चर्चा में क्यों ?
भारतीय रुपये की हालिया गिरावट का मुख्य कारण देश के भुगतान संतुलन (BoP) के पूंजी खाते में आया बदलाव है, न कि हमेशा से रहने वाला चालू खाता घाटा।

प्रमुख बिन्दु:
- भारत में लगभग हमेशा से ही संरचनात्मक चालू खाता घाटा रहा है।
- पिछले 25 से अधिक वर्षों में, केवल चार वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष 2002-03, 2003-04, 2004-05, 2021-22) में चालू खाते में अधिशेष देखा गया है; बाकी सभी वर्षों में घाटा रहा है।
- व्यापार घाटा: भारत का भौतिक वस्तुओं (माल) का आयात, निर्यात से कहीं अधिक है, जिसके कारण यह हिस्सा हमेशा बड़े घाटे में रहा है।
- यह घाटा वित्त वर्ष 2024-25 में $286.9 बिलियन और अप्रैल-सितंबर 2025 में $300 बिलियन से अधिक होने की ओर बढ़ रहा है।
- बढ़ते वस्तु व्यापार घाटे की भरपाई काफी हद तक अदृश्य व्यापार के कारण होती है।
- भारत को इन अदृश्य लेन-देन में लगातार विशाल अधिशेष प्राप्त होता रहा है।
- यह अधिशेष वित्त वर्ष 2024-25 में $263.9 बिलियन तक पहुँच गया।
- भारत अब दुनिया का केंद्र बन रहा है यहाँ के इंजीनियर, डॉक्टर और अकाउंटेंट विदेशों को अपनी सेवाएँ देकर देश के लिए कमाई बढ़ा रहे हैं; यही बढ़ता अदृश्य अधिशेष दिखाता है।
- विशाल अदृश्य अधिशेष ने वस्तु व्यापार घाटे को लगभग संतुलित करके चालू खाते घाटे (CAD) को नियंत्रण में रखा है। अप्रैल-सितंबर 2025 में CAD गिरकर $15.1 बिलियन हो गया, जो यह दर्शाता है कि CAD रुपये के दबाव का मुख्य कारण नहीं है।
महत्त्वपूर्ण शब्दावलियाँ:
- चालू खाता : वह खाता है जो किसी देश के वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार, निवेश से प्राप्त आय (ब्याज, लाभांश), और अंतर्राष्ट्रीय हस्तांतरण (जैसे निजी प्रेषण) को रिकॉर्ड करता है।
- पूंजी खाता : वह खाता है जो किसी देश में विदेशी पूंजी प्रवाह और बहिर्वाह को रिकॉर्ड करता है, जिसमें विदेशी निवेश, वाणिज्यिक उधार, और अनिवासी भारतीय जमा शामिल हैं।
- अदृश्य व्यापार : इसमें भारत द्वारा विदेशों को दी जाने वाली सेवाएँ; जैसे सॉफ्टवेयर, आईटी, बिज़नेस और वित्तीय सेवाओं का निर्यात तथा विदेशों में काम करने वाले भारतीयों द्वारा भेजी गई निजी धनराशि शामिल होती है।
शुद्ध पूंजी प्रवाह में भारी गिरावट
- पहले भारत में विदेशी पूंजी इतनी ज्यादा आती थी कि उससे न सिर्फ चालू खाते का घाटा पूरा हो जाता था, बल्कि हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में भी लगातार बढ़ोतरी होती रहती थी।
- समस्या: हाल के वर्षों में यह रुझान उलट गया है।
- वित्त वर्ष 2024-25 में, शुद्ध पूंजी प्रवाह 16 साल के निचले स्तर $18 बिलियन पर आ गया, जो वर्ष के चालू खाता घाटा ($23.1 बिलियन) से कम था।
- अप्रैल-सितंबर 2025 में शुद्ध पूंजी प्रवाह केवल $8.6 बिलियन रहा, जबकि CAD $15.1 बिलियन था।
- परिणाम: जब पूंजी प्रवाह CAD को कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं होता है, तो देश को अपने विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करना पड़ता है। यह बाजार में डॉलर की कमी पैदा करता है, जिससे रुपये पर दबाव पड़ता है और इसका मूल्य गिरता है।
विदेशी निवेश पर प्रभाव:
पूंजी प्रवाह में सबसे बड़ी कमी विदेशी निवेश के कारण आई है, जिसके दो मुख्य घटक हैं:
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): यह नए कारखानों, बुनियादी ढांचे और अन्य भौतिक संपत्तियों के निर्माण में किया जाने वाला निवेश है, जो नौकरियां पैदा करता है।
- गिरावट: वित्त वर्ष 2019-20 में 43 बिलियन डॉलर, 2020-21 में 44 बिलियन डॉलर, 2021-22 में 38.6 बिलियन डॉलर और 2022-23 में 28 बिलियन डॉलर था। वर्ष 2023-24 में यह घटकर 10.2 अरब डॉलर रह गया।
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI): यह शेयर बाजार और बॉन्ड जैसे वित्तीय परिसंपत्तियों में किया गया निवेश है।
- बहिर्वाह: पिछले पांच वित्तीय वर्षों (वित्त वर्ष 2022-23 से वित्त वर्ष 2025-26) में से अधिकांश में FPI का शुद्ध बहिर्वाह रहा है। विदेशी फंड भारतीय बाजारों से निवेश से ज़्यादा निकासी कर रहे हैं।
- उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2024-25 में $14.6 बिलियन और वर्ष 2025-26 के पहले छह महीनों में $4.3 बिलियन का शुद्ध बहिर्वाह हुआ।
उच्च GDP और पूंजी प्रवाह
- यह स्थिति कुछ हद तक आश्चर्यजनक है क्योंकि भारत की जीडीपी वृद्धि दर हाल के वर्षों में काफी उच्च रही है। आमतौर पर, इतनी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को विदेशी निवेशकों से पर्याप्त पूंजी आकर्षित करनी चाहिए।
- रुपये की कमजोरी का सबसे बड़ा कारण पूंजी प्रवाह में कमी और विदेशी निवेश में बड़ी गिरावट है। इसका असर रुपये की तुलना में अमेरिकी डॉलर, यूरो, पाउंड, येन और युआन के मुकाबले उसकी गिरावट में देखा जा सकता है।
रुपये की गिरावट और पूंजी संकट का प्रभाव
1. आयात पर प्रभाव:
- जब रुपया डॉलर या अन्य विदेशी मुद्राओं के मुकाबले कमजोर होता है, तो भारत के लिए आयात महँगे हो जाते हैं। हमें अब उतनी ही मात्रा में तेल, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य सामान खरीदने के लिए अधिक रुपये खर्च करने पड़ते हैं।
- आयातित सामानों की कीमत बढ़ने से महँगाई बढ़ती है, जिसे आयातित महँगाई कहते हैं। इसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ता है।
- भारत अपनी तेल की जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है। रुपये की कमजोरी से पेट्रोल, डीजल और गैस की कीमतें बढ़ती हैं, जो परिवहन लागत को बढ़ाकर समग्र अर्थव्यवस्था में महँगाई को और बढ़ाती है।
2. निर्यात पर प्रभाव:
- सैद्धांतिक रूप से, रुपये का कमजोर होना निर्यातकों के लिए अच्छा होता है। जब वे डॉलर में भुगतान प्राप्त करते हैं और उसे रुपये में बदलते हैं, तो उन्हें अधिक रुपये मिलते हैं। इससे भारतीय वस्तुएँ और सेवाएँ वैश्विक बाज़ार में अधिक प्रतिस्पर्धी बन जाती हैं।
- हालाँकि, भारत के कई निर्यातक (विशेषकर विनिर्माण क्षेत्र में) उत्पादन के लिए आयातित कच्चे माल, कंपोनेंट्स और मशीनरी का उपयोग करते हैं। इसलिए, रुपये के कमजोर होने से जहाँ एक ओर उन्हें अधिक राजस्व मिलता है, वहीं दूसरी ओर उनकी उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है, जिससे शुद्ध लाभ सीमित हो जाता है।
3. पूंजी निवेश और विकास पर प्रभाव
- शुद्ध FDI में भारी गिरावट का अर्थ है कि देश में नए कारखानों, बुनियादी ढांचे और उत्पादन क्षमता में निवेश के लिए कम पैसा आ रहा है।
- FDI में कमी का सीधा असर रोजगार सृजन और दीर्घकालिक आर्थिक विकास की गति पर पड़ता है। इससे अर्थव्यवस्था की क्षमता के विस्तार में बाधा आती है।
- FPI का बहिर्वाह भारतीय शेयर और बॉन्ड बाज़ारों में अस्थिरता पैदा करता है। विदेशी फंडों द्वारा की गई यह निकासी बाज़ार के भरोसे को कमजोर करती है और भविष्य के निवेश को हतोत्साहित कर सकती है।
4. ऋण और विदेशी मुद्रा भंडार पर प्रभाव
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रुपये के कमजोर होने से भारतीय कंपनियों और सरकार के विदेशी मुद्रा में लिए गए ऋण का बोझ रुपये के संदर्भ में बढ़ जाता है। जब वे ऋण चुकाते हैं, तो उन्हें अब अधिक रुपये खर्च करने पड़ते हैं।
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CAD को कवर करने के लिए पूंजी प्रवाह पर्याप्त न होने पर, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को रुपये को स्थिर करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करना पड़ता है। इससे भंडार का स्तर घटता है, जो आर्थिक जोखिमों (जैसे किसी बड़े वैश्विक झटके का सामना करने की क्षमता) को बढ़ाता है।
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प्रश्न. रुपये की हालिया गिरावट का सबसे मुख्य कारण क्या है ?
(a) चालू खाता घाटा
(b) पूंजी खाता में गिरावट
(c) व्यापार घाटा
(d) विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि
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