शॉर्ट न्यूज़: 19 सितम्बर, 2022
धर्मांतरण रोधी विधेयक
बी. बी. लाल
धर्मांतरण रोधी विधेयक
चर्चा में क्यों
हाल ही में, कर्नाटक विधान परिषद में ‘कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार संरक्षण विधेयक, 2021’ से पारित कर दिया।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि इस विधेयक को विगत वर्ष दिसंबर माह में राज्य विधानसभा ने पारित कर दिया था।
- मई 2022 में कर्नाटक ने इस धर्मांतरण रोधी कानून के लिये एक अध्यादेश पारित किया था।
विधेयक के प्रावधान
- इसके अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को गलत बयानी करके या बहला करके, बलपूर्वक, जबरन और लालच के माध्यम से या किसी अन्य अन्य विधि द्वारा धर्म परिवर्तन के लिये न तो उकसाएगा और न ही ऐसा करने की कोई साजिश करेगा।
- धर्मांतरण एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है। इस अधिनियम के उल्लंघन की स्थिति में कारावास और अर्थ दंड का प्रावधान है। इसके अनुसार-
- सामान्य स्थिति में 3-5 वर्ष के कारावास या 25,000 रूपए के जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान किया गया है।
- जबकि नाबालिगों, महिलाओं तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के किसी व्यक्ति के धर्मांतरण की स्थिति में 3-10 वर्ष के कारावास या 50,000 रूपए का जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान किया गया है।
- इस विधेयक के अनुसार, धर्मांतरण की शिकायत परिवार के सदस्यों या संबंधियों या संबंधित संस्था में किसी भी व्यक्ति द्वारा दर्ज कराई जा सकती है।
- यह विधेयक तत्काल अपने पूर्व धर्म में पुन: धर्मांतरित हो जाने की स्थिति में उस व्यक्ति को छूट प्रदान करता है क्योंकि इसे धर्मांतरण नहीं माना जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि अब तक ऐसे कानून ओड़िसा, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड, उत्तराखंड और तमिलनाडु द्वारा पारित किये जा चुके हैं।
बी. बी. लाल
चर्चा में क्यों
हाल ही में, भारत के प्रख्यात पुरातत्विद तथा पद्म विभूषण से सम्मानित श्री ब्रज बासी लाल (बी.बी. लाल) का निधन हो गया है।
परिचय
- इनका जन्म वर्ष 1921 में उत्तर प्रदेश के झाँसी में हुआ था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में स्नातकोत्तर शिक्षा पूरी करने के बाद इनकी रूचि पुरातत्व के क्षेत्र में विकसित हुई।
- इन्होंने अपने 50 वर्ष के कार्यकाल में 50 से अधिक पुस्तकों तथा 150 से अधिक शोध अध्ययन का प्रकाशन किया।
उपलब्धियां
- इनकी रचनाओं में वर्ष 2002 में प्रकाशित ‘द सरस्वती फ्लो ऑन : द कंटिन्युटी ऑफ इंडियन कल्चर’ और वर्ष 2008 में प्रकाशित ‘राम, हिज हिस्टोरिसिटी, मंदिर एंड सेतु : एविडेंस ऑफ लिटरेचर, आर्कियोलॉजी एंड अदर साइंसेज’ प्रमुख हैं।
- उन्होंने वर्ष 1950-52 तक महाभारत से संबंधित कुछ क्षेत्रों की खुदाई की और अपने विश्लेषण को ‘भारत के पारंपरिक अतीत की खोज में हस्तिनापुर और अयोध्या की खुदाई पर प्रकाश’ नामक पत्र में प्रकाशित किया।
- इन्होंने वर्ष 1975 में ‘रामायण स्थलों का पुरातत्व’ नामक एक अन्य परियोजना का आरंभ किया। इसमें रामायण से संबंधित पांच क्षेत्र, अर्थात- अयोध्या, भारद्वाज आश्रम, नंदीग्राम, चित्रकूट और श्रृंगवेरापुर शामिल थे।
- वर्ष 1990 में उन्होंने अयोध्या की खुदाई के आधार पर ‘एक स्तंभ आधारित सिद्धांत’ प्रस्तुत किया।