जल शक्ति राज्य मंत्री वी. सोमन्ना के अनुसार भारत के 80 फीसदी से अधिक ग्रामीण परिवारों तक पाइप से पेयजल पहुंच चुका है।
प्रमुख बिंदु
अगस्त 2019 तक केवल 16.7 फीसदी घरों में ही नल के पानी के कनेक्शन थे।
जल जीवन मिशन के बाद यह आंकड़ा 80.94% तक पहुंच चुका है।
अब तक देश के 19.36 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 15.67 करोड़ ग्रामीण परिवार इस मिशन से लाभान्वित हो चुके हैं।
11 राज्यों में 100 फीसदी कवरेज
सबसे सराहनीय काम भारत के 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में हुआ है।
इसमें गोवा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, हरियाणा, तेलंगाना, पुडुचेरी, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, मिज़ोरम और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं।
यहां ग्रामीण परिवारों में 100% नल जल कवरेज हासिल कर लिया गया है।
वहीं उत्तराखंड में 97.6 फीसदी,लद्दाख में 96.88 फीसदी और बिहार में 95.7 फीसदी ग्रामीण परिवारों में नल जल कवरेज हासिल हुआ है।
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश ने भी शानदार प्रगति की है।
मिशन की शुरुआत में जहां मध्य प्रदेश में केवल 13.53 लाख ग्रामीण परिवारों के पास नल के पानी का कनेक्शन था, वह 21 जुलाई 2025 तक 78.56 लाख के आंकड़े तक पहुंच गया है।
यूपी में आंकड़ा 5.16 लाख ग्रामीण परिवारों से बढ़कर 2.4 करोड़ ग्रामीण परिवार हो गया है।
हालांकि राजस्थान, पश्चिम बंगाल और झारखंड में प्रगति काफी धीमी है।
केरल में भी केवल 54.66 लाख ग्रामीण परिवारों तक नल से जल का कनेक्शन पहुंच पाया है।
वर्ष 2025-26 के बजट में केंद्र सरकार ने मिशन को 2028 तक के लिए बढ़ा दिया है।
तीन साल के अंदर 100 फीसदी नल जल कवरेज हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
जल जीवन मिशन (ग्रामीण)
इसे वर्ष 2019 में आरंभकिया गया।
जल शक्ति मंत्रालय, इस मिशन के लिए नोडल मंत्रालयहै ।
इसका लक्ष्यग्रामीण परिवार कोनल कनेक्शन के माध्यम सेसुरक्षित और पर्याप्त पेयजल की सुविधा प्रदान करना है ।
उद्देश्य
प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नियमित और दीर्घकालिक आधार पर पर्याप्त मात्रा में निर्धारित गुणवत्ता वाला पीने का पानी उपलब्ध कराना।
ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक परिवार को नल कनेक्शन प्रदान करने हेतु जलापूर्ति अवसंरचना का विकास करना।
जलापूर्ति प्रणाली को दीर्घकालिक स्थिरता प्रदान करने हेतु विश्वसनीय पेयजल स्रोतों का विकास सुनिश्चित करना।
धूसर जल का प्रबंधन करना।
घरेलू प्रक्रियाओं (जैसे बर्तन धोना, कपड़े धोना और स्नान करना) से उत्पन्न अपशिष्ट जल को धूसर जल कहा जाता है।
विभिन्न संस्थाओं, प्रयोगशालाओं, परीक्षण और निगरानी आदि के माध्यम से समुदायों की क्षमता निर्माण करना।
महत्वपूर्ण विशेषताएं
यह केंद्र प्रायोजित योजना है, जो समुदाय संचालित दृष्टिकोणपर आधारित है।
इस मिशन में व्यय का बंटवारा, केंद्र और राज्यों के बीच निम्नलिखित अनुपात में किया जाता है -
हिमालयी और उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए 90:10
अन्य राज्यों के लिए 50:50
केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100% केन्द्रीय सहायता
इस मिशन के अंतर्गत घरेलू नल कनेक्शन उपलब्ध करवाने के साथ-साथ स्थानीय जल संस्थानों के प्रबंधन को भी बढ़ावा दिया जायेगा।
मिशन के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में आगनबाड़ी केंद्र ,स्कूल ,ग्राम पंचायत भवन, स्वास्थ्य केंद्रोंतक भी पानी के कनेक्शन उपलब्ध किये जायेंगे।
यह मिशन स्थानीय स्तर परपानी की एकीकृत मांग और आपूर्ति पक्ष प्रबंधनपर ध्यान केंद्रित करेगा।
इस मिशन के अन्तर्गत धूसर जल प्रबंधन के माध्यम से पुनर्भरण और पुन: उपयोग, जल संरक्षण, बारिश के पानी का संग्रहण आदि पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
जल जीवन मिशन, पानी के प्रति सामुदायिक दृष्टिकोण पर आधारित है, इसमें मिशन के प्रमुख घटक के रूप में व्यापक सूचना, शिक्षा और संचार शामिल है।
जिन क्षेत्रों में जल में जल गुणवत्ता की समस्या है वहां ग्रामीण जल जीवन मिशन के तहत प्रदूषण के निवारण हेतु प्रौद्योगिकीय मध्यपरिवर्तन की व्यवस्था भी की जाएगी।
ग्रामीण परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए आवश्यक क्षेत्रों में बल्क वाटर ट्रांसफर शोधन सयंत्रऔर वितरण नेटवर्क को भी स्थापित किया जायेगा।
ऑनलाइन निगरानी के लिए जेजेएम-एकीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली (आईएमआईएस) और जेजेएम-डैशबोर्डस्थापित किया गया है।
प्रश्न - जल जीवन मिशन (ग्रामीण) की शुरुआत कब हुई थी ?