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शॉर्ट न्यूज़: 14 फ़रवरी, 2022

शॉर्ट न्यूज़: 14 फ़रवरी, 2022


क्यासानूर वन रोग

भू-प्रेक्षण उपग्रह का सफल प्रक्षेपण

व्हाइट-चीक्ड मैकाक


क्यासानूर वन रोग

चर्चा में क्यों 

हाल ही में, केरल के वायनाड ज़िले में ‘क्यासानूर वन रोग’ (Kyasanur Forest Disease- KFD) का मामला सामने आया है।

प्रमुख बिंदु 

  • क्यासानूर वन रोग एक कीट जनित जूनोटिकल बीमारी है, जो सामान्यतः बंदरों में पाए जाने वाले कीट की एक प्रजाति (Species of Ticks) के माध्यम से मनुष्यों में फैलती है।
  • यह कीट-जनित वायरल रक्तस्रावी बुखार (tick-borne viral haemorrhagic fever) है, जिसे ‘मंकी फीवर’ (Monkey Fever) के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह फ़्लैविविरिडे (Flaviviridae) परिवार के एक सदस्य वायरस ‘क्यासानूर फॉरेस्ट डिज़ीज़ वायरस’ (KFDV) के कारण होता है, जो मुख्यतः हार्ड टिकस (Haemaphysalis spinigera), पक्षियों और बंदरों में पाया जाता है।
  • यह पूरे पश्चिमी घाट में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये एक गंभीर समस्या के रूप में उपस्थित है।

भू-प्रेक्षण उपग्रह का सफल प्रक्षेपण

चर्चा में क्यों

हाल ही में, इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV- C52) के माध्यम से ‘भू-प्रेक्षण उपग्रह’ (EOS -04) के साथ दो अन्य उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया।

भू-प्रेक्षण उपग्रह 

  • 1,710 किग्रा. भारित इस उपग्रह को 529 किमी. दूर स्थित सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा (Sun Synchronous Polar Orbit) में स्थापित किया गया।
  • ई.ओ.एस.-04 एक रडार-इमेजिंग उपग्रह है, जिसे कृषि, वानिकी और वृक्षारोपण, मृदा नमी एवं जल विज्ञान तथा बाढ़ मानचित्रण जैसे अनुप्रयोगों के लिये मौसम की सभी स्थितियों में उच्च गुणवत्ता वाले प्रतिबिंबों को उपलब्ध कराने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • इस मिशन में शामिल दो अन्य छोटे उपग्रह हैं- ‘इंस्पायरसैट-1’ (INSPIREsat-1) और ‘आई.एन.एस.-2टी.डी.’ (INST-2TD)।
  • गौर करने योग्य है कि ‘आई.एन.एस.-2टी. डी.’ एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक उपग्रह है, जो भारत-भूटान संयुक्त उपग्रह (आई.एन.एस.-2बी.) का पूर्ववर्ती है। इसमें एक थर्मल इमेजिंग कैमरा है, जो वनस्पति मानचित्रण के अलावा भूमि और जल की सतह के तापमान आकलन में मदद कर सकता है।
  • दूसरी ओर, इंस्पायरसैट-1 उपग्रह आयनमंडल की गतिविधियों के साथ-साथ सूर्य के कोरोना में होने वाली ऊष्मीय प्रक्रिया का अध्ययन करेगा। विदित है कि इस उपग्रह को भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, अमेरिका के कोलोराडो विश्वविद्यालय, सिंगापुर के नानयांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और ताइवान के राष्ट्रीय केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया था।
  • उल्लेखनीय है कि यह इसरो के नए अध्यक्ष एस. सोमनाथ के नेतृत्व में पहला प्रक्षेपण है। 

व्हाइट-चीक्ड मैकाक

चर्चा में क्यों 

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों ने अरुणाचल प्रदेश में एक नई स्तनधारी प्रजाति व्हाइट-चीक्ड मैकाक (White-Cheeked Macaques) की खोज की है। गौरतलब है कि इससे पूर्व इसे भारत में कभी नहीं देखा गया था। 

प्रमुख बिंदु 

  • व्हाइट-चीक्ड मैकाक बंदर सदृश प्रजाति है। इसे पहली बार वर्ष 2015 में दक्षिण-पूर्वी तिब्बत में चीनी वैज्ञानिकों द्वारा खोजा गया था।
  • चेहरा सफ़ेद होने के कारण यह अन्य मकाकों से भिन्न है। इसके गर्दन के क्षेत्र पर लंबे और घने बाल होते हैं तथा पूँछ लम्बी होती है।
  • यह प्रजाति उष्णकटिबंधीय जंगलों से लेकर प्राथमिक और माध्यमिक सदाबहार चौड़े पत्तों वाले जंगलों और मिश्रित चौड़ी-शंकुधारी जंगलों में पाई जाती है।
  • हालाँकि, इन प्रजातियों के संरक्षण की स्थिति अभी तक निर्धारित नहीं है, किंतु इस क्षेत्र में रहने वाले अन्य प्राइमेट की तरह इनके अवैध शिकार और वनों की कटाई के कारण इनके समक्ष आवास संकट की संभावना है।

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