शॉर्ट न्यूज़: 17 जनवरी, 2022
पैक्सलोविड टैबलेट
भारत-तुर्कमेनिस्तान के मध्य आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में समझौता
लाल चंदन पर मंडराता संकट
पेट्रोल में एथेनॉल सम्मिश्रण
पैक्सलोविड टैबलेट
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, अमेरिका ने कोविड-19 के उपचार हेतु फाइज़र की एंटीवायरल दवा (टैबलेट) पैक्सलोविड (Paxlovid) के इस्तेमाल को मंजूरी दी है।
प्रमुख बिंदु
- यह दवा निर्माट्रेलविर और रिटोनविर (Nirmatrelvir and Ritonavir) के संयोजन से बनी है। इसका प्रयोग 12 वर्ष से अधिक की आयु के कोविड मरीजों के उपचार हेतु किया जाएगा है।
- पैक्सलोविड दवा प्रोटीएज़ एंज़ाइम की गतिविधियों को बाधित कर देती है। विदित है कि यह एंज़ाइम वायरस के गुणन (Replicate) में सहायक होता है। यह दवा पेटेंट कानून के तहत संरक्षित है।
- इस दवा की क्रियाविधि एंटीबॉडीज़ और वैक्सीन से अलग है, इसलिये ये ओमिक्रोन के साथ-साथ कोरोना के किसी अन्य वैरिएंट के खिलाफ भी कारगर हो सकती है।
- बांग्लादेश की दवा निर्माता कंपनी ‘बेक्सिमको’ फार्मा ने पैक्सलोविड के जेनेरिक संस्करण को लॉन्च किया है। इस उत्पाद को ‘बेक्सोविड’ (Bexovid) नाम दिया गया है।
भारत-तुर्कमेनिस्तान के मध्य आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में समझौता
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भारत-तुर्कमेनिस्तान के मध्य समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी है।
प्रमुख बिंदु
- इस समझौते के तहत दोनों राष्ट्र आपदा प्रबंधन तंत्र, प्रतिक्रिया और क्षमता निर्माण के क्षेत्रों को मज़बूत करने में आपसी सहयोग करेंगे।
- आपसी सहमति से सूचनाओं, आपात स्थिति की निगरानी व पूर्वानुमान और उनके परिणामों का आकलन करेंगे।
- संबंधित क्षेत्रों में संयुक्त सम्मेलनों, संगोष्ठियों, कार्यशालाओं के साथ-साथ अभ्यास और प्रशिक्षण का आयोजन किया जाएगा।
- दोनों देश पूर्व चेतावनी प्रणालियों को बढ़ाने और आपदा प्रबंधन में क्षमता निर्माण के लिये पारस्परिक रूप से सहायता प्रदान करेंगे।
लाल चंदन पर मंडराता संकट
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, लाल चंदन (रेड सैंडर्स) को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आई.यू.सी.एन) की 'लुप्तप्राय' (Endangered) श्रेणी में पुनः शामिल किया गया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में ही इसे आई.यू.सी.एन की ‘लुप्तप्राय’ श्रेणी से ‘संकटापन्न’ (Near Threatened) में शामिल किया गया था।
लाल चंदन
- इसका वैज्ञानिक नाम ‘पटरोकार्पस सैंटलिनस’ है। एक मुख्यतः पूर्वी घाट में पाई जाने वाली भारत की एक स्थानिक वृक्ष प्रजाति है। आंध्र प्रदेश में यह चित्तूर, कडपा, नंद्याल (कुर्नूल), नेल्लोर और प्रकाशम जिलों में पाई जाती है।
- इस प्रजाति के प्राकृतिक आवास में कमी आ रही है। इसे ‘लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अभिसमय’ (साइट्स) के परिशिष्ट-II के अतिरिक्त ‘वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972’ के अंतर्गत भी शामिल किया गया है।
लाल चंदन का उपयोग
यह भारत और विदेशों में सौंदर्य प्रसाधनों और पारंपरिक दवाओं का एक प्रमुख घटक है। भारत सहित पड़ोसी देशों में धार्मिक कार्यों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। चीन और जापान में इसका उपयोग बड़े पैमाने पर फर्नीचर और वाद्ययंत्र बनाने में किया जाता है।
पेट्रोल में एथेनॉल सम्मिश्रण
चर्चा में क्यों?
पेट्रोल में एथेनॉल का सम्मिश्रण वर्ष 2020-21 में बढ़कर 8.1% हो गया है, जो वर्ष 2013-14 में 1.5% था।
मुख्य बिंदु
- सरकार ने ‘एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल’ कार्यक्रम के तहत वर्ष 2022 तक पेट्रोल में 10% बायो-एथेनॉल मिश्रण और वर्ष 2025 तक 20% मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया है। पूर्व में यह लक्ष्य वर्ष 2030 तक प्राप्त करना था।
- एथेनॉल के 10% प्रतिस्थापन से तेल आयात में 1.5 प्रतिशत तक की कमी की जा सकती है।
- इसका उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगाना और आयातित कच्चे तेल पर भारत की निर्भरता को कम करना है। एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये लाभकारी मूल्य, ब्याज सब्सिडी और उत्पादन क्षमता में विस्तार जैसे नीतिगत उपाय किये जा रहे हैं।
- शीरा आधारित एथेनॉल उत्पादन सुविधा वर्ष 2016-17 की तुलना में वर्तमान में दोगुनी से भी अधिक हो गई है।