New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

पंचायती राज प्रणाली में प्रधान पति प्रथा का उन्मूलन

(प्रारंभिक परीक्षा : भारतीय राजव्यवस्था, समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2; स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ)

संदर्भ

वर्ष 2023 में ग्राम पंचायतों में महिला प्रधानों का प्रतिनिधित्व पुरुष सदस्यों द्वारा किए जाने के मुद्दे की जांच के लिए गठित सलाहकार समिति ने अपनी रिपोर्ट पंचायती राज मंत्रालय को सौंप दी है।

भारत में पंचायती राज प्रणाली के बारे में

  • भारत में तीनों स्तरों - ग्राम पंचायत (गांव स्तर पर), पंचायत समिति (ब्लॉक स्तर पर) और जिला परिषद (जिला स्तर पर) में लगभग 2.63 लाख पंचायतें हैं।
  • इन सभी पंचायतों में 32.29 लाख निर्वाचित प्रतिनिधि हैं, जिनमें से 15.03 लाख (46.6%) महिलाएँ हैं।
  • पंचायत अधिकारियों के बीच महिलाओं का अनुपात काफी बढ़ने के बाद भी, निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी प्रभावी भागीदारी अभी भी बहुत कम है।

प्रधानपति प्रथा का उद्भव

  • वर्ष 1992 में 73वें संविधान (संशोधन) अधिनियम के माध्यम से अनुच्छेद 243(d) के अंतर्गत जमीनी स्तर पर लोकतंत्र में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों का आरक्षण अनिवार्य किया गया था।
  • इस आरक्षण के साथ ही देश में 'प्रधान पति' प्रथा की शुरुआत हुई जिसने धीरे-धीरे विकराल रूप ले लिया।
  • प्रधान पति’ का मतलब सिर्फ ‘सरपंच पति’ या 'मुखिया पति' तक सीमित नहीं होता है बल्कि, इसका मतलब वैसे पुरुषों से है जो आधिकारिक रूप से चुनी गई महिलाओं की शक्तियों का इस्तेमाल करते हैं।
  • प्रधान पति की संस्कृति उत्तरी राज्यों, खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और राजस्थान में अधिक प्रचलित है।

प्रधान पति प्रथा का उन्मूलन

  • इस प्रथा के उन्मूलन के लिए केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय की ओर से पूर्व खान सचिव सुशील कुमार की अध्यक्षता में सलाहकार समिति गठित की गई थी।
  • यह समिति 6 जुलाई, 2023 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अनुवर्ती थी।
  • समिति ने हाल ही में 'पंचायती राज प्रणालियों और संस्थाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व और उनकी भूमिका में परिवर्तनः प्राक्सी भागीदारी के प्रयासों को समाप्त करना' विषय पर अपनी रपट मंत्रालय को सौंपी है।
  • समिति की रिपोर्ट के अनुसार 'प्रधान पति' या 'सरपंच पति' या 'मुखिया पति' का मुद्दा छद्म राजनीति के एक ऐसे तरीके का प्रतीक है जो पूरे देश में प्रचलित है।
  • पंचायती राज मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को मंजूर कर लिया है। अब केंद्र सरकार के स्तर पर इस पर निर्णय किया जाएगा।

सलाहकार समिति की प्रमुख सिफारिशें

  • प्रधानपति पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेशों का उल्लंघन करने वाले अपराधियों पर जुर्माना और गंभीर दंड
  • पंचायती राज के सभी स्तरों पर प्रशासन को महिला प्रतिनिधि से जुड़ना चाहिए न कि उनके प्रॉक्सी (पुरुष रिश्तेदारों) के साथ
  • पंचायत अध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम स्कूल स्तर की शिक्षा अनिवार्य की जानी चाहिए, चाहे वह किसी भी लिंग का हो
  • सामाजिक मानदंडों को चुनौती देने वाली महिला नेताओं की सफलता की कहानियों का विशेष उल्लेख
  • केरल की तरह वार्ड-स्तरीय समितियों में लिंग-विशिष्ट कोटा जैसी पहल
  • प्रधानपति विरोधी प्रतियोगिता
  • महिला लोकपाल की नियुक्ति
  • ग्राम सभा में महिला प्रधानों का सार्वजनिक शपथ ग्रहण 
  • महिला पंचायत नेताओं का संघ बनाना
  • प्रॉक्सी नेतृत्व के बारे में गोपनीय शिकायतों के लिए हेल्पलाइन, महिला निगरानी समिति की प्रणालियां, सत्यापित मामलों में मुखबिर को पुरस्कार

तकनीक आधारित समाधान

  • बैठकों की वीडियो रिकॉर्डिंग कराना
  • ए.आई. द्वारा महिला प्रतिनिधियों को कानून संबंधित जानकारी देना
  • दैनिक कामकाज में मदद के लिए एक वाट्सऐप्प ग्रुप
  • पंचायती राज मंत्रालय के पंचायत निर्णय पोर्टल का उपयोग

आगे की राह

  • यूनेस्को के एक अध्ययन के अनुसार महिलाओं के निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी से विकास का लक्ष्य बेहतर प्राप्त किया जा सकता है, क्योंकि उनके पास अक्सर अपने समुदायों में महिलाओं और बच्चों के सामने आने वाली विशिष्ट आवश्यकताओं और चुनौतियों के बारे में विशिष्ट समझ होती है।
  • कई अध्ययन यह भी कहते हैं कि निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी से महिला नीतिगत चिंताओं के प्रति जवाबदेही बढ़ती है।
  • महिलाएं अक्सर सामाजिक कल्याण, स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छता के मुद्दों को प्राथमिकता देती हैं, जो सामुदायिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। 
  • जब महिलाएं पंचायतों में नेतृत्व करती हैं, तो वे अन्य महिलाओं और लड़कियों के लिए आदर्श बन जाती हैं, और दूसरी महिलाओं को भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR