जापान ने 29 जून, 2025 को अपने प्रमुख रॉकेट H-2A के माध्यम से एक महत्वपूर्ण जलवायु परिवर्तन निगरानी उपग्रह GOSAT-GW का सफल प्रक्षेपण किया। यह H-2A रॉकेट की 50वीं एवं अंतिम उड़ान थी। इस प्रक्षेपण ने न केवल वैश्विक जलवायु निगरानी प्रयासों को गति दी है, बल्कि जापान के नए प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष यान प्रणाली H3 की ओर संक्रमण को भी चिह्नित किया है।
H-2A रॉकेट
- प्रारंभ : वर्ष 2001 में पहली बार लॉन्च
- विकास : जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) और मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज (MHI) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित
- उपलब्धियाँ : इसने SLIM मून लैंडर (2024), हायाबूसा-2 (2014) और कई अन्य वैज्ञानिक व सैन्य उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया।
- सफलता दर : 50 उड़ानों में से 49 सफल
- महत्व : यह जापान की अंतरिक्ष परिवहन क्षमता का आधार था, जिसने देश की राष्ट्रीय सुरक्षा, वैज्ञानिक शोध एवं जलवायु निगरानी को सुदृढ़ किया।
GOSAT-GW उपग्रह
- पूर्ण नाम : ग्रीनहाउस गैसों और जल चक्र के लिए वैश्विक अवलोकन उपग्रह (Global Observing Satellite for Greenhouse gases and Water cycle)
- मिशन उद्देश्य :
- ग्रीनहाउस गैसों की निगरानी : वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), मीथेन (CH₄) जैसी प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों की सटीक निगरानी तथा वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर इन गैसों के उत्सर्जन स्रोतों व संचयन क्षेत्रों का पता लगाना।
- जल चक्र का अवलोकन : वर्षा, बादल संरचना, जलवाष्प एवं समुद्र सतह तापमान जैसे जलवायु संकेतकों का उच्च-रिज़ॉल्यूशन पर मूल्यांकन
- वायुमंडलीय प्रक्रियाओं को समझना : जलवायु परिवर्तन के कारणों एवं प्रभावों को बेहतर ढंग से समझने के लिए जल चक्र व वायुमंडलीय प्रक्रियाओं के आपसी संबंधों का विश्लेषण।
- डाटा वितरण : एक वर्ष के भीतर यह उपग्रह अमेरिकी NOAA समेत वैश्विक संस्थानों को उच्च-रिज़ॉल्यूशन जलवायु डाटा उपलब्ध कराएगा।