पंडित गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 10 सितंबर, 1887 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में हुआ था।
वह एक दूरदर्शी नेता और एक समर्पित स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई में और उसके बाद के राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उनकी जयंती हमें उनके बलिदान, समर्पण और राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा को याद करने का अवसर देती है।
यह दिन हमें उनके दिखाए रास्ते पर चलने और एक मजबूत व समृद्ध भारत के निर्माण में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करता है।
योगदान एवं उपलब्धियाँ
पंडित पंत ने अपने जीवन का अधिकांश समय देश की सेवा में समर्पित कर दिया था।
वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख सदस्य थे और महात्मा गांधी के सिद्धांतों से प्रभावित थे।
उन्होंने असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन जैसे प्रमुख आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया।
वर्ष 1928 में साइमन कमीशन का विरोध करते हुए उन्हें लाठियों से गंभीर चोटें भी आई थीं, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान भी वे कारावास गए और देश की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया।
वर्ष 1946 में, वह संयुक्त प्रांत (जो अब उत्तर प्रदेश है) के मुख्यमंत्री बने और आजादी के बाद भी इस पद पर बने रहे।
मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने जमींदारी प्रथा को समाप्त करने और कृषि सुधारों को लागू करने जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य किए।
वर्ष 1955 में, उन्हें भारत का गृह मंत्री नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने राज्यों के भाषाई पुनर्गठन में अहम भूमिका निभाई और हिंदी को भारत की राजभाषा बनाने के लिए अथक प्रयास किए।
राष्ट्र के प्रति उनकी अटूट सेवा और अतुलनीय योगदान को देखते हुए, 1957 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया।
पंडित गोविंद बल्लभ पंत का निधन 7 मार्च 1961 को हुआ, लेकिन उनके आदर्श और सिद्धांत आज भी हमें प्रेरित करते हैं।
प्रश्न. 10 सितंबर 2025 को भारत में किसकी जयंती मनाई जाती है ?