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भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम, भारतीय राजनीतिक व्यवस्था)

11 नवंबर, 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। 

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के बारे में 

  • जन्म : 14 मई, 1960
  • न्यायमूर्ति खन्ना न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ का स्थान लेंगे और 13 मई, 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। 
  • न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के चाचा हंस राज खन्ना ने वर्ष 1977 में आपातकाल के दौरान व्यक्तिगत स्वतंत्रता की वकालत की थी, जिसके कारण वरिष्ठता के बावजूद इन्हें भारत का मुख्य न्यायाधीश नहीं नियुक्त किया गया था।

मुख्य न्यायाधीश से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य

  • नियुक्ति : संविधान का अनुच्छेद 124 (2) राष्ट्रपति को अन्य न्यायाधीशों के परामर्श से निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश के अनुसार अगले मुख्य न्यायाधीश को नियुक्त करने की शक्ति प्रदान करता है। 
    • परंपरा के अनुसार, वर्तमान मुख्य न्यायाधीश द्वारा सुझाया गया उत्तराधिकारी प्राय: सर्वोच्च न्यायालय का सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश होता है। 
    • हालाँकि, यह परंपरा दो बार टूट चुकी है। 
      • वर्ष 1973 में न्यायमूर्ति ए.एन. रे को तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों के स्थान पर मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
      • वर्ष 1977 में न्यायमूर्ति हंस राज खन्ना की जगह न्यायमूर्ति मिर्ज़ा हमीदुल्लाह बेग को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
  • कार्यकाल : एक बार नियुक्त होने के बाद मुख्य न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक पद पर बने रहते हैं। 
    • संविधान में कार्यकाल की कोई निश्चित पदावधि निर्धारित नहीं की गई है। इन्हें केवल संसद द्वारा हटाने की प्रक्रिया के माध्यम से ही हटाया जा सकता है। 
  • पदच्युत प्रक्रिया : भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(4) में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया निर्धारित की गई है, जो मुख्य न्यायाधीशों पर भी लागू होती है।
  • अनुच्छेद 124(4) : उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश को उसके पद से तब तक नहीं हटाया जाएगा, जब तक कि राष्ट्रपति द्वारा पारित आदेश के पश्चात् संसद के प्रत्येक सदन द्वारा, उस सदन की कुल सदस्यता के बहुमत द्वारा तथा उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के कम-से-कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा, सिद्ध कदाचार या असमर्थता के आधार पर ऐसे हटाने के लिए उसी सत्र में राष्ट्रपति के समक्ष अभिभाषण प्रस्तुत न कर दिया गया हो।
  • कार्यवाहक राष्ट्रपति : राष्ट्रपति (कार्यों का निर्वहन) अधिनियम, 1969 में निर्दिष्ट किया गया है कि राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति दोनों के पद रिक्त होने की स्थिति में भारत के मुख्य न्यायाधीश भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेंगे।
    • न्यायमूर्ति मोहम्मद हिदायतुल्लाह भारत के प्रथम मुख्य न्यायाधीश थे जो भारत के कार्यवाहक राष्ट्रपति बने।
  • कार्य : भारत के संविधान के अनुच्छेद 145 और वर्ष 1966 के सर्वोच्च न्यायालय के प्रक्रिया नियम के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश को अन्य न्यायाधीशों को मामलें/काम आवंटित करना होते हैं। 
  • मुख्य न्यायाधीश ‘भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय’ के वास्तविक कुलपति (de facto Chancellor) होते हैं।
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