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Sanskriti Mains Mission: GS Paper - 4

"किसी भी व्यक्ति द्वारा क्रोध करना अत्यंत सरल है लेकिन सही व्यक्ति पर, सही समय पर, उचित तरीके एवं उद्देश्य से क्रोध करना कठिन है, यह कुछ लोग ही कर सकते हैं।" – अरस्तू। उक्त कथन की विवेचना कीजिये। (150 शब्द)

25-Aug-2021 | GS Paper - 4

Solutions:

उत्तर प्रारूप

भूमिका (25-30 शब्द)

क्रोध को परिभाषित करते हुए संक्षिप्त भूमिका लिखें।

मुख्य भाग (90-100 शब्द)

  • व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक जीवन में क्रोध के मूलभूत कारणों की पहचान करते हुए स्वयं के साथ-साथ दूसरों द्वारा किये गए क्रोध के प्रबंधन में भावनात्मक बुद्धिमत्ता की उपयोगिता की चर्चा करें।
  • क्रोध के नकारात्मक परिणामों जैसे- हिंसा, अशांति, मानसिक तनाव इत्यादि की चर्चा करें।
  • उपयुक्त उदाहरणों जैसे- महात्मा गांधी, डॉ. आंबेडकर आदि के जीवन दर्शन को संदर्भित करते हुए स्वयं के क्रोध को सकारात्मक रूप में परिवर्तित करते हुए रचनात्मक कार्यों में प्रयोग किये जाने की चर्चा करें।

निष्कर्ष (25-30 शब्द)

अरस्तू के उपर्युक्त कथन के महत्त्व का उल्लेख करते हुए संतुलित निष्कर्ष लिखें।

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