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एशिया पावर इंडेक्स

एशिया पावर इंडेक्स में जापान को पीछे छोड़ते हुए भारत तीसरी सबसे बड़ी शक्ति बन गया है, जो इसके बढ़ते भू-राजनीतिक स्थिति को दर्शाता है। यह उपलब्धि भारत की गतिशील वृद्धि, युवा आबादी एवं विस्तारित अर्थव्यवस्था से प्रेरित है।

एशिया पावर इंडेक्स

  • एशिया पावर इंडेक्स को लोवी इंस्टीट्यूट ने वर्ष 2018 में लॉन्च किया। यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति गतिशीलता का एक वार्षिक माप है। 
  • यह एशिया-प्रशांत के 27 देशों का मूल्यांकन करता है और बाह्य वातावरण को आकार देने तथा प्रतिक्रिया देने की इनकी क्षमता की जांच करता है। 
  • वर्ष 2024 का संस्करण इस क्षेत्र में शक्ति वितरण का अब तक का सबसे व्यापक आकलन प्रस्तुत करता है। 
  • तिमोर-लेस्ते को इसमें पहली बार शामिल किया गया है, जो दक्षिण-पूर्व एशिया में इसके बढ़ते महत्व को दर्शाता है। यह सूचकांक राज्यों की भौतिक क्षमताओं तथा अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इनके प्रभाव पर केंद्रित है।

एशिया पावर इंडेक्स में देशों की स्थिति 

  • इस इंडेक्स में अमेरिका को प्रथम स्थान पर और चीन को द्वितीय स्थान पर रखा गया है। ये दोनों देश सुपर पावर (महाशक्ति) श्रेणी में वर्गीकृत हैं।
  • भारत एक रैंक के सुधार के साथ तीसरे स्थान पर, जापान चौथे पर, ऑस्ट्रेलिया पांचवें पर, रूस छठे स्थान पर और पकिस्तान सोलहवें स्थान पर है। ये सभी देश मिडिल पावर (माध्यम शक्ति) श्रेणी में वर्गीकृत हैं।
  • बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, नेपाल एवं पपुआ न्यू गिनी को माइनर पावर (छोटी शक्ति) श्रेणी में वर्गीकृत किया गया हैं। पपुआ न्यू गिनी अंतिम (27वें) स्थान पर है। 

शक्ति मापन के मानदंड 

एशिया पावर इंडेक्स में शक्ति को संसाधन-आधारित और प्रभाव-आधारित निर्धारकों में विभाजित किया गया है।

संसाधन-आधारित निर्धारक 

  • आर्थिक क्षमता : किसी देश की मुख्य आर्थिक शक्ति क्रय शक्ति समता (पी.पी.पी.), तकनीकी परिष्कार एवं वैश्विक आर्थिक कनेक्टिविटी पर जी.डी.पी. जैसे संकेतकों का मापन। 
  • सैन्य क्षमता : रक्षा व्यय, सशस्त्र बलों, हथियार प्रणालियों एवं लंबी दूरी के प्रक्षेपण जैसी क्षमताओं के आधार पर पारंपरिक सैन्य ताकत का मूल्यांकन। 
  • लचीलापन : संस्थागत मजबूती, भू-राजनीतिक सुरक्षा और संसाधन सुरक्षा सहित राज्य (देश) की स्थिरता के लिए खतरों को रोकने की आंतरिक क्षमता का मापन। 
  • भविष्य के संसाधन : वर्ष 2035 के लिए अनुमानित आर्थिक, सैन्य एवं जनसांख्यिकीय कारकों सहित भविष्य के संसाधनों के वितरण का पूर्वानुमान लगाना।

प्रभाव-आधारित निर्धारक

  • आर्थिक संबंध : व्यापार, निवेश एवं आर्थिक कूटनीति के माध्यम से लाभ उठाने की क्षमता। 
  • रक्षा नेटवर्क : गठबंधनों एवं साझेदारियों की शक्ति, सैन्य सहयोग एवं हथियारों के हस्तांतरण के माध्यम से मापन। 
  • राजनयिक प्रभाव : किसी देश की राजनयिक पहुंच की सीमा, बहुपक्षीय मंचों में भागीदारी और विदेश नीति की महत्वाकांक्षा। 
  • सांस्कृतिक प्रभाव : सांस्कृतिक निर्यात, मीडिया एवं लोगों-से-लोगों के संबंधों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय जनमत को आकार देने की क्षमता।
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