- परिचय: फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF), जिसे फ्रेंच में Groupe d'action financière (GAFI) कहा जाता है, एक अंतर-सरकारी संगठन है जो मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और सामूहिक विनाश के हथियारों (WMD) के वित्तपोषण को रोकने के लिए नीतियाँ व मानक विकसित करता है।
- स्थापना: वर्ष 1989 में G7 शिखर सम्मेलन के दौरान पेरिस में।
- मुख्यालय: पेरिस में OECD (Organization for Economic Co-operation and Development) मुख्यालय में स्थित है, हालाँकि दोनों संगठन स्वतंत्र हैं।
- उद्देश्य : वैश्विक वित्तीय प्रणाली की अखंडता को बनाए रखना और अवैध वित्तीय गतिविधियों को रोकना।
- सिफारिशें: FATF ने 40 सिफारिशें विकसित की हैं, जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के खिलाफ वैश्विक मानक के रूप में मान्य हैं।
- इसके अतिरिक्त 9 विशेष सिफारिशें आतंकवादी वित्तपोषण को लक्षित करती हैं।
- संस्थापक सदस्य: G7 देश (संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, फ्राँस, इटली, जापान और कनाडा) एवं यूरोपीय आयोग और 8 अन्य देश (ऑस्ट्रेलिया, स्वीडन, नॉर्वे, स्पेन, बेल्जियम, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रिया) इसके संस्थापक सदस्य हैं।
- प्रारंभ में FATF में 16 सदस्य थे, जो वर्ष 1991-92 तक बढ़कर 28 हो गए।
- वर्तमान में FATF में 38 देश और 2 क्षेत्रीय संगठन (यूरोपीय आयोग और खाड़ी सहयोग परिषद्) शामिल हैं।
वर्तमान सदस्य (2025 तक)
- देश : अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, ब्राजील, कनाडा, चीन, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्राँस, जर्मनी, ग्रीस, हांगकांग (चीन), आइसलैंड, भारत, आयरलैंड, इजरायल, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, लक्जमबर्ग, मलेशिया, मेक्सिको, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, रूस, सऊदी अरब, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और वेनेजुएला ।
- क्षेत्रीय संगठन: यूरोपीय आयोग, खाड़ी सहयोग परिषद् (GCC)।
- पर्यवेक्षक: इंडोनेशिया, इंटरपोल, IMF, विश्व बैंक और UN जैसे संगठन ।
FATF की संरचना
- प्लेनरी: FATF का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय, जो वर्ष में तीन बार मिलता है। सभी सदस्य देश और क्षेत्रीय संगठन इसमें भाग लेते हैं।
- अध्यक्ष (President): FATF का नेतृत्व एक अध्यक्ष करता है, जिसका कार्यकाल दो वर्ष का होता है।
- वर्तमान में एलिसा डी आंदा माद्राजो (मेक्सिको) अध्यक्ष हैं, जिन्होंने 1 जुलाई, 2024 को कार्यभार संभाला।
- सचिवालय : पेरिस में OECD मुख्यालय में स्थित, जो FATF के दैनिक कार्यों का प्रबंधन करता है।
- कार्य समूह : जोखिम विश्लेषण, नीति विकास, मूल्यांकन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए विभिन्न कार्य समूह।
- FATF-प्रकार के क्षेत्रीय निकाय (FSRBs): 9 क्षेत्रीय निकाय, जैसे-
- एशिया पैसिफिक ग्रुप (APG)
- यूरेशियन ग्रुप (EAG)
- मनीवैल (Moneyval)
- मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका
- लैटिन अमेरिका
महत्त्वपूर्ण तथ्य
FATF के बारे में
- स्थापना: वर्ष 1989, G7 शिखर सम्मेलन, पेरिस ।
- सदस्य: 38 देश + 2 क्षेत्रीय संगठन (यूरोपीय आयोग, खाड़ी सहयोग परिषद्) ।
- सचिवालय: पेरिस, OECD मुख्यालय में।
- अध्यक्ष (2025): एलिसा डी आंदा माद्राजो (मेक्सिको),
- कार्यकाल : जुलाई 2024 जून 20261 -
- सिफारिशें: 40 सिफारिशें (मनी लॉन्ड्रिंग) + 9 विशेष सिफारिशें (आतंकवादी वित्तपोषण)।
- ग्रे लिस्ट (2024): बहामास, बोत्सवाना, कंबोडिया, इथियोपिया, घाना, पनामा, श्रीलंका, सीरिया, त्रिनिदाद और टोबैगो, ट्यूनीशिया, यमन ।
- ब्लैक लिस्ट (2024): उत्तर कोरिया, ईरान, म्याँमार।
- भारत की सदस्यता: वर्ष 2010 में पूर्ण सदस्य, 2006 में पर्यवेक्षक ।
- म्यूचुअल इवैल्यूएशन: भारत को वर्ष 2010 और वर्ष 2024 में "रेगुलर फॉलो-अप" की श्रेणी में रखा गया।
FATF के मुख्य उद्देश्य
- मनी लॉन्ड्रिंग का मुकाबला: अवैध गतिविधियों से प्राप्त धन को वैध स्रोतों के रूप में प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को रोकना।
- आतंकवादी वित्तपोषण: को रोकना आतंकवादी संगठनों को धन और वित्तीय सहायता की आपूर्ति को बाधित करना।
- WMD के प्रसार का वित्तपोषण रोकना: सामूहिक विनाश के हथियारों (जैसे परमाणु, रासायनिक और जैविक हथियार) के विकास व प्रसार के लिए वित्तपोषण को रोकना।
- वैश्विक वित्तीय प्रणाली की अखंडता: वित्तीय संस्थानों और प्रणालियों को संगठित अपराध, भ्रष्टाचार और अन्य अवैध गतिविधियों से बचाना।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: सदस्य देशों और क्षेत्रीय निकायों के बीच समन्वय व नीति कार्यान्वयन को बढ़ावा देना।
विकासशील उद्देश्य
- वर्ष 2001 में 9/11 हमले के बाद FATF ने आतंकवादी वित्तपोषण को शामिल करने के लिए अपने जनादेश का विस्तार किया।
- वर्ष 2012 में सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के वित्तपोषण को रोकने के लिए नई सिफारिशें जोड़ी गई।
- वर्ष 2018 में, वर्चुअल एसेट्स (क्रिप्टोकरेंसी) से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण को रोकने करने के लिए सिफारिश-15 को अपडेट किया गया।
FATF के दीर्घकालिक लक्ष्य
- वैश्विक मानकों का निर्माण मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और WMD वित्तपोषण के खिलाफ प्रभावी कानूनी, नियामक और परिचालन उपायों को बढ़ावा देना।
- राष्ट्रीय प्रणालियों का सुदृढ़ीकरण सभी देशों को FATF की 40 सिफारिशों को उनकी राष्ट्रीय प्रणालियों में लागू करने के लिए प्रोत्साहित करना।
- जोखिम-आधारित दृष्टिकोण देशों और वित्तीय संस्थानों को जोखिम-आधारित दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करना, ताकि संसाधनों का प्रभावी उपयोग हो।
- नए खतरों का जवाब क्रिप्टोकरेंसी, साइबर अपराध और हवाला जैसे उभरते खतरों को संबोधित करने के लिए मानकों को लगातार अपडेट करना।
- वैश्विक सहयोग FATF-शैली क्षेत्रीय निकायों (FSRBs) और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ समन्वय बढ़ाना।
शक्तियाँ
FATF एक नीति-निर्माण निकाय है, जिसके पास प्रत्यक्ष कानूनी प्रवर्तन शक्तियाँ नहीं हैं। हालाँकि, इसकी सिफारिशें और मूल्यांकन वैश्विक प्रभाव डालते हैं। इसकी प्रमुख शक्तियाँ निम्नलिखित हैं-
- मानक निर्धारण : FATF की 40 सिफारिशें और 9 विशेष सिफारिशें वैश्विक AML/CFT (Anti-Money Laundering/Combating the Financing of Terrorism) मानक हैं।
- मूल्यांकन और निगरानी: FATF देशों के AML/CFT ढाँचे का मूल्यांकन करता है और गैर-अनुपालन वाले देशों को ग्रे या ब्लैक लिस्ट में शामिल कर सकता है।
- ग्रे लिस्ट (Jurisdictions under Increased Monitoring): उन देशों को शामिल किया जाता है जिनके AML/CFT ढाँचे में रणनीतिक कमियाँ हैं, लेकिन वे सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं।
- उदाहरण: पाकिस्तान (2018-2024)
- ब्लैक लिस्ट (High-Risk Jurisdictions subject to a Call for Action) : गैर-सहकारी देशों को शामिल किया जाता है, जो आतंकवादी वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग का समर्थन करते हैं। उदाहरणः उत्तर कोरिया, ईरान, म्यांमार (2024 तक)।
- आर्थिक दबाव: ब्लैक लिस्ट में शामिल देशों को IMF, विश्व बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों से प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है।
- सदस्यता निलंबन: गैर-अनुपालन वाले सदस्यों की सदस्यता निलंबित की जा सकती है, जैसा कि रूस के मामले में विचार किया गया था।
FATF की मुख्य गतिविधियाँ
- मानक निर्धारण: प्रमुख नीतियाँ एवं सिफारिशें विकसित करना, जो आपराधिक न्याय प्रणाली, वित्तीय विनियमन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को कवर करती हैं।
- म्यूचुअल इवैल्यूएशन: प्रत्येक सदस्य देश की AML/CFT प्रणाली का सहकर्मी मूल्यांकन, जिसमें तकनीकी अनुपालन और प्रभावशीलता का आकलन शामिल है।
- रिपोर्ट प्रकाशन: मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण की नई तकनीकों पर नियमित रिपोर्ट प्रकाशित करना, जैसे कि COVID-19 से संबंधित वित्तीय अपराधों पर 2020 की रिपोर्ट।
- ग्रे और ब्लैक लिस्टिंग: गैर-अनुपालन वाले देशों को ग्रे या ब्लैक लिस्ट में शामिल करना और उनकी प्रगति की निगरानी करना।
- क्षमता निर्माण: विकासशील देशों को AML/CFT ढाँचे को मजबूत करने के लिए तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करना।
- निजी क्षेत्र के साथ सहयोग वित्तीय संस्थानों और गैर-वित्तीय व्यवसायों (DNFBPs) को जोखिम आधारित दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
- वैश्विक जागरूकता साइबर अपराध, क्रिप्टोकरेंसी और हवाला जैसे उभरते खतरों पर जागरूकता अभियान चलाना।
निर्णय लेने वाली समितियाँ
- प्लेनरी: FATF का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय, जिसमें सभी सदस्य देश और क्षेत्रीय संगठन शामिल होते हैं।
- यह वर्ष में तीन बार बैठक करता है।
- जोखिम, रुझान और विधियाँ कार्य समूह: मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के नए जोखिमों व तकनीकों का विश्लेषण करता है।
- मूल्यांकन और अनुपालन कार्य समूह: म्यूचुअल इवैल्यूएशन और अनुपालन की निगरानी करता है। नीति विकास कार्य समूह सिफारिशों को विकसित और अद्यतन करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह (ICRG) : ग्रे और ब्लैक लिस्ट के लिए देशों की समीक्षा करता है।
- वैश्विक नेटवर्क समन्वय समूह: FATF-प्रकार के क्षेत्रीय निकायों (FSRBs) के साथ समन्वय करता है।
मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने में भूमिका
40 सिफारिशें ये सिफारिशें मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ वैश्विक मानक हैं, जो निम्नलिखित क्षेत्रों को कवर करती हैं-
- आपराधिक न्याय प्रणाली: मनी लॉन्ड्रिंग को अपराध घोषित करना और दोषियों को दंडित करना।
- वित्तीय विनियमन: ग्राहक परिश्रम (Customer Due Diligence: CDD), रिकॉर्ड रखरखाव और संदिग्ध लेनदेन की रिपोर्टिंग।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: देशों के बीच सूचना साझा करना और प्रत्यर्पण।
- जोखिम-आधारित दृष्टिकोण: वित्तीय संस्थानों को उच्च जोखिम वाले ग्राहकों और लेनदेन पर विशेष ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित करना।
- ग्रे और ब्लैक लिस्ट: गैर-अनुपालन वाले देशों पर आर्थिक और राजनयिक दबाव डालकर सुधार सुनिश्चित करना।
- उभरते खतरों का जवाब: क्रिप्टोकरेंसी, हवाला और साइबर अपराध जैसे नए मनी लॉन्ड्रिंग तरीकों को संबोधित करना।
- म्यूचुअल इवैल्यूएशन: देशों के AML ढाँचे की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करके कमियों को उजागर करना।
- जागरूकता और प्रशिक्षण: निजी क्षेत्र और सरकारी एजेंसियों को मनी लॉन्ड्रिंग की नवीनतम तकनीकों के बारे में प्रशिक्षित करना।
उदाहरण
- पाकिस्तान का ग्रे लिस्ट में शामिल होना (2018-2024): FATF ने पाकिस्तान को आतंकवादी वित्तपोषण को रोकने में कमियों के कारण ग्रे लिस्ट में रखा। इससे पाकिस्तान को IMF और विश्व बैंक से ऋण प्राप्त करने में कठिनाई हुई।
- COVID-19 और मनी लॉन्ड्रिंग: FATF ने वर्ष 2020 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें COVID-19 से संबंधित धोखाधड़ी, साइबर अपराध और सरकारी फंड के दुरुपयोग पर ध्यान दिया गया।
भारत की FATF में भूमिका
- भारत FATF में एक सक्रिय और महत्त्वपूर्ण सदस्य है।
- भारत वर्ष 2006 में FATF का पर्यवेक्षक (Observer) बना और 25 जून, 2010 को 34वाँ पूर्ण सदस्य बन गया।
- भारत एशिया पैसिफिक ग्रुप (APG) और यूरेशियन ग्रुप (EAG) का भी सदस्य है।
- वर्ष 2010 में भारत का पहला म्यूचुअल इवैल्यूएशन हुआ. जिसमें भारत को "रेगुलर फॉलो अप" की श्रेणी में रखा गया।
- वर्ष 2024 में FATF ने भारत के AML/CFT ढाँचे की प्रशंसा की और इसे "रेगुलर फॉलो-अप" श्रेणी में बनाए रखा, जो
- G20 देशों में केवल कुछ देशों (यू.के., फ्राँस, इटली) को प्राप्त है।
प्रमुख सरकारी पहल
- JAM ट्रिनिटी: (जन धन, आधार, मोबाइल) वित्तीय समावेशन और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देकर लेनदेन की ट्रेसबिलिटी में सुधार।
- प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002: मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण को रोकने के लिए मजबूत कानूनी ढाँचा।
- प्रवर्तन निदेशालय (ED): मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के मामलों की जाँच व अभियोजन।
- नकद लेनदेन पर नियंत्रण : कर कानूनों के तहत नकद लेनदेन पर सख्त नियम।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
- भारत ने ईरान जैसे देशों को तकनीकी सहायता व विशेषज्ञ सलाह प्रदान करने का वादा किया है।
- भारत ने 'नो मनी फॉर टेरर' सम्मेलन जैसे मंचों पर आतंकवादी वित्तपोषण के खिलाफ वैश्विक सहयोग को बढ़ावा दिया।
- भारत ने पाकिस्तान के आतंकवादी वित्तपोषण (जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद) को उजागर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान को वर्ष 2018-2024 तक ग्रे लिस्ट में रखा गया।
हालिया विकास (2025)
- भारत ने वर्ष 2025 में मुंबई में FATF प्राइवेट सेक्टर कोलैबोरेटिव फोरम (PSCF) की मेजबानी की, जिसे वित्त मंत्रालय और RBI ने आयोजित किया।
- FATF ने भारत के डिजिटल भुगतान प्रणाली और वित्तीय समावेशन की प्रशंसा की, जिसने मनी लॉन्ड्रिंग के जोखिम को कम किया।
FATF के समक्ष चुनौतियाँ
उभरते खतरे
- क्रिप्टोकरेंसी और वर्चुअल एसेट्स का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के लिए बढ़ रहा है।
- कोविड-19 COVID-19 के दौरान साइबर अपराध और धोखाधड़ी में वृद्धि।
गैर-अनुपालन
- कुछ देश, विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण (Global South) के देश संसाधनों की कमी के कारण FATF मानकों को लागू करने में असमर्थ हैं।
- उदाहरण : अफ्रीकी देश बार-बार ग्रे लिस्ट में शामिल होते हैं।
राजनीतिक प्रभाव
- FATF के निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाते हैं, जिसके कारण राजनीतिक प्रभाव और पक्षपात की आलोचना होती है।
- उदाहरण: पाकिस्तान ने वर्ष 2018 में भारत पर ग्रे लिस्टिंग के लिए राजनीतिक दबाव का आरोप लगाया।
प्रभावशीलता की कमी
- FATF तकनीकी अनुपालन पर ध्यान देता है, लेकिन वास्तविक प्रदर्शन (जैसे आतंकवादी वित्तपोषण पर कार्रवाई) की कमी रहती है।
- उदाहरण: पाकिस्तान ने तकनीकी अनुपालन के आधार पर ग्रे लिस्ट से निकलने में सफलता पाई, लेकिन आतंकवादी गतिविधियाँ जारी रहीं।
कानूनी और संस्थागत कमियाँ
- भारत में PMLA के तहत अभियोजन और दोषसिद्धि की संख्या कम है (2018-2023 में केवल 28 दोषसिद्धि)।
- नामित गैर-वित्तीय व्यवसायों (DNFBPs) की निगरानी में कमी।
वैश्विक असमानता
विकासशील देशों को AML/CFT ढाँचे के लिए पर्याप्त संसाधन आवंटित करने में कठिनाई होती है, जिससे वे बार-बार ग्रे लिस्ट में शामिल होते हैं।
आगे के लिए सुझाव
FATF की प्रभावशीलता बढ़ाने और चुनौतियों से निपटने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-
पारदर्शिता बढ़ाना
- FATF के सचिवालय में नियुक्तियों को पारदर्शी और प्रतिस्पर्द्धा बनाया जाए
- निर्णय लेने की प्रक्रिया में औपचारिक नियम लागू किए जाएँ
विकासशील देशों की सहायता
- गरीब देशों को AML/CFT ढाँचे को मजबूत करने के लिए विशेष तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की जाए।
- उदाहरण: भारत द्वारा ईरान को तकनीकी सहायता प्रदान करना।
नए खतरों का जवाब
- क्रिप्टोकरेंसी और वर्चुअल एसेट्स के लिए सख्त नियम लागू किए जाएँ।
- AI और मशीन लर्निंग का उपयोग करके वास्तविक समय में डाटा विश्लेषण को बढ़ावा दिया जाए।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
- IMF, विश्व बैंक और UN जैसे संगठनों के साथ समन्वय बढ़ाया जाए
- क्षेत्रीय निकायों (FSRBs) की क्षमता निर्माण पर ध्यान दिया जाए
जोखिम-आधारित दृष्टिकोण
देशों और वित्तीय संस्थानों को जोखिम आधारित दृष्टिकोण को और प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए प्रशिक्षित किया जाए।
कानूनी सुधार
भारत जैसे देशों में PMLA के तहत अभियोजन और दोषसिद्धि की प्रक्रिया को तेज किया जाए।
निष्कर्ष
FATF वैश्विक वित्तीय प्रणाली को मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और WMD वित्तपोषण जैसे खतरों से बचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत ने FATF के सदस्य के रूप में अपनी AML/CFT प्रणाली को मजबूत किया है। हालाँकि क्रिप्टोकरेंसी, साइबर अपराध और गैर-अनुपालन जैसे उभरते खतरे चुनौतियाँ प्रस्तुत करते हैं। FATF को पारदर्शिता, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और विकासशील देशों की सहायता पर ध्यान देकर इन चुनौतियों से निपटना होगा।