शॉर्ट न्यूज़: 20 जून, 2022
दिल्ली एन.सी.आर. में कोयले के प्रयोग पर प्रतिबंध
बायोटेक स्टार्टअप एक्सपो-2022
लीडर्स इन क्लाइमेट चेंज मैनेजमेंट प्रोग्राम
दिल्ली एन.सी.आर. में कोयले के प्रयोग पर प्रतिबंध
चर्चा में क्यों
हाल ही में, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने एक जनवरी, 2023 तक दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में कोयले को चरणबद्ध तरीके से हटाने का आदेश जारी किया है।
प्रमुख बिंदु
- आयोग द्वारा 1 अक्टूबर, 2022 से दिल्ली एन.सी.आर. के ऊर्जा-गहन उद्योगों में उन क्षेत्रों के लिये व्यापक कोयले पर प्रतिबंध लगाया गया है, जहाँ पाइप प्राकृतिक गैस (PNG) का बुनियादी ढाँचा और आपूर्ति पहले से ही उपलब्ध है।
- दिल्ली एन.सी.आर. के उन क्षेत्रों में जहाँ अभी तक पी.एन.जी. की आपूर्ति उपलब्ध नहीं है, वहाँ यह प्रतिबंध एक जनवरी, 2023 से लागू होगा।
- चूंकि बिजली संयंत्रों में व्यावहारिक तौर पर कोयले का इस्तेमाल अचानक से बंद नहीं किया जा सकता है, इसलिये कम सल्फर वाले कोयले के प्रयोग को इस पाबंदी से बाहर रखा गया है। विदित है कि कम सल्फर वाला कोयला, पारंपरिक कोयले की तुलना में कम सल्फर डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करता है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग
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इस आयोग को अगस्त 2021 में स्वतंत्र वैधानिक इकाई के रूप में स्थापित किया गया था। इसने पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण को प्रतिस्थापित किया था। यह आयोग वायु प्रदूषण पर देश का सर्वोच्च शासकीय निकाय है।
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बायोटेक स्टार्टअप एक्सपो-2022
चर्चा में क्यों
हाल ही में, प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में ‘बायोटेक स्टार्टअप एक्सपो-2022’ का उद्घाटन किया तथा बायोटेक उत्पाद ई-पोर्टल लॉन्च किया।
प्रमुख बिंदु
- इस एक्सपो का आयोजन जैव प्रौद्योगिकी विभाग और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) द्वारा किया गया है।
- यह देश का पहला बायोटेक स्टार्टअप एक्सपो है जो बायोटेक क्षेत्र के व्यापक विकास को प्रदर्शित करता है।
- इस एक्सपो का मुख्य विषय 'बायोटेक स्टार्टअप इनोवेशन: आत्म निर्भर भारत की ओर’ (Biotech Startup Innovations: Towards AatmaNirbhar Bharat) है।
- पिछले 8 वर्षों में देश में स्टार्ट-अप की संख्या बढ़कर 70 हजार तक पहुँच गई हैं। इसमें से 5 हजार से अधिक स्टार्टअप बायोटेक के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। विदित है कि पिछले वर्ष ही 1100 बायोटेक स्टार्टअप स्थापित हुए हैं।
मुख्य उद्देश्य
- यह निवेशकों, उद्यमियों, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, उद्योग जगत के नेताओं, निर्माताओं, जैव-इनक्यूबेटरों, नियामकों और सरकारी अधिकारियों को जोड़ने के लिये एक साझा मंच प्रदान करेगा।
- इसमें एक्सपो में स्वास्थ्य, कृषि, जीनोमिक्स, स्वच्छ ऊर्जा, बायोफार्मा, औद्योगिक जैव प्रौद्योगिकी और अपशिष्ट से मूल्य (waste-to-value) आदि विभिन्न क्षेत्रों में जैव प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों को प्रदर्शित किया जाएगा।
लीडर्स इन क्लाइमेट चेंज मैनेजमेंट प्रोग्राम
चर्चा में क्यों
हाल ही में, विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा भारत में जलवायु कार्रवाई में अग्रणी भूमिका निभाने के लिये शहरी पेशेवरों के बीच क्षमता निर्माण करने के उद्देश्य से लीडर्स इन क्लाइमेट चेंज मैनेजमेंट प्रोग्राम (LCCM) का शुभारंभ किया है।
प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान एवं विश्व संसाधन संस्थान भारत ने संयुक्त रूप से अभ्यास आधारित इस लर्निंग प्रोग्राम को शुरू किया है।
- इस कार्यक्रम के तहत मध्य से कनिष्ठ स्तर के सरकारी अधिकारियों तथा अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं सहित 5,000 पेशेवरों को सक्षम बनाने तथा उन्हें जलवायु परिवर्तन अनुकूलन एवं शमन समाधानों के लिये तैयार करने की कल्पना की गई है।
- इस प्रोग्राम के चार चरण हैं, पहला चरण एक ऑनलाइन लर्निंग मॉड्यूल है जिसे आठ सप्ताह में पूरा किया जा सकता है।
- दूसरा चरण चार से छह दिनों तक चलने वाला आमने-सामने यानी फेस-टू-फेस सत्र है, तीसरा सत्र सहभागियों को छह से आठ महीनों में एक परियोजना को पूरा करने तथा ज्ञानवर्धक दौरों के लिये अधिदेशित करता है तथा अंतिम चरण में नेटवर्किंग और अभ्यास का एक समुदाय स्थापित करना शामिल है।
राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान
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यह संस्थान वर्ष 1976 में स्थापित शहरी नियोजन तथा विकास पर भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय थिंक टैंक है। इसकी स्थापना शहरी क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान के सृजन एवं प्रसार के लिये एक हब के रूप में की गई, जो भारत की चुनौतियों का समाधान करने के लिए नवोन्मेषी समाधान तथा अधिक समावेशी एवं स्थायी शहरों के लिये मार्ग प्रशस्त करना चाहता है।
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