शॉर्ट न्यूज़: 20 सितम्बर, 2022
पीएम प्रणाम योजना
अंबेडकर सर्किट
टाइफून नानमाडोल
लर्निंग गार्डेंस
पीएम प्रणाम योजना
चर्चा में क्यों
केंद्र सरकार राज्यों को प्रोत्साहित करके रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने के लिये पी.एम. प्रणाम नामक एक नई योजना शुरू करने पर विचार कर रही है। पी.एम. प्रणाम का अर्थ है ‘कृषि प्रबंधन योजना के लिये वैकल्पिक पोषक तत्वों का संवर्धन’।
प्रमुख बिंदु
- इसका उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी के बोझ को कम करना है, जिसके वर्ष 2022-2023 में बढ़कर 2.25 लाख करोड़ रुपए होने की उम्मीद है। यह विगत वर्ष के 1.62 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े से 39% अधिक है।
- इसे उर्वरक विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के तहत ‘मौजूदा उर्वरक सब्सिडी बचत’ द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा। इसके अलावा, सब्सिडी की 50% बचत राज्यों को अनुदान के रूप में दी जाएगी।
- योजना के तहत प्रदान किये गए अनुदान के 70% का उपयोग गाँव, ब्लॉक और ज़िला स्तर पर वैकल्पिक उर्वरकों तथा उर्वरक उत्पादन इकाइयों की तकनीक संबंधित संपत्ति निर्माण के लिये किया जा सकता है।
- शेष 30% अनुदान राशि का उपयोग किसानों, पंचायतों, किसान उत्पादक संगठनों और स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने के लिये किया जा सकता है जिसमें उर्वरक उपयोग में कमी और जागरूकता प्रसार शामिल हैं।
अंबेडकर सर्किट
चर्चा में क्यों
हाल ही में, केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने अंबेडकर सर्किट को कवर करने के लिये एक विशेष पर्यटक ट्रेन की घोषणा की। इसकी घोषणा राज्य पर्यटन मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में की गई।
प्रमुख बिंदु
- वर्ष 2016 में प्रस्तावित अम्बेडकर सर्किट में निम्नलिखित स्थलों को शामिल किया गया हैं :
- मध्य प्रदेश का महू (इंदौर)- डॉ. अंबेडकर का जन्मस्थान।
- महाराष्ट्र का नागपुर- जहाँ डॉ. अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया था।
- दिल्ली- उनके जीवन के अंतिम वर्षों के दौरान का निवास स्थान।
- दादर (महाराष्ट्र)- उनके पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार का स्थान।
- विदित है कि पर्यटन मंत्रालय की स्वदेश दर्शन योजना के तहत कई विषयगत सर्किट्स (जैसे- रामायण और बौद्ध सर्किट) की पहचान की गई है। साथ ही, जून माह में रामायण सर्किट पर एक विशेष ट्रेन चलाई गई, जिसमें अयोध्या और नेपाल स्थित जनकपुर सहित भगवान राम के जीवन से जुड़े प्रमुख स्थानों को शामिल किया गया।
- उल्लेखनीय है कि पर्यटन सर्किट को बढ़ावा देने के लिये 3,000 विशेष रेलवे कोच आरक्षित किये गए हैं।
राज्य पर्यटन मंत्रियों का राष्ट्रीय सम्मेलन
- देश में पर्यटन के विकास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिये पर्यटन मंत्रालय द्वारा इस सम्मेलन का आयोजन 18-20 सितंबर तक हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में किया गया।
- विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पर्यटन मंत्रियों के इस राष्ट्रीय सम्मेलन में पर्यटन के बुनियादी ढाँचे के विकास और टिकाऊ पर्यटन पर ध्यान दिया गया।
टाइफून नानमाडोल
चर्चा में क्यों
हाल ही में, टाइफून नानमाडोल (Nanmadol) ने जापान के कई हिस्सों को प्रभावित किया।
प्रमुख बिंदु
- इसका लैंडफॉल कागोशिमा शहर के पास हुआ। इसने पश्चिमी द्वीप क्यूशू और मुख्य द्वीप होन्शू को प्रभावित किया।
- नानमाडोल जापान में हाल के वर्षों में आए सबसे बड़े तूफानों में से एक है। इसके चलते तीव्र हवाएँ और वर्षा रिकॉर्ड की गई है।
- टाइफून एक परिपक्व उष्णकटिबंधीय चक्रवात है जो उत्तरी गोलार्ध में 180° से 100° पूर्वी देशांतर में विकसित होता है।
- इस क्षेत्र को उत्तर-पश्चिमी प्रशांत बेसिन के रूप में जाना जाता है। यह पृथ्वी पर सबसे सक्रिय उष्णकटिबंधीय चक्रवात बेसिन है। यह विश्व के वार्षिक उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का लगभग एक-तिहाई के लिये जिम्मेदार है।
लर्निंग गार्डेंस
चर्चा में क्यों
वर्तमान में कंबोडिया कई ग्रामीण विद्यालयों में विद्यार्थियों को अपना खाना स्वयं उगाने और खाना पकाने का तरीका सिखाने के लिये ‘लर्निंग गार्डन’ (Learning garden) की स्थापना की जा रही है।
प्रमुख बिंदु
- यह नि:शुल्क भोजन योजना के साथ यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी बच्चा भूखा न रहे। साथ ही, उपज के वजन और गणना से उनका संख्यात्मक कौशल भी विकसित हो रहा है।
- उल्लेखनीय है कि कंबोडिया के लगभग 1000 विद्यालयों में विश्व खाद्य कार्यक्रम के माध्यम से भोजन कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है।
- वैश्विक अधिकार समूह ‘प्लान इंटरनेशनल’ की सहायता से विद्यार्थियों के लिये लगभग 50 ‘लर्निंग गार्डन’ स्थापित किये गए हैं।
खाद्य संकट का कंबोडिया पर प्रभाव
- कोविड-19 और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कई विकासशील देशों को खाद्यान्न की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
- यूनिसेफ समर्थित एक अध्ययन के अनुसार, कुपोषण से कंबोडिया की अर्थव्यवस्था को सालाना 400 मिलियन डॉलर से अधिक की हानि होती है, जो इसके सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 2.5% है।
कार्यक्रम के लाभ
- खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना
- कुपोषण से रक्षा
- संकटकाल में छात्रों को भूखा रखने से बचाना
- बागन गतिविधियों के माध्यम से अध्ययन और गणित कौशल परीक्षण
- छात्रों के नामांकन में वृद्धि
- छात्रों की नियमित रूप से अधिक उपस्थिति