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ग्लोबल एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस (GLASS) रिपोर्ट 2025

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।)

संदर्भ

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अक्टूबर 2025 में जारी ग्लोबल एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस (GLASS) रिपोर्ट 2025 ने भारत में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) की स्थिति को “गंभीर और तेजी से बढ़ता हुआ खतरा” बताया है।

ए.एम.आर. से तात्पर्य

एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस वह स्थिति है जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या परजीवी उन दवाओं पर प्रतिक्रिया करना बंद कर देते हैं जो पहले इन पर प्रभावी थीं। इसके परिणामस्वरूप सामान्य संक्रमण भी असाध्य और घातक बन सकते हैं।

ए.एम.आर.: एक बढ़ता हुआ संकट

  • भारत में हर तीन में से एक बैक्टीरियल संक्रमण आम एंटीबायोटिक पर असर नहीं दिखाता।
  • भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में यह समस्या सबसे अधिक गंभीर रूप में दिखाई दे रही है।
  • उच्च-जोखिम वाले बैक्टीरिया ई. कोली (E.coli), क्लेब्सिएल्ला (Klebsiella) निमोनिया (pneumonia), स्ताफ्य्लोकोक्कस औरुस (Staphylococcus aureus) में खतरनाक स्तर की प्रतिरोध क्षमता देखी जा रही है, विशेषकर ICU में।

मुख्य कारण

  • एंटीबायोटिक की ओवर-द-काउंटर (OTC) उपलब्धता
  • स्वयं-दवा (self-medication)
  • अधूरे दवा-कोर्स
  • अस्पताल व फार्मा उद्योगों से पर्यावरणीय प्रदूषण
  • संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी (surveillance) का अभाव

ग्लास रिपोर्ट की मुख्य बातें

  • भारत का AMR डाटा मुख्यतः तृतीयक अस्पतालों से आता है, जिससे ग्रामीण/प्राथमिक स्तर की वास्तविक स्थिति सामने नहीं आ पाती।
  • WHO ने सम्पूर्ण राष्ट्रीय निगरानी नेटवर्क विकसित करने पर जोर दिया है।
  • जल्द सुधार न होने पर सामान्य संक्रमण भी “अनुपचार योग्य” हो सकते हैं।

भारत में निगरानी व्यवस्था की चुनौतियाँ

  • वर्तमान डेटा ICMR-AMRSN, NCDC जैसी नेटवर्क पर आधारित है, जो केवल बड़े अस्पतालों पर केंद्रित हैं।
  • यह एक पूर्वाग्रही (biased) तस्वीर प्रस्तुत करता है, क्योंकि छोटे अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का डेटा शामिल नहीं।
  • देशभर में 500+ NABL लैब्स को जोड़कर वास्तविक राष्ट्रीय मॉडल बनाया जा सकता है।

राष्ट्रीय कार्य योजना: धीमी प्रगति

भारत की राष्ट्रीय कार्य योजना – ए.एम.आर. (NAP-AMR), 2017 पर प्रगति अपेक्षा के अनुरूप नहीं रही।

प्रमुख लक्ष्य

  • जागरूकता बढ़ाना
  • सर्विलांस को मजबूत करना
  • साफ पानी, स्वच्छता और हाइजीन (WASH) पर जोर
  • एंटीबायोटिक उपयोग को नियंत्रित करना
  • अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहन
  • वन हेल्थ अप्रोच को लागू करना

केरल मॉडल: एक सफल उदाहरण

  • 2018: केरल ए.एम.आर. रणनीतिक योजना लॉन्च
  • 2024: AMRITH कार्यक्रम; एंटीबायोटिक की OTC बिक्री पर सख्त रोक
  • जनता की सहभागिता, शिकायत प्रणाली, जागरूकता अभियान
  • नवीनतम एंटीबायोग्राम में प्रतिरोध में हल्की कमी दर्ज
    • केरल सिद्ध करता है कि राज्य स्तर पर मजबूत कार्रवाई से AMR को नियंत्रित किया जा सकता है।

जागरूकता: समाधान का मूल आधार

  • AMR आम जनता के लिए “अमूर्त समस्या” है।
  • इसे मानवीकृत (humanise) कर समझाने की आवश्यकता है।
  • COVID-19 के दौरान One Health Approach का महत्व बढ़ा, इसी मॉडल को AMR पर लागू करने की जरूरत है।

औषधीय समाधान: नए एंटीबायोटिक की आवश्यकता

  • भारत में हाल ही में 4 नए एंटीबायोटिक स्वीकृत हुए हैं।
  • वैश्विक पाइपलाइन में 97 दवाएँ विकास चरण में हैं (2023)।
  • परंतु, वास्तविक नवाचार (innovative antibiotics) की संख्या बहुत कम।

नए एंटीबायोटिक में आवश्यक गुण

  • नई क्लास / नया मोड-ऑफ-एक्शन
  • MDR बैक्टीरिया पर प्रभाव
  • कम दुष्प्रभाव
  • LMIC देशों में सुलभ और किफायती
  • मौजूदा प्रतिरोध तंत्र को “बाईपास” करने की क्षमता

वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर आवश्यक कदम

  • निगरानी नेटवर्क का विस्तार
    • प्राथमिक/जिला अस्पतालों तक AMR डेटा संग्रह
    • 500+ NABL लैब्स को राष्ट्रीय नेटवर्क में शामिल करना
  • एंटीबायोटिक स्टूवर्डशिप
    • डॉक्टरों द्वारा जिम्मेदार प्रिस्क्रिप्शन
    • फार्मेसियों पर सख्त निगरानी
    • OTC बिक्री पर रोक का कड़ाई से पालन
  • उद्योग और शोध में निवेश
    • अधिक धनराशि
    • नवाचार प्रोत्साहन
    • पब्लिक-प्राइवेट साझेदारी
  • One Health मॉडल का प्रभावी कार्यान्वयन
    • मानव, पशु और पर्यावरण के बीच समन्वित स्वास्थ्य दृष्टिकोण

निष्कर्ष

भारत में AMR की स्थिति चुनौतीपूर्ण है, लेकिन पूरी तरह अनियंत्रित नहीं। केरल का उदाहरण दिखाता है कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति, वैज्ञानिक रणनीति और जन-जागरूकता मिल जाए, तो सबसे गंभीर स्वास्थ्य संकट को भी नियंत्रित किया जा सकता है। 

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