New
UPSC GS Foundation (Prelims + Mains) Batch | Starting from : 20 May 2024, 11:30 AM | Call: 9555124124

शॉर्ट न्यूज़: 23 जून, 2022

शॉर्ट न्यूज़: 23 जून, 2022


भारत में धन प्रेषण की स्थिति 

पुनर्वास पोर्टल

औद्योगिक सहयोग पर भारत-यू.ए.ई. समझौता


भारत में धन प्रेषण की स्थिति 

चर्चा में क्यों

विश्व बैंक समूह की रिपोर्ट (2021) के अनुसार, भारत को हस्तांतरित वार्षिक प्रेषण (Remittances) $87 बिलियन होने का अनुमान है, जो वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक है।

पृष्ठभूमि

  • विदेश मंत्रालय के अनुसार, दुनिया भर में 13.4 मिलियन से अधिक अनिवासी भारतीयों में से लगभग 64% खाड़ी सहयोग परिषद (Gulf Corporation Council : GCC) के देशों में निवास करते हैं ।
  • जी.सी.सी. में सर्वाधिक अनिवासी क्रमश: संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और कुवैत में रहते हैं। 
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, जी.सी.सी. देशों में रहने वाले लगभग 90% भारतीय प्रवासी निम्न और अर्ध-कुशल श्रमिक हैं।
  • प्रवासी भारतीयों के लिये अन्य महत्वपूर्ण गंतव्य देश संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा हैं।

भारत को उच्च प्रेषण की प्राप्ति

  • प्रतिवर्ष भारत से लगभग 25 लाख लोग रोज़गार वीज़ा पर विश्व के विभिन्न हिस्सों में जाते हैं। 
  • भारत के बाद सर्वाधिक वार्षिक प्रेषण प्राप्त करने वाले देशों में क्रमश: चीन ($53 बिलियन), मैक्सिको, फिलीपींस और मिस्र का स्थान है। 
  • वर्ष 2021 में भारत को हस्तांतरित प्रेषण में विगत वर्ष की तुलना में 4.6% की वृद्धि देखी गई। 
  • हालाँकि, विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के सकल घरेलू उत्पाद में प्रेषण का योगदान लगभग 3% ही है जो नेपाल (24.8%), पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों की तुलना में कम है।
  • वर्ष 2015 में सरकार ने भारतीय प्रवासियों की सहयता हेतु एकीकृत शिकायत निवारण पोर्टल 'मदद' की शुरूआत की थी। 

उत्प्रवास विधेयक के प्रावधान

  • भारत सरकार ने वर्ष 2021 में एक नया उत्प्रवास विधेयक प्रस्तावित किया जिसका उद्देश्य उत्प्रवास प्रबंधन को एकीकृत करना और प्रवासी श्रमिकों के कल्याण को बढ़ावा देना है। 
  • यह विधेयक 18 अधिसूचित देशों में प्रवास के लिये आवेदन करने वाले श्रमिकों की उत्प्रवास आवश्यक जाँच (Emigration Check Required : ECR) श्रेणी की  प्रणाली को संशोधित करने का प्रस्ताव करता है। 
  • ई.सी.आर. श्रेणी में मुख्य रूप से वे लोग शामिल हैं जो 10वीं कक्षा पास नहीं है और जोखिम भरे अनौपचारिक उत्प्रवास की चुनौती का सामना करते हैं। 
  • यह विधेयक सभी श्रेणी के श्रमिकों के लिये विश्व के किसी भी देश में जाने से पहले पंजीकरण को अनिवार्य करता है, ताकि संकट की स्थिति में बेहतर समर्थन और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। 
  • इस विधेयक के तहत प्रस्तावित उत्प्रवास प्रबंधन प्राधिकरण नीतिगत मार्गदर्शन प्रदान करने वाला प्रमुख प्राधिकारी होगा।
  • यह विधेयक श्रमिकों के अतिरिक्त प्रतिवर्ष बाहर जाने वाले लगभग 0.5 मिलियन छात्रों को भी शामिल करता है।

पुनर्वास पोर्टल

चर्चा में

हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 'सी.ए.पी.एफ. पुनर्वास' (CAPF Punarvaas) पोर्टल लॉन्च किया है।

प्रमुख बिंदु 

  • यह पोर्टल केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों से सेवानिवृत्त कर्मियों को निजी सुरक्षा एजेंसियों आदि में पुन: रोजगार दिलाने में मदद करेगा।
  • सेवानिवृत्त जवान अपनी विशेषज्ञता एवं पसंदीदा रोजगार स्थान के आधार पर कल्याण और पुनर्वास बोर्ड (WARB) के माध्यम से अपनी निजी जानकारी को अपलोड करके मदद प्राप्त कर सकते हैं।
  • यह पोर्टल नौकरी चाहने वालों और नियाक्ताओं दोनों के लिये एक ही मंच प्रदान करता है। यह नई पहल निजी सुरक्षा एजेंसियों को डिजिटल रूप से डाटाबेस तक पहुंच प्रदान करती है। 
  • गृह मंत्रालय निजी सुरक्षा एजेंसियों (PSA) के पंजीयन के लिये निजी सुरक्षा एजेंसियाँ विनियमन अधिनियम (PSARA) के तहत भी एक अन्य पोर्टल चलाता है। अब दोनों ही वेबसाइट को इंटरलिंक कर दिया गया है। 

औद्योगिक सहयोग पर भारत-यू.ए.ई. समझौता

चर्चा में क्यों

हाल ही में, केंद्र सरकार ने उद्योगों और उन्नत प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच एक द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी है।

प्रमुख बिंदु

  • इस समझौता ज्ञापन में दोनों देशों के मध्य उद्योगों की आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन (Supply Chain Resilience), नवीकरणीय और ऊर्जा दक्षता, स्वास्थ्य और जीवन विज्ञान, अंतरिक्ष प्रणाली, कृत्रिम बुद्धिमत्ता आदि क्षेत्रों में सहयोग की परिकल्पना की गई है।
  • इस एम.ओ.यू. का उद्देश्य निवेश एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से दोनों देशों में उद्योगों को मजबूत और विकसित करना है।
  • इस एम.ओ.यू. के क्रियान्वयन से आपसी सहयोग के सभी क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार में वृद्धि हो सकती है।

भारत- यू.ए.ई. द्विपक्षीय व्यापार 

  • भारत-यू.ए.ई. द्विपक्षीय व्यापार, जो कि 1970 के दशक में प्रति वर्ष 180 मिलियन डॉलर था, वर्तमान में बढ़कर 60 बिलियन डॉलर हो गया है। इस प्रकार, यू.ए.ई. चीन और अमेरिका के पश्चात् भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है।
  • यू.ए.ई. 18 अरब डॉलर के अनुमानित निवेश के साथ भारत में आठवां सबसे बड़ा निवेशक है। जबकि यू.ए.ई. में भारतीय निवेश लगभग 85 अरब डॉलर (6.48 लाख करोड़) होने का अनुमान है।
  • विदित है कि दोनों देशों ने अगले पाँच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को 60 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 100 बिलियन डॉलर करने के उद्देश्य से एक व्यापक व्यापार समझौता लागू किया है।

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR