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भारत में ग्रीन केमिस्ट्री के उपयोग की संभावनाएँ

(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे, सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव, संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण व क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ 

वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों एवं जलवायु परिवर्तन के दौर में ग्रीन केमिस्ट्री भारत जैसे तेजी से विकसित हो रहे देश के लिए एक परिवर्तनकारी अवसर प्रस्तुत करती है। यह पर्यावरण-अनुकूल और सतत रासायनिक प्रक्रियाओं पर आधारित विज्ञान है जो प्रदूषण को कम करने, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं आर्थिक विकास को पर्यावरणीय संतुलन के साथ जोड़ने का मार्ग प्रशस्त करता है। 

ग्रीन केमिस्ट्री के बारे में  

  • क्या है : यह रसायन विज्ञान की वह शाखा है जो पर्यावरण के अनुकूल व टिकाऊ रासायनिक प्रक्रियाओं एवं उत्पादों के डिजाइन पर केंद्रित है। इसे सतत रसायन भी कहा जाता है। 
  • उद्देश्य : इसका मुख्य उद्देश्य रासायनिक प्रक्रियाओं से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को कम करना, संसाधनों का कुशल उपयोग करना और मानव स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित उत्पाद विकसित करना है।
  • प्रमुख सिद्धांत : वर्ष 1998 में पॉल एनास्तास एवं जॉन वार्नर द्वारा प्रतिपादित ग्रीन केमिस्ट्री के 12 सिद्धांत निम्नलिखित हैं–
    • कचरे की रोकथाम : रासायनिक प्रक्रियाओं को इस तरह डिजाइन करना कि कचरा उत्पन्न होने से पहले ही रोक लिया जाए, न कि बाद में इसका उपचार किया जाए। 
    • परमाणु अर्थव्यवस्था : ऐसी प्रक्रियाएँ बनाना जिनमें कच्चे माल का अधिकतम उपयोग हो और न्यूनतम अपशिष्ट उत्सर्जित हो।
    • कम खतरनाक रासायनिक संश्लेषण : ऐसी संश्लेषण विधियों का उपयोग करना जो कम विषैले एवं पर्यावरण के लिए सुरक्षित हों।
    • सुरक्षित रसायनों का डिजाइन : रसायनों को इस तरह डिजाइन करना कि वे प्रभावी हों किंतु पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक न हों।
    • सुरक्षित विलायक व सहायक पदार्थ : जहाँ तक संभव हो, गैर-विषैले एवं पर्यावरण-अनुकूल विलायकों व सहायक पदार्थों का उपयोग करें।
    • ऊर्जा दक्षता : प्रक्रियाओं को कम ऊर्जा खपत के अनुरूप डिजाइन करना, जैसे- निम्न ताप एवं दाब पर काम करने वाली प्रक्रियाएँ।
    • नवीकरणीय कच्चे माल : जीवाश्म ईंधन के बजाय नवीकरणीय संसाधनों (जैसे- जैव-आधारित सामग्री) का उपयोग करना।
    • अनावश्यक व्युत्पत्ति से बचाव : रासायनिक प्रक्रियाओं में अनावश्यक चरणों (जैसे- अस्थायी संरक्षण समूह) को कम करना।
    • उत्प्रेरकों का उपयोग : चयनात्मक एवं कुशल उत्प्रेरकों का उपयोग करना जो प्रतिक्रिया को तेज करें और अपशिष्ट कम करें।
    • विघटन योग्य उत्पाद : उत्पादों को इस तरह डिजाइन करें कि उपयोग के बाद वे आसानी से पर्यावरण में विघटित हो जाएँ।
    • वास्तविक समय में प्रदूषण निगरानी : प्रक्रियाओं की वास्तविक समय में निगरानी करें ताकि प्रदूषण को तुरंत रोका जा सके।
    • सुरक्षा के लिए रसायन : ऐसी प्रक्रियाएँ और रसायन चुनें जो रासायनिक दुर्घटनाओं (जैसे- विस्फोट, रिसाव) के जोखिम को कम करें। 

भारत में ग्रीन केमिस्ट्री के अनुप्रयोग

भारत जैसे विकासशील देश में, जहाँ औद्योगिक विकास एवं पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण है, ग्रीन केमिस्ट्री महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसके कुछ प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित हैं-

बायोडीजल उत्पादन

  • भारत में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने ग्रीन ईंधन मिशन के तहत जेट्रोफा जैसे गैर-खाद्य तेल बीजों से बायोडीजल उत्पादन शुरू किया है। जेट्रोफा का वृक्ष निम्न वर्षा एवं अनुपजाऊ मृदा वाले क्षेत्रों में उगता है और इसके बीजों में 30% से अधिक तेल होता है। 
  • बायोडीजल उत्पादन में ट्रांसएस्टरीफिकेशन प्रतिक्रिया का उपयोग होता है जिसमें जेट्रोफा तेल को मेथनॉल के साथ प्रतिक्रिया कराकर बायोडीजल एवं उपोत्पाद ग्लिसरॉल प्राप्त किया जाता है। ग्लिसरॉल का उपयोग पॉलिमर, सौंदर्य प्रसाधन आदि में किया जाता है जो सततता को बढ़ावा देता है।

फार्मास्यूटिकल उद्योग में ग्रीन केमिस्ट्री

  • फार्मास्यूटिकल उद्योग में प्राय: टोल्यूनि (मिथाइलेंजीन) जैसे अत्यधिक विषाक्त विलायकों का उपयोग होता है जो न्यूरोटॉक्सिन हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। 
  • टोल्यूनि जैसे विषाक्त विलायकों को कम विषाक्त, बायोडिग्रेडेबल एवं बायोमास-आधारित (जैसे- गन्ने से प्राप्त) विलायकों से प्रतिस्थापित किया जा रहा है।
    • हैदराबाद में नवाचार : बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस-पिलानी, हैदराबाद के रसायनशास्त्रियों ने कैंसर रोधी दवा टैमोक्सीफेन के लिए 100% एटम इकोनॉमी वाली लागत-प्रभावी और पर्यावरण-अनुकूल विधि विकसित की ।

कृषि एवं कीटनाशक

  • ग्रीन केमिस्ट्री के सिद्धांतों का उपयोग निम्न विषाक्त एवं बायोडिग्रेडेबल कीटनाशकों के विकास में किया जा रहा है।
  • प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त जैव-आधारित कीटनाशकों का उपयोग मृदा व जल प्रदूषण को कम करते हैं।

औद्योगिक प्रक्रियाएँ 

  • रासायनिक उद्योगों में ऊर्जा-कुशल प्रक्रियाओं एवं नवीकरणीय कच्चे माल (जैसे-बायोमास) का उपयोग।
  • अपशिष्ट न्यूनीकरण के लिए उत्प्रेरकों का उपयोग (जैसे- ठोस उत्प्रेरक का पुन: उपयोग किया जा सकता है)

प्लास्टिक एवं पॉलिमर

  • बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के विकास में ग्रीन केमिस्ट्री का उपयोग (जैसे- बायोमास से प्राप्त पॉलिलैक्टिक एसिड (PLA))
  • पॉलिमर निर्माण में ग्लिसरॉल जैसे उप-उत्पादों का उपयोग

ग्रीन केमिस्ट्री का महत्व

  • पर्यावरण संरक्षण : अपशिष्ट जल एवं विषाक्त उत्सर्जन को नियंत्रित करके ग्रीन केमिस्ट्री प्रदूषण को कम करती है।
  • आर्थिक लाभ : नवीकरणीय संसाधनों एवं ऊर्जा-कुशल प्रक्रियाओं का उपयोग लागत को कम करता है।
  • सतत विकास : यह पर्यावरण, समाज एवं अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन बनाता है।
  • स्वास्थ्य सुरक्षा : कम विषाक्त रसायनों का उपयोग मानव स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • नवाचार : ग्रीन केमिस्ट्री नई तकनीकों एवं प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करती है, जो भारत जैसे देशों के लिए औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

ग्रीन केमिस्ट्री पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। भारत जैसे देश मेंग्रीन केमिस्ट्री न केवल पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करती है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक लाभ भी प्रदान करती है, जहाँ औद्योगिक विकास एवं पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। बायोडीजल उत्पादन एवं फार्मास्यूटिकल उद्योग में इसके अनुप्रयोग भारत में इसकी प्रासंगिकता को दर्शाते हैं। 

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