के अनुसार, मई 2021 तक भारत में 90.23 करोड़ डेबिट कार्ड और 6.23 करोड़ क्रेडिट कार्ड थे।
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