शॉर्ट न्यूज़: 18 मई, 2022
भारत में लिंगानुपात
बोडो साहित्य सभा-2022
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2022
भारत में लिंगानुपात
चर्चा में क्यों
भारत के महापंजीयक (RGI) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में देश में जन्म के समय सर्वाधिक लिंगानुपात केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में दर्ज किया गया। जन्म के समय लिंगानुपात (SRB) से तात्पर्य प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या से है।
प्रमुख बिंदु
- वर्ष 2020 के नागरिक पंजीकरण प्रणाली रिपोर्ट पर आधारित वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में देश में जन्म के समय सर्वाधिक लिंगानुपात वाले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश इस प्रकार हैं-
- लद्दाख > अरुणाचल प्रदेश > अंडमान और निकोबार द्वीप समूह > त्रिपुरा > केरल।
- न्यूनतम लिंगानुपात वाले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश इस प्रकार हैं-
- मणिपुर < दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव < गुजरात
- डाटा उपलब्ध नहीं होने के कारण महाराष्ट्र, सिक्किम, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की अपेक्षित जानकारी ‘उपलब्ध नहीं’ थी।
वर्ष 2020 में जन्म के समय लिंगानुपात की स्थिति
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जन्म के समय उच्चतम लिंगानुपात
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जन्म के समय न्यूनतम लिंगानुपात
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लद्दाख (1104)
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मणिपुर (880)
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अरुणाचल प्रदेश (1011)
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दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव (898)
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अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (984)
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गुजरात (909)
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त्रिपुरा (974)
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हरियाणा (916)
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केरल (969)
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मध्य प्रदेश (921)
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- वर्ष 2019 में जन्म के समय अधिकतम लिंगानुपात अरुणाचल प्रदेश में जबकि न्यूनतम लिंगानुपात गुजरात (901) में दर्ज किया गया था।
लिंगानुपात मापन एवं शिशु मृत्यु
- जन्म के समय लिंगानुपात शिशु के जीवन के प्रारंभ में जनसंख्या के लिंग अंतराल को मैप करने के लिये एक महत्वपूर्ण संकेतक है। इस रिपोर्ट के अनुसार किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में जन्म के समय लिंगानुपात 880 से कम दर्ज नहीं किया गया है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में 1,43,379 शिशु मृत्यु (Infant Deaths) दर्ज की गई। कुल पंजीकृत शिशु मृत्यु में ग्रामीण क्षेत्र का हिस्सा मात्र 23.4% रहा, ग्रामीण क्षेत्र में शिशु मृत्यु का पंजीकरण न होना चिंता का विषय था।
- विदित है कि जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के तहत रजिस्ट्रार को जन्म और मृत्यु को रिपोर्ट करना अनिवार्य है। जन्म और मृत्यु का पंजीकरण उसके घटित होने के स्थान पर ही किया जाता है।
बोडो साहित्य सभा-2022
चर्चा में क्यों
हाल ही में, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने असम के तामुलपुर में 61वीं बोडो साहित्य सभा का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- यह सभा बोडो भाषा तथा साहित्य को बढ़ावा देती है। इसकी स्थापना 16 नवंबर, 1952 को की गई थी। इसमें असम, पश्चिम बंगाल, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और नेपाल के प्रतिनिधि शामिल थे।
- बोडो समुदाय असम राज्य का सबसे बड़ा नृवंश विज्ञानवादी समूह है, जो मुख्यत: असम के बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र में केंद्रित है। हालाँकि, ये समुदाय पूरे उत्तर-पूर्व भारत में फैले हुए हैं।
- बोडो को आधिकारिक तौर पर संविधान के तहत अनुसूचित जनजाति माना जाता है। बोडो भाषा 7वीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में से एक है।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2022
चर्चा में क्यों
हाल ही में, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2022’ जारी किया। यह इस सूचकांक का 20वां संस्करण है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
- विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2022 180 देशों और क्षेत्रों में पत्रकारिता की स्थिति का आकलन करता है।
- गत वर्ष भारत इस सूचकांक में 142वें स्थान पर था जबकि इस वर्ष वह 150वें स्थान पर आ गया है।
- नवीनतम रिपोर्ट में शीर्ष तीन स्थानों पर क्रमश: नॉर्वे, स्वीडन तथा डेनमार्क है। ये तीनों नॉर्डिक देश हैं। इस सूचकांक में अंतिम तीन स्थानों पर क्रमश: ईरान, इरीट्रिया और उत्तर कोरिया (180वें) हैं।
- नेपाल को छोड़कर भारत सहित उसके पड़ोसी देशों की रैंकिंग में भी गिरावट आई है। इस सूचकांक में पाकिस्तान 157वें, श्रीलंका 146वें, बांग्लादेश 162वें, चीन 175वें और म्यांमार 176वें स्थान पर है।
- इस सूचकांक में रूस 155वें स्थान पर है, जबकि यूक्रेन 106वें स्थान पर है।
रिपोर्ट्स विदॉउट बॉर्डर्स
- यह एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है जिसका उद्देश्य मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा करना और उसे बढ़ावा देना है। इसका मुख्यालय पेरिस में है और इसे संयुक्त राष्ट्र में सलाहकारी दर्जा प्राप्त है।
- इस सूचकांक में 0 रैंकिंग सबसे ख़राब स्थिति जबकि 100 सबसे बेहतर स्थिति को दर्शता है।