New
UPSC GS Foundation (Prelims + Mains) Batch | Starting from : 20 May 2024, 11:30 AM | Call: 9555124124

शॉर्ट न्यूज़: 15 फ़रवरी, 2022

शॉर्ट न्यूज़: 15 फ़रवरी, 2022


एक्सीलेरेट विज्ञान योजना

फासी लकड़ी

यूरोपीय संघ का चिप्स अधिनियम


एक्सीलेरेट विज्ञान योजना

चर्चा में क्यों

विज्ञान एवं अभियांत्रिकी अनुसंधान बोर्ड (SERB) ने मई 2022 से जुलाई 2022 के लिये ‘एक्सीलेरेट विज्ञान’ योजना के ‘अभ्यास’ कार्यक्रम के तहत आवेदन आमंत्रित किये हैं।

एक्सीलेरेट विज्ञान योजना

  • देश में वैज्ञानिक अनुसंधान तंत्र को मज़बूत करने के लिये वर्ष 2020 में एस.ई.आर.बी. ने एक्सीलेरेट विज्ञान’ योजना की शुरुआत की थी।
  • इसके तीन व्यापक लक्ष्यों में सभी वैज्ञानिक कार्यक्रमों का समेकन, उच्च स्तरीय अभिविन्यास कार्यशालाओं का आयोजन तथा अनुसंधान इंटर्नशिप के लिये अवसरों का सृजन कर अनुसंधान कार्यशालाओं तक पहुँच सुनिश्चित करना शामिल हैं। इस योजना के दो घटक अभ्यास (ABHYAAS) तथा समूहन (SAMOOHAN) हैं।
  • अभ्यास का उद्देश्य उच्च स्तरीय कार्यशालाओं के माध्यम से स्नातकोत्तर तथा पीएचडी के छात्रों का संबंधित विषयों में कौशल विकास कर अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना है। इसे दो उपघटकों ‘कार्यशाला’ (KARYASHALA) तथा ‘वृत्तिका’ (VRITIKA) के माध्यम से पूरा किया जाता है। 
  • सम्मोहन का उद्देश्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में क्षमता निर्माण गतिविधियों के लिये समाधान प्रदान करना है। इसके दो उप-घटक संयोजिका (SAONJIKA) और संगोष्ठी (SANGOSHTI) हैं। 

विज्ञान एवं अभियांत्रिकी अनुसंधान बोर्ड

एस.ई.आर.बी. एक वैधानिक निकाय है। इसकी स्थापना विज्ञान और इंजीनियरिंग में बुनियादी अनुसंधान को बढ़ावा देने और इस तरह के अनुसंधान में लगे व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिये संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी।


फासी लकड़ी

चर्चा में क्यों

इस वर्ष जगन्नाथ मंदिर में रथ निर्माण के लिये उपयोग की जाने वाली फासी लकड़ी (एनोजियेसिस एक्यूमिनेटा) का अधिकांश भाग, वनों के बजाय निजी भूमि मालिकों से दान के रूप में प्राप्त हुआ है। 

प्रमुख बिंदु

  • रथ निर्माण के लिये फासी लकड़ी के 14 फीट लंबे और सीधे तथा 6 फीट परिधि वाले लगभग 72 लॉग का उपयोग किया जाता है। इनका चयन जगन्नाथ मंदिर समिति के सदस्यों द्वारा किया जाता है। ये लकड़ी प्राचीन काल से ही वनों से प्राप्त की जाती थी, किंतु इस वर्ष फासी लॉग का अधिकांश भाग निजी भूमि मालिकों से दान के रूप में प्राप्त हुआ है।
  • प्रत्येक वर्ष जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों के निर्माण के लिये प्रमुख रूप से फासी, धौरा (एनोजियेसिस लैटिफोलिया), आसन (टर्मिनलिया एलिप्टिका) और सेमल (बॉम्बैक्स सेइबा) वृक्ष प्रजातियों का उपयोग किया जाता है। ये वृक्ष प्रजातियाँ ओडिशा के 14 जिलों में पाई जाती हैं।
  • फासी पर्णपाती वृक्ष होते हैं तथा इन्हें परिपक्व होने में 50 से 60 वर्ष का समय लगता है। ये वृक्ष भारत में ये मुख्यतया महानदी के जलोढ़ बाढ़ के मैदानों में पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, ये बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस, वियतनाम आदि में भी पाए जाते हैं।
  • अत्यधिक वन हानि तथा जलवायु परिवर्तन के कारण हाल के वर्षों में इन वृक्षों की वृद्धि में गिरावट देखी गई है। साथ ही, दशकों से काटे जाने के कारण इनका भी पुनर्जनन प्रभावित हुआ है।
  • हरित महानदी मिशन के एक भाग के रूप में लोगों से फलों के वृक्षों के साथ धौरा के वृक्ष लगाने का अनुरोध किया जा रहा है।

यूरोपीय संघ का चिप्स अधिनियम

चर्चा में क्यों 

हाल ही में, यूरोपीय संघ ने बहुप्रतीक्षित ‘यूरोपीय संघ चिप्स अधिनियम’ का अनावरण किया है।

प्रमुख बिंदु 

  • यूरोपीय संघ चिप्स अधिनियम के तहत वर्ष 2030 तक यूरोप में अर्धचालकों के उत्पादन में वैश्विक बाज़ार हिस्सेदारी को 20% किया जाएगा। 
  • इसके तहत यूरोपीय संघ ‘सार्वजनिक और निजी निवेश’ के जरिये अधिक धन एकत्र करके इस क्षेत्र में अपनी स्थिति को अधिक मज़बूत बनाएगा।  
  • चिप्स उत्पादन के वैश्विक बाज़ार हिस्सेदारी का 20% प्राप्त करने के लिये वर्तमान  औद्योगिक प्रयासों को चार गुना अधिक करना होगा।
  • इस योजना के माध्यम से इलेक्ट्रिक कारों और स्मार्टफोन में उपयोग किये जाने वाले प्रमुख घटक (सेमीकंडक्टर) के लिये एशिया पर यूरोपीय संघ की निर्भरता को सीमित किया जा सकता है।  

अधिनियम की आवश्यकता क्यों

  • यूरोप के साथ-साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में चिप्स का उत्पादन एक रणनीतिक प्राथमिकता बन गया है। कोविड-19 महामारी के दौरान यूरोप और दुनिया के अन्य क्षेत्रों में चिप्स की आपूर्ति बाधित हो रही है। यूरोपीय संघ के उद्योग कई प्रकार के उच्च-तकनीकी उत्पादों का निर्माण करते हैं, जिनमें चिप्स एक महत्त्वपूर्ण भाग है। 
  • ध्यान देने योग्य बात यह है कि वर्तमान में अर्धचालकों एवं चिप्स का निर्माण ताइवान, चीन और दक्षिण कोरिया में बड़े पैमाने पर होता है। वर्तमान में चिप्स की भारी कमी को देखते हुए यूरोपीय संघ चाहता है कि उनके कारखानों और कंपनियों को इस क्षेत्र में बड़ी भूमिका प्राप्त हो सके तथा भविष्य में अन्य देशों पर निर्भरता को कम किया जा सके।

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR