शॉर्ट न्यूज़: 14 मई, 2022
कोइलास्टिला गैस क्षेत्र
ग्रीनफील्ड अनाज आधारित इथेनॉल संयंत्र
कोइलास्टिला गैस क्षेत्र
चर्चा में क्यों
हाल ही में, बांग्लादेश ने प्रति दिन 20 मिलियन क्यूबिक फीट गैस (MMCFD) का उत्पादन करने की क्षमता के साथ ‘कोइलास्टिला गैस क्षेत्र’ (Koilastila Gas Field) में एक नए गैस क्षेत्र की खोज की है।
प्रमुख बिंदु
- कोइलास्टिला गैस क्षेत्र वर्ष 1975 में बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान द्वारा शेल ऑयल कंपनी से खरीदे गए पाँच गैस क्षेत्रों में से एक है। यह बांग्लादेश के पूर्वी हिस्से में सिलहट क्षेत्र में स्थित है।
- सिलहट गैस फील्ड्स लिमिटेड (SGFL) के कोइलास्टिला गैस फील्ड में अब तक 7 कुएँ खोदे जा चुके हैं।
- विदित है कि बांग्लादेश में पहला गैस क्षेत्र वर्ष 1955 में सिलहट में निर्मित किया गया था।
- बिबियाना गैस फील्ड एवं टाइटस गैस फील्ड बांग्लादेश में गैस उत्पादन के लिये प्रमुख स्थान हैं। अनुमानत: बांग्लादेश में 11 ट्रिलियन क्यूबिक फीट का गैस भंडार शेष है।
ग्रीनफील्ड अनाज आधारित इथेनॉल संयंत्र
चर्चा में क्यों
हाल ही में, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्णिया में देश के पहले ग्रीनफील्ड अनाज आधारित इथेनॉल संयंत्र का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- इस संयंत्र का निर्माण केंद्र सरकार द्वारा बिहार की ‘इथेनॉल उत्पादन एवं संवर्धन नीति-2021’ को आगे बढ़ाए जाने के बाद ईस्टर्न इंडिया बायोफ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड ने किया है।
- इस संयंत्र का निर्माण ‘शून्य अपशिष्ट उत्सर्जन’ (Zero Waste Discharge) जैसी नवीनतम तकनीक से किया गया है, जिसमें धान की भूसी और मक्का या चावल का प्रयोग किया जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि बिहार के 38 में से 18 ज़िलों को प्रमुख मक्का उत्पादक क्षेत्र (Corn Belt) के रूप में जाना जाता है।
शून्य तरल उत्सर्जन (Zero Liquid Discharge)
- ‘शून्य तरल उत्सर्जन’ या ‘शून्य अपशिष्ट उत्सर्जन’ एक अपशिष्ट जल प्रबंधन तकनीक है, जो तरल अपशिष्ट को समाप्त करके जल उपयोग दक्षता को अधिकतम करती है। इसके कार्यान्वयन से जल प्रदूषण में कमी आती है और जलापूर्ति में वृद्धि होती है किंतु यह प्रौद्योगिकी उच्च लागत एवं अत्यधिक ऊर्जा खपत वाली है।
- जेड.एल.डी. प्रक्रिया में अपशिष्ट जल उपचार, पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग पर बल दिया जाता है, जिससे जल संरक्षण में योगदान मिलता है।
- इस प्रक्रिया का उपयोग दवा निर्माता कंपनियों, कपड़े के कारखानों और रासायनिक व उर्वरक संयंत्रों में किया जाता है।